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"क़दीर को बलि का बकरा बना रहे हैं"
पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले वैज्ञानिक अब्दुल क़दीर ख़ान के परिवार का कहना है कि ईरान को परमाणु तकनीक का राज़ खुलने के मामले में उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है. अब्दुल क़दीर ख़ान ने पाकिस्तान का परमाणु बम और मिसाइलें तैयार करने में महत्वपूर्ण योगदान किया है. अब्दुल क़दीर ख़ान की बेटी दीना ख़ान ने बीबीसी से कहा कि वह अपने पिता के भविष्य के बारे में चिंतित हैं. ईरान को पाकिस्तानी परमाणु तकनीक का राज़ खुलने के मामले में जिन अब्दुल क़दीर सहित कई वैज्ञानिकों से जाँच की जा रही है. पाकिस्तान ने अपनी परमाणु तकनीक का राज़ ईरान को खुलने की ख़बरें मिलने के बाद इस मामले की जाँच शुरू की है.
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मसूद ख़ान ने मंगलवार को इस्लामाबाद में कहा था कि शुरुआती जाँच से पता चला है कि कुछ वैज्ञानिकों ने लालच में आकर ऐसा कर दिया होगा. लेकिन पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के पूर्व अध्यक्ष हमीद गुल का कहना है कि देश के इतने बड़े वैज्ञानिकों के लिए ऐसा करना बहुत ही मुश्किल काम है. हमीद गुल ने बीबीसी को बताया कि ऐसे वैज्ञानिकों पर नौकरी के दौरान और रिटायर होने के बाद भी देश की व्यापक सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था की नज़र रहती है. वजहें इस्लमाबाद में क़ायदे आज़म विश्वविद्यालय में परमाणु वैज्ञानिक एएच नैयर का कहना है कि परमाणु तकनीक का राज़ ईरान को खुलने की दो वजहें हो सकती हैं. एक तो यह कि कुछ पाकिस्तानी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने बिना सरकारी इजाज़त के ही ईरान के साथ यह राज़ खोला हो. नैयर कहते हैं कि ऐसा करने के पीछे उनकी यह सोच हो सकती है कि परमाणु तकनीक किसी एक देश का नहीं बल्कि पूरी मुस्लिम दुनिया का हक़ है. "ऐसा करने को वह कोई ग़लत क़दम इसलिए नहीं मानते क्योंकि अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस और इसराइल जैसे देशों के पास पहले से ही परमाणु बम मौजूद हैं." नैयर दूसरी वजह यह बताते हैं कि हो सकता है इन वैज्ञानिकों को सरकार ने ही धन या किसी और तरह की सहायता के बदले परमाणु तकनीक का राज़ ईरान को खोलने की इजाज़त दी हो. |
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