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शुक्रवार, 24 अक्तूबर, 2003 को 10:53 GMT तक के समाचार
 
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अँधविश्वास का एक और घिनौना रूप
 

बिहार के नवादा ज़िले के कमलपुरा गाँव में अँधविश्वास की एक अत्यंत भयावह घटना का पता चला है.

जादू-टोने में अब भी विश्वास है
अब भी कुछ लोग जादू-टोने में यक़ीन रखते हैं

गाँव के लोगों ने एक व्यक्ति शिवचरण महतो, उनकी पत्नी कारी देवी और बहू सिया देवी को गाँव में हुई एक मौत का ज़िम्मेदार ठहराया और उन पर जादू-टोने का आरोप लगाया.

नवादा के पुलिस अधीक्षक बलदेव प्रसाद ने बीबीसी हिंदी को बताया कि उन तीनों लोगों को बुरी तरह पीटा गया और महिलाओं के सिर मूँड दिए गए.

एक पुलिस अधिकारी सत्येंद्र सिंह ने एक समाचार एजेंसी से कहा कि उन लोगों को इतना प्रताड़ित किया गया कि उन्हें टट्टी तक खाने पर मजबूर कर दिया गया.

अंत में शर्म से डूबे इस परिवार ने कीटनाशक सल्फ़ास खा कर अपनी जानें दे दीं.

 

 आत्मग्लानि ने इस परिवार को इतनी बुरी तरह जकड़ लिया कि उसकी जीने की इच्छा ही समाप्त हो गई.

पुलिस अधीक्षक

 

पुलिस अधीक्षक का कहना है, "आत्मग्लानि ने इस परिवार को इतनी बुरी तरह जकड़ लिया कि उसकी जीने की इच्छा ही समाप्त हो गई".

पुलिस ने इस संबंध में एक ही परिवार के सात लोगों को नामज़द किया है और उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है.

पटना से बीबीसी संवाददाता मणिकांत ठाकुर का कहना है कि अभी तक इस तरह के अँधविश्वास आदिवासियों में ही ज़्यादा प्रचलित थे लेकिन अब यह अन्य समुदायों में भी नज़र आने लगे हैं.

अभी डेढ़ महीने पहले अकबरपुर थाने में एक मामला प्रकाश में आया था जब एक तांत्रिक ने सात दिन पहले मरे एक युवक को ज़िंदा करने की चुनौती दे डाली थी.

पुलिस अधीक्षक का कहना है कि इससे पहले कि साँप के काटने से मरे उस युवक की क़ब्र खोद कर उसका शव निकाला जाता, पुलिस मौक़े पर पहुँच गई और उस तांत्रिक को गिरफ़्तार कर लिया गया.

 
 
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