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जूदेव मामले की पूरी जानकारी सार्वजनिक हो
तहलका डॉटकॉम के प्रधान संपादक तरुण तेजपाल ने कहा है कि इंडियन एक्सप्रेस अख़बार को पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप सिंह जूदेव से संबंधित टेपों के बारे में पूरी जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए. उनका कहा है कि इससे जूदेव से संबंधित ख़बर की विश्वसनीयता बढ़ेगी. उनका कहना था कि इस मुद्दे के दो पहलू हैं. पहला ये कि जो भी व्यक्ति सरकार में किसी पद पर है वह जनता के प्रति उत्तरदायी है. उनका कहा था कि इसका दूसरा पहलू ये भी है कि देश की जनता को ये जानने का हक है कि ये टेप या 'कॉम्पेक्ट डिस्क' कहाँ से आए? तरुण तेजपाल ने कहा कि इंडियन एक्सप्रेस एक ऐतिहासिक अख़बार है और उसने इन टेपों की विश्वसनीयता ज़रूर जाँची होगी लेकिन जनता को ये बताया जाना चाहिए के ये टेप कहाँ से आए. ये विचार तुरुण तेजपाल ने बीबीसी के साप्ताहिक कार्यक्रम 'आपकी बात बीबीसी के साथ' में व्यक्त किए. तहलका के प्रधान संपादक तरुण तेजपाल और भाजपा के राज्यसभा सदस्य बलबीर पुँज ने इस विषय पर श्रोताओं के सवालों के जवाब दिए कि - 'भारत में खोजी पत्रकारिता भ्रष्टाचार का पर्दाफ़ाश कर रही है या राजनीति का मोहरा बन गई है." 'ये लोग कौन हैं?' तरुण तेजपाल का कहना था कि भारत में पत्रकार खोजी पत्रकारिता का अच्छा काम कर रहे हैं और उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है राजनीतिक दलों और नेताओं को लोगो के प्रति उत्तरदायी बनाना.
बलबीर पुँज का कहना था, "यदि समाचार माध्यम रिश्वत के किसी मामले को सामने लाते हैं तो मैं इसका स्वागत करुँगा. लेकिन यदि कोई नाटक रचा जाता है और किसी फ़र्ज़ी सैदे की बात होती है तो ये सारे मामले पर प्रश्नचिन्ह लगा देता है. " हाल में केंद्रीय सतर्कता आयोग को लेकर छह केंद्रीय मंत्रियों पर आरोप लगाने के मामले की उन्होंने कड़ी आलोचना की. उनका कहना था कि अंत में केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को ही बोलना पड़ा कि उनकी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ इस विषय में बात ही नहीं हुई. पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप सिंह जूदेव के मामले में बलबीर पुँज का कहना था, "ये इंडियन एक्सप्रेस की खोजी पत्रकारिता नहीं है और अख़बार ने ये माना भी है." उनका कहना था, "इस मामले से कई सवाल उठते हैं. ये कॉम्पेक्ट डिस्क किसने दिए और ये लोग कौन हैं. क्या ये मुख्यमंत्री अजीत जोगी के लोग थे? फ़िलहाल इन सवालों के जवाब नहीं मिले हैं." तरुण तेजपाल से पूछा गया कि भारतीय लोकतंत्र में क्या बोलने और विचार व्यक्त करने की आज़ादी को कोई ख़तरा है? उनका कहना था, "भारत उन गिन-चुने देशों में से एक है जहाँ पर ऐसी ख़बरें करने के बाद भी कोई व्यक्ति आज़ाद घूम सकता है जाहे ख़बर कितनी भी प्रभावशाली राजनीतिक पार्टी के बारे में हो." उनका कहना था, "देखिए तरुण तेजपाल की आवाज़ को सदा के लिए ख़ामोश नहीं किया जा सका. मैं ज़िंदा हूँ और अपना काम कर रहा हूँ. इसलिए भारत में खोजी पत्रकारिता की जा सकती है."
उनसे पूछा गया कि तहलका को खोजी पत्रकारिता के लिए किस तरह के विरोध का सामना करना पडा? तरुण तेजपाल का कहना था, "हाँ, पिछले ढाई साल हमारे लिए काफ़ी मुश्किलों भरे थे. हमें अपने दफ़्तर खोने पड़े और हमारी कंपनी पर कर्ज़ा चढ़ा हुआ है, ये सच है. लेकिन पत्रकारिता में इस सब के लिए तैयार रहना पड़ता है." उनका कहना था, "मेरी कोशिश रही कि तहलका बंद न हो. यदि ऐसा होता तो पत्रकार भ्रष्टाचार का पर्दाफ़ाश करने से पीछे हट जाते. हम जल्द ही एक साप्ताहिक अख़बार निकालेंगे और दिखाएँगे कि हम किसी पार्टी के पक्ष में नहीं हैं और हमेशा सच के लिए खड़े हैं." दूसरी ओर बलबीर पुँज ने कहा, "तहलका को तंग किए जाने की ख़बरें सही नहीं हैं. कोई भी क़ानून के ऊपर नहीं है. यदि किसी को लगता है कि उसे तंग किया गया है तो वह न्यायालय का दरवाज़ा खटखटा सकता है." जूदेव मामले पर बलबीर पुँज का कहना था, "ऐसे ऑपरेशन और षड्यंत्र केवल भाजपा के ख़िलाफ़ ही क्यों होते हैं? क्या सभी काँग्रेस मुख्यमंत्री दूध के धुले हैं." |
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