शनिवार, 22 मई, 2004 को 16:17 GMT तक के समाचार
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मंत्रिपरिषद में काँग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और सहयोगी दलों के कई प्रतिनिधियों को जगह दी गई है.
लेकिन उनकी मंत्रिपरिषद कितनी संतुलित है? क्या सभी क्षेत्रों और दलों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला है जिससे ये सरकार बिना आपसी तनाव और तल्ख़ी के चल सके?
बीबीसी हिंदी सेवा ने ये सवाल वरिष्ठ पत्रकार और पर्यवेक्षक इंदर मलहोत्रा से पूछे.
इंदर मलहोत्रा का मानना है कि मनमोहन मंत्रिमंडल में बहुत से जाने पहचाने अनुभव वाले चेहरे हैं.
लेकिन वे ये भी कहते हैं, "काँग्रेस को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के घटक दलों और सहयोगी वामपंथी दलों के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखने होंगे क्योंकि आपसी तनाव बढ़ने के पूरे आसार हैं."
उन्होंने इस संदर्भ में लोकजनशक्ति पार्टी नेता राम विलास पासवान के नाराज़ होने का हवाला दिया.
नाराज़ होने के बाद उन्हें शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह और काँग्रेस नेता अहमद पटेल ने शपथ ग्रहण कार्यक्रम से ठीक पहले मनाया.
इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल नेता लालू यादव के नाराज़ होने की ख़बर समाचार माध्यमों में आई थी चाहे लालू यादव ने किसी नाराज़गी से इनकार किया था.
उनका कहना था कि ये काँटों का ताज है और हर कदम फूँक-फूँक कर रखना होगा.
पर्यवेक्षक इंदर मलहोत्रा का कहना था कि काँग्रेस के चार बड़े मंत्रालय - वित्त, गृह, विदेश और रक्षा ख़ुद के पास रखने से घटक और सहयोगी दलों के साथ तनाव पैदा हो सकता है.
उन्होंने याद दिलाया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने भी इन मंत्रालयों में से एक - रक्षा मंत्रालय जॉर्ज फ़र्नांडिस को दे दिया था.
उत्तर प्रदेश की अनदेखी?
पूछे जाने पर इंदर मलहोत्रा ने कहा कि चुनाव हारे हुए लोगों - जैसे पीएम सईद और शिवराज पाटिल को मंत्रिमंडल में शामिल करना उचित नहीं है.
युवाओं की अनदेखी पर उनका कहना था कि इस मंत्रिपरिषद में युवा तो हैं लेकिन जाने-माने परिवारों से नहीं है.
उत्तर प्रदेश से केवल एक ही सांसद - महावीर प्रसाद मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं.
दसरी ओर दोनो बीहार और तमिलनाडु राज्यों से आधे दर्जन से ज़्यादा मंत्री हैं.
इंदर मलहोत्रा का कहना है कि किसी समय तो उत्तर प्रदेश से दस-दस मंत्री हुआ करते थे लेकिन अब जब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के प्रतिनिधि सरकार में शामिल नहीं हैं तो उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व घटना ही था.
लेकिन उन्होंने कहा कि न्यायालय के आदेश के अनुसार जितने मंत्री बनाने की अनुमति है उसके मुताबिक अभी और मंत्री भी बनाए जा सकते हैं.