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शनिवार, 01 नवंबर, 2003 को 00:35 GMT तक के समाचार
 
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परवेज़ मुशर्रफ़ चीन यात्रा पर
 

 
परवेज़ मुशर्रफ़ और हू जिंताओ
मुशर्रफ़ इस यात्रा के दौरान चीन के नए राष्ट्रपति हू जिंताओ से भी मिलेंगे
 

पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ शनिवार को चीन की यात्रा पर पहुँच रहे हैं जिसमें वह चीन के नए राष्ट्रपति से पहली बार मिलेंगे.

पाकिस्तान इसे नए नेतृत्व से मिलने के एक अच्छे मौक़े के तौर पर देख रहा है.

राष्ट्रपति हू जिंताओ के अलावा वह 'मिलिट्री कमीशन' के प्रमुख और पूर्व राष्ट्रपति जियांग ज़ेमिन से भी मिलेंगे.

इस यात्रा की अहमियत इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि जून में ही भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चीन की यात्रा पर गए थे और उसे काफ़ी महत्त्व दिया गया था.

वो दिन अब नहीं रहे जब पाकिस्तान चीन के साथ अपने रिश्तों को साधारण तौर पर ही और हल्के ढंग से लेता था क्योंकि भारत और चीन के रिश्ते खटास भरे थे.

मगर जून के अंत में वाजपेयी की चीन की छह दिवसीय यात्रा के बाद लगा कि समीकरण कुछ बदल रहे हैं और एशिया की दोनों महाशक्तियाँ नज़दीक़ आ रही हैं.

इसके बाद शायद पाकिस्तान की भौंहें कुछ तन गईं और उसे चिंता हुई.

इससे पहले कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति चीन की यात्रा शुरू करते पाकिस्तानी अधिकारियों ने पूरी मेहनत करके ये जताना शुरू किया कि पाकिस्तान और चीन रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सहयोगी हैं.

उनका ये भी कहना था कि दोनों देशों के रिश्ते एशिया में स्थायित्व में अहम योगदान दे रहे हैं.

बातचीत के मसले

मुशर्रफ़ इस दौरान दोनों देशों के सैनिक सहयोग पर भी बातचीत करेंगे.

अटल बिहारी वाजपेयी और हू जिंताओ
भारतीय प्रधानमंत्री जून में चीन की यात्रा पर राष्ट्रपति हू जिंताओ से मिले थे
 

चीन अब भी पाकिस्तान को हथियार देने वाला सबसे बड़ा देश है और भारत की लगातार बढ़ती सैनिक शक्ति को देखते हुए उसके लिए ये संबंध महत्त्वपूर्ण भी है.

इस बीच चीन के नेताओं ने भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों के नेताओं पर दबाव बनाया था कि वे अपने रिश्तों में लगातार बढ़ रहे तनाव कम करें.

चीन दोनों ही देशों के साथ अच्छे संबंध चाहता है जिससे वह इस क्षेत्र की महाशक्ति का अपना दर्जा और बढ़ा सके.

इस बीच बुश प्रशासन की पाकिस्तान में रुचि कुछ कम हो गई है हालाँकि अफ़ग़ानिस्तान में अस्थिरता अभी तक बनी ही हुई है.

ऐसा लग रहा है कि बुश प्रशासन इन दिनों भारत पर मेहरबान है और इसे देखते हुए पाकिस्तान को चीन से अपने रिश्ते मज़बूत करना ज़रूरी लग रहा है.

 
 
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