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अमरीका ने मुशर्रफ़ के प्रस्ताव का स्वागत किया

कश्मीर संबंधी संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव लागू करने की माँग छोड़ने के पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के बयान का अमरीका ने स्वागत किया है.

अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रिचर्ड बाउचर ने कहा, "अमरीका इस प्रस्ताव का स्वागत करता है."

बाउचर ने कहा, "जनमत संग्रह करवाने की माँग छोड़ना एक रचनात्मक क़दम है."

इससे पहले राष्ट्रपति मुशर्रफ़ ने कहा था कि वह भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंधों के लिए कश्मीर संबंधी संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव को लागू करने की माँग छोड़ने को तैयार हैं.

पिछले पाँच दशकों से पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव को लागू करने की माँग करता रहा है.

संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के तहत कश्मीर में जनमत संग्रह कराए जाने की व्यवस्था है कि कश्मीरी जनता भारत के साथ जाना चाहती है या पाकिस्तान के साथ.

भारत ने मुशर्रफ़ के इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है.

मुशर्रफ़ की ताज़ा पेशकश इस्लामाबाद में सार्क देशों के सम्मेलन से तीन सप्ताह पहले आई है.

रॉयटर्स समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में मुशर्रफ़ ने कहा शांति की दिशा में पाकिस्तान आधा रास्ता तय करने को तैयार है, बाक़ी क़दम भारत को उठाने होंगे.

उन्होंने कहा कि वह कश्मीर की आधी सदी पुरानी समस्या के समाधान के लिए साहसिक और लचीला बनने को तैयार हैं.

इस बीच भारत ने पाकिस्तान की उन चिंताओं का जवाब ज़रूर दिया है जिसमें अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण रेखा पर लगाई जा रही बाड़ के औचित्य पर चिंता जताई गई थी.

भारत ने कहा है कि बाड़ तो युद्धविराम घोषित होने से पहले से ही लगाई जा रही थी इसलिए उस पर चिंता व्यक्त करने की ज़रूरत नहीं है.

बुधवार शाम अपने इंटरव्यू में मुशर्रफ़ ने कहा, "हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के पक्ष में रहे हैं. लेकिन अब हमने उसे किनारे कर दिया है."

मुशर्रफ़ का कहना था, "यदि हम इस मसले को हल करना चाहते हैं तो दोनों पक्षों को लचीलेपन के साथ परस्पर बातचीत करनी होगी, अब तक के घोषित रवैए को छोड़ना होगा और कहीं बीच में पहुँच कर विचार-विमर्श करना होगा."

उन्होंने दोनों देशों के बीच सामान्य होते रिश्ते की दुहाई देते हुए कहा कि भारत को बातचीत के मौक़े को यों ही नहीं गँवाना चाहिए.

मुशर्रफ़ ने कहा कि यदि दोनों देश बातचीत की प्रक्रिया शुरू नहीं करते तो नरमपंथियों को हताशा मिलेगी और चरमपंथियों की हौसलाअफ़जाई होगी.

उन्होंने ये तो नहीं बताया कि कश्मीर समस्या का क्या समाधान हो सकता है, लेकिन कहा कि कोई भी समाधान दोनों देशों और कश्मीरी अवाम को स्वीकार्य होनी चाहिए.