इस बात की संभवना है कि भारत में टेलीविज़न की तरह रेडियो के क्षेत्र में भी एक क्रांति आ जाए.
सरकार के एक कार्यगुट ने सिफ़ारिश की है कि रेडियो पर से भी सरकारी नियंत्रण ख़त्म हो और निजी एफ़एम स्टेशनों को समाचार और सामयिक विषयों के कार्यक्रम प्रसारित करने की इजाज़त दी जाए.
विश्लेषकों का कहना है कि यदि ये सिफ़ारिशें मान ली जाएँ तो टेलीविज़न की तरह भारत के रेडियो जगत में भी क्रांति आ सकती है.
हो सकता है आप बीबीसी हिंदी सेवा की ख़बरें और कार्यक्रम एफ़एम पर उसी शानदार अंदाज़ में सुन पाएँ जिस तरह फ़िल्मी गीत-संगीत और मनोरंजन के कार्यक्रम साफ़ और बढ़िया आवाज़ में अन्य एफ़एम चैनलों पर सुनते हैं.
'एकाधिकार ख़त्म हो'
भारत सरकार की टास्क फ़ोर्स ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है जिसमें सिफ़ारिश की गई है कि समाचार जगत पर से सरकारी रेडियो का एकाधिकार ख़त्म हो और निजी प्रसारकों को भी एफ़एम के ज़रिए ख़बरों के मैदान में उतरने की इजाज़त दी जाए.
लेकिन शर्त ये है कि उस कंपनी के ज़्यादातर बड़े अधिकारी और उस में काम करने वाले पत्रकार और अन्य कर्मचारी भारत में रहने वाले नागरिक होने चाहिएँ.
फ़िलहाल भारत में निजी एफ़एम स्टेशन सिर्फ़ मनोरंजन के कार्यक्रम ही प्रसारित कर सकते हैं जबकि एफ़एम पर ख़बरें देने का अधिकार केवल आकाशवाणी के पास है.
उद्योग संगठन फ़िक्की के महासचिन अमित मित्रा की अध्यक्षता में गठित इस कार्यगुट ने ये भी सिफ़ारिश की है कि निजी रेडियो स्टेशनों में विदेशी निवेश की सीमा 20 से बढ़ा कर 26 फ़ीसदी कर दी जाए और कंपनी में एक भारतीय भागीदार ऐसा होना चाहिए जिसका हिस्सा 51 फ़ीसदी से ज़्यादा हो.
निजी प्रसारकों के लिए लाइसेंस फ़ीस व्यवस्था ख़त्म करने और उसकी जगह सरकार के साथ राजस्व में भागीदारी की व्यवस्था करने का भी प्रस्ताव रखा गया है.
कंपनी की कमाई में से सरकार का हिस्सा चार प्रतिशत रखने का प्रस्ताव रखा गया है.
कार्यगुट के अध्यक्ष अमित मित्रा ने बताया कि उनकी सिफ़ारिशें सरकार की नीतियों से मेल खाती हैं कि निजी एफ़एम स्टेशनों की संख्या बढ़ाई जाए.
प्राइवेट एफ़एम स्टेशन लाइसेंस फ़ीस व्यवस्था का विरोध करते आ रहे हैं क्योंकि ये रक़म बहुत ज़्यादा है और उन्हें पहले ही साल करोड़ों रुपये का घाटा उठाना पड़ा है.
अब कार्यगुट की सिफ़ारिशें केन्द्रीय मंत्रिमंडल के पास जाएँगी जहाँ से मंज़ूरी मिलने के बाद ही ये अमल में आ पाएँगी और होगी भारतीय रेडियो जगत में एक नए युग की शुरुआत.