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बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के 75 साल पूरे
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बीबीसी वर्ल्ड सर्विस बुधवार को विशेष कार्यक्रमों के साथ अपनी 75वीं सालगिरह मना रही है. वर्ष 1932 में इसी दिन लंदन से बाहर
की पहली प्रसारण सेवा ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के लिए शुरू की गई थी.
उस समय इसे एंपायर सर्विस के नाम से जाना जाता था. शॉर्ट वेव रेडियो के विकास के बाद ही दूर-दराज़ के देशों के लिए प्रसारण सेवा शुरू की जा सकी थी.
ब्रिटिश शासन के दूरदराज़ के हिस्सों से संपर्क साधने के लिए इस रेडियो सेवा का इस्तेमाल किया जाता था. बीबीसी वर्ल्ड सर्विस आज 33 भाषाओं में अपनी सेवा दे रही है. दुनिया भर में हर सप्ताह इसकी सेवाओं को 18 करोड़ से ज़्यादा लोग सुनते हैं. बोलने की आज़ादी 75वीं सालगिरह के मौक़े पर विभिन्न देशों के लोगों को अभिव्यक्ति की आज़ादी और मीडिया की स्वतंत्रता पर बहस में जोड़ना बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के विशेष कार्यक्रमों का मक़सद है.
इस बहस में हिस्सा ले रहे लोगों में ऑस्ट्रेलिया के व्यंग्यकार, बर्मा के नागरिक पत्रकार (सिटिज़न जर्नलिस्ट) और ईरान, चीन और मिस्र के ब्लॉगर भी शामिल हैं. लंदन स्थित बीबीसी मुख्यालय बुश हाउस में कार्यक्रम निर्माताओं की टीम अभिव्यक्ति की आज़ादी पर लोगों के विचार जुटाएगी. ग्रीनिच मान समयानुसार शाम छह बजे दो घंटों के कार्यक्रम "वर्ल्ड हैव यॉर से" का पहला घंटा श्रोताओं को दी गई सबसे लोकप्रिय बहस पर चर्चा करेगा. दूसरे घंटे में वैसे आठ लोगों के साथ एक परिचर्चा होगी जिन्हें पूर्व में उनकी राय या काम के लिए प्रतिबंधित किया गया हो. इस कार्यक्रम में श्रोता उन लोगों से सवाल-जवाब भी कर सकेंगे. पूरे दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बनाए गए कार्यक्रम पेश किए जाएँगे. इनमें जोहान्सबर्ग, मॉस्को और बीजिंग जैसे महत्वपूर्ण ब्यूरो से बीबीसी संवाददाता अपनी बात रखेंगे. बड़े ब्यूरो के अलावा क्यूबा, यूगांडा, वेनेज़ुएला और ब्राज़ील जैसे देशों से भी बीबीसी संवाददाता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कार्यक्रम में भाग लेंगे. |
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