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'भगवान के भरोसे' राजस्थान सरकार | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मानसून दस्तक दे रहा है और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की सरकार ने अच्छी बरसात के लिए ईश्वर की शरण ली है. राज्य सरकार के मंत्री आगामी 21 जून को प्रमुख धार्मिक स्थलों पर विशेष पूजा-पाठ करके अच्छी बारिश की कामना करेंगे. इस 'धर्मपरायण क़दम' की विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने जमकर खिल्ली उड़ाई है और कुछ ठोस काम न करने के लिए सरकार की आलोचना की है. राज्य के प्रमुख मंदिरों में पूजा-अर्चना की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं, राज्य सरकार ने कम से कम 10 मंत्रियों को 21 जून को इंद्र देवता को मनाने के लिए पूजा करने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया उस दिन ख़ुद जोधपुर में रूद्राभिषेक करके भगवान की स्तुति करेंगी ताकि राज्य में पानी की समस्या दूर हो जाए. निर्देश सरकारी निर्देशों के मुताबिक़ हर मंदिर में ग्यारह पुरोहित होंगे जो तीन-तीन घंटे बारी-बारी से पाठ करेंगे. बाक़ायदा सरकारी स्तर पर मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई है. गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया एक शिवालय में पूजन करेंगे जबकि ग्रामीण विकास मंत्री कालूराम गुर्जर एक चर्च में होने वाली प्रार्थना सभा में जाएँगे. राज्य के इकलौते मुस्लिम मंत्री युनूस ख़ान एक दरगाह पर फ़ातिहा पढ़ेंगे. राज्य के शिक्षा मंत्री इस आरोप से इनकार करते हैं कि यह सरकार का हिंदूवादी एजेंडा है, वे कहते हैं कि सिर्फ़ मंदिरों में ही नहीं दरगाहों, गुरूद्वारों और चर्चों में भी प्रार्थना होगी. कांग्रेस पार्टी इस क़दम का जमकर विरोध कर रही है और उसके प्रवक्ता रघु शर्मा इसे कोरा ढोंग करार देते हैं. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, "लोग सूखे और पानी की किल्लत से परेशान हैं, अच्छा होता कि सरकार अपने मंत्रियों को प्रभारी बनाकर अलग-अलग ज़िलों में राहत की व्यवस्था करती." रघु शर्मा कहते हैं, "सरकार अपनी ज़िम्मेदारियों से ध्यान हटाने के लिए यह नाटक कर रही है, यह हास्यास्पद है." पिछले छह महीने में यह दूसरा मौक़ा है जबकि राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर पूजा-पाठ का आयोजन किया है. सरकार को उम्मीद है कि ईश्वर उसकी प्रार्थना ज़रूर सुनेंगे, जनता की प्रार्थना का क्या होगा, यह किसी को नहीं मालूम. |
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