हरिंदर मिश्रा
येरूशलम
भारत ने पहली बार कहा है कि वो फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास को फ़लस्तीनी प्राधिकरण का एकमात्र नेता मानता है.
मध्यपूर्व के लिए भारत के विशेष दूत चिन्मय गरेख़ान इस क्षेत्र के अपने आठ दिन के दौरे में जॉर्डन और इसराइल के बाद बुधवार को फ़लस्तीनी इलाक़ों में थे जहाँ उन्होंने फ़लस्तीनी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से रामल्लाह में मुलाक़ात की.
फ़लस्तीनी राष्ट्रपति अब्बास ने चिन्मय गरेखान के साथ एक घंटे चली मुलाकात के बाद कहा, "भारत फ़लस्तीनियों का सच्चा दोस्त है जो हमेशा हमारे हित में मज़बूती से खड़ा रहा है."
साथ ही महमूद अब्बास ने कहा कि एक दानकर्ता देश के रूप में भारत की भूमिका का भी वो स्वागत करते हैं.
सहायता पैकेज
भारत रामल्लाह में फ़लस्तीनी प्रधामंत्री का दफ्तर और ग़ज़ा में एक सूचना प्रोद्योगिकी (आईटी पार्क) और दिल की बीमारियों के इलाज के लिए एक अस्पताल बना रहा है.
इसके अलावा भारत की तरफ़ से पश्चिमी तट के शहर अबु दिस में जवाहरलाल नेहरू सीनियर सेकेंडरी स्कूल भी बनाया जा रहा है.
ये सारा काम मदद भारत को फ़लस्तीनी प्राधिकरण को दिए जा रहे डेढ़ करोड़ अमरीकी डॉलर के सहायता पैकेज के अंतर्गत किया जा रहा है.
राष्ट्रपति अब्बास ने भारत के विशेष दूत को बताया कि इसराइल के प्रधानमंत्री के साथ मिलकर शांति प्रक्रिया को फिर पटरी पर लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
भारत के विशेष दूत चिन्मय गरेखान इस यात्रा में इससे पहले जॉर्डन और इसराइल का दौरा कर चुके हैं.
राष्ट्रपति अब्बास ने कहा कि वो हमास से तब तक बात नहीं करेंगे जब तक कि वो जून में ग़ज़ा पर हुए हिंसक क़ब्ज़े के लिए माफ़ी नहीं माँगता और उसके पहले की स्थिति पर वापिस नहीं लौटता.
हमास
विशेषज्ञों का कहना है कि ये बात काफ़ी महत्वपूर्ण है कि भारत अमरीका और ब्रिटेन की तरह महमूद अब्बास को फ़लस्तीनी प्राधिकरण का एकमात्र नेता मानता है.
इसका ये अर्थ भी हुआ कि इस बात से हमास भारत से नाराज़ हो सकता है.
अभी ये अभी स्पष्ट नहीं है कि भारत ग़ज़ा में अस्पताल और आई टी पार्क कैसे बनाएगा, क्योंकि ग़ज़ा में हमास की मदद के बिना ये काम कर पाना संभव नहीं होगा.
इससे पहले इसराइल ये कह चुका है कि वो मध्यपूर्व शांति प्रक्रिया में भारत की भूमिका का स्वागत करता है.
इसराइल के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि भारत की बात अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में महत्व रखती है इसीलिए वो मध्यपूर्व में भारत की भूमिका देखना चाहेगा.
अपनी इस आठ दिवसीय मध्यपूर्व यात्रा में चिन्मय गरेखान का अगला पड़ाव मिस्र और सऊदी अरब होंगे और उनकी मुलाक़ात इन देशों के नेताओं के अलावा अरब लीग के नेता अम्र मूसा से भी होनी है.