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तस्लीमा की नई किताब पर प्रतिबंध
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक अदालत ने विवादास्पद लेखिका तस्लीमा नसरीन की नई किताब पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह आदेश एक अन्य प्रमुख उपन्यसकार सैयद शम्सुल हक़ के तसलीमा के ख़िलाफ़ मानहानि का दावा करने के बाद आया है. तस्लीमा इस समय स्वनिर्वासन में रह रही हैं. उनकी पहली किताब 'लज्जा' पर भी भारी हंगामा हो चुका है. अदालत ने इस मामले का फ़ैसला होने तक तस्लीमा की किताब 'का' की बिक्री पर अस्थाई रोक लगा दी है. अधिकारियों से कहा गया है कि इस आत्मकथा की सभी प्रतियाँ ज़ब्त कर ली जाएँ. अंतरंग संबंधों का ज़िक्र चार सौ से ज़्यादा पन्नों की इस किताब में लेखिका के ढाका और कोलकाता के कई जाने-माने लेखकों के साथ अंतरंग संबंधों का लेखाजोखा है. पुस्तक विक्रेताओं का कहना है कि एक अख़बार में इसके श्रंखलाबद्ध होने के बाद इस किताब की भारी बिक्री हो रही थी.
लेकिन इस आत्मकथा ने साहित्यिक हलक़ों में बवाल मचा दिया जब कई लेखकों ने तस्लीमा पर चरित्र-हनन का आरोप लगाया. मशहूर लेखक सैयद शम्सुल हक़ ने किताब में अपना नाम देखने के बाद मानहानि का मामला दायर कर दिया. उनकी शिकायत थी कि पुस्तक में लेखिका ने उन पर कुछ ऐसे आरोप लगाए हैं जिनको क़ानूनी कारणों से दोहराया नहीं जा सकता. अपनी याचिका में उन्होंने लेखिका के बयानों को झूठ का पुलंदा और मनगढ़ंत कहा. वह लेखिका और उनके प्रकाशक से मुआवज़े के तौर पर दस करोड़ रुपये की मांग कर रहे हैं और इस किताब पर प्रतिबंध चाहते हैं. तस्लीमा नसरीन हार्वर्ड विश्वविद्यालय में रिसर्च कर रही हैं और अमरीका में रह रही हैं. मानहानि का मुक़दमा दायर होने के बाद उन्होंने बीबीसी से कहा कि उन्होंने उन लोगों के बारे में लिखा है जिनसे वह एक लेखिका के तौर पर मिली थीं. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि किताब काल्पनिक है. |
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