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कितना आधुनिक है कटिहार

गाँव में स्कूल नहीं, स्कूल हैं तो मास्टर नहीं
मास्टर हैं तो विद्यार्थी नहीं, विद्यार्थी हैं तो आते नहीं
आते हैं तो पढ़ते नहीं, पढ़ते नहीं तो समझते नहीं

ये हैं कटिहार में बीबीसी हिंदी के कारवाँ के विचारमंच को संबोधित करते श्रोता सुभाष के शब्द.

विचार मंच में विषय था- आधुनिक कटिहार. पूर्णिया से इस शहर में प्रवेश करते ही मेडिकल कॉलेज और बिहार सैन्य पुलिस के बोर्ड देखकर लगा कि विषय सामयिक है.

लेकिन आधुनिकता की परिभाषा क्या हो, समझाया आमंत्रित अतिथि और यहाँ के एसपी, रेलवे सुधांशु कुमार ने.

उन्होंने कहा, "आधुनिकता का पैमाना होना चाहिए आपकी उन्नत विचारधारा और उस उन्नत विचारधारा में आप अपने को कितना ढ़ाल पाते हैं. जींस और स्कर्ट तो व्यक्तिगत सहूलियतों के अनुसार पहना या नहीं पहना जाता है. इसको आधुनिकता का पर्याय या आधुनिकता की परिभाषा नहीं मानी जानी चाहिए."

वैचारिक परिभाषा तो अपनी जगह है लेकिन आम लोगों की समस्या का ध्यान खींचा छात्रा आरती गुप्ता ने.

उन्होंने कहा, "आधुनिकता तभी आ सकती है जब शिक्षा में सुधार हो. आज गाँवों में स्कूल और कॉलेजों का अभाव है"

मूलभूत सुविधाएँ

मंच पर मौजूद थे केले की खेती करने वाले सुधीश प्रसाद गुप्त जिनके लिए आधुनिकता की बहस से ज़रूरी है मूलभूत सुविधाओं की बातें.

विचारमंच में लोगों की भागीदारी

उन्हें नहर से पानी नहीं मिलता और सड़कों की समस्या के कारण भी कामकाज पर असर झेलना पड़ता है.

श्रोताओं की भीड़ में कुछ ऐसे भी थे जो अपने शहर को आधुनिक और विकसित मानते हैं.

एक श्रोता विप्लव ने कहा, "ये कहना ग़लत होगा कि कटिहार में विकास नहीं हुआ है. विकास तो हुआ है लेकिन जितना होना चाहिए उतना नहीं हुआ है. जहाँ तक भ्रष्टाचार जैसी समस्या की बात है इसके लिए सिर्फ़ प्रशासन ही ज़िम्मेदार नहीं समाज में भी गिरावट आई है."

आम जनता का विचार मंच हो और नेता बच जाए ऐसा भला कहाँ संभव है. यहाँ मोर्चा खोला सेवानिवृत स्टेशन मास्टर आनंद प्रसाद सहाय ने.

उन्होंने कहा, "हर चुनाव में नेता वादा करते हैं कि कटिहार को आधुनिक बनाएँगे. अपने तो मंत्री-संतरी बन गए लेकिन कटिहार कटिहार ही रह गया."

आधुनिकता की बात तो पुरुष करते हैं, लेकिन उनका कितना दोष है. ये याद दिलाया भीड़ में बैठी एक महिला.

उन्होंने कहा कि महिलाओं और लड़कियों के लिए शिक्षा बहुत ज़रूरी है.

पैनल में मौजूद ज़िला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद अब्दुल अली ने अंत में सुझाव दिया कि सबसे पहले समाज का हर व्यक्ति अपने आप को ईमानदार बनाए.

लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जो कुछ और भी कहना चाहते थे.

सुदर्शन कुमार घोष ने कहा, "बीबीसी कटिहार आया सबके मन में उमंग छाया. आपने कटिहार के लोगों को जगाया अब हम भी कुछ कर जाएँगे कटिहार को आधुनिक बनाएँगे."