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चुनावी विज्ञापनों पर रोक की अपील | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत के सूचना प्रसारण मंत्रालय ने टेलीविज़न चैनलों पर राजनीतिक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष याचिका दायर की है. इस याचिका में अपील की गई है कि आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट के उस फ़ैसले पर रोक लगा दी जाए जिसमें टीवी पर राजनीतिक विज्ञापनों की अनुमति दी गई है. भारत के कई सैटेलाइट टीवी चैनलों पर कई ऐसे विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं जिन भाजपा और कांग्रेस को कड़ी आपत्ति है. मिसाल के तौर पर एक टीवी विज्ञापन में बिना किसी का नाम लिए यह सवाल उठाया गया है कि क्या देश की सत्ता को किसी विदेशी के हाथ में सौंपा जा सकता है, इस पर कांग्रेस को एतराज़ है.
दूसरी ओर, एक अन्य विज्ञापन में अटल बिहारी वाजपेयी के चेहरे से मुखौटा हटता है और अंदर से महात्मा गाँधी के हत्यारे गोडसे का चेहरा निकल आता है, इस विज्ञापन पर ज़ाहिर है, भाजपा को आपत्ति है. इससे पहले सूचना प्रसारण मंत्रालय ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह इस मामले पर फ़ैसला करे क्योंकि इस तरह के विज्ञापनों से चुनावों पर बुरा असर पड़ेगा. इसके अलावा, मंत्रालय का कहना था कि "इससे उन लोगों के साथ अन्याय होगा जो विज्ञापनों का ख़र्च नहीं उठा सकते." |
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