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'हर तीसरे इराक़ी को सहायता की ज़रूरत'
 
इराक़
इराक़ में एक तिहाई नागरिक ग़रीबी में जीने को मजबूर हैं
ऑक्सफ़ैम और कुछ अन्य ग़ैरसरकारी संगठनों की रिपोर्ट के अनुसार इराक़ में एक तिहाई आबादी को 'तत्काल सहायता' की आवश्यकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इराक़ी सरकार 80 लाख लोगों को पीने का पानी, खाना, साफ़-सफाई की व्यवस्था और रहने के लिए घर उपलब्ध नहीं करा पा रही है और उन्हें ‘तत्काल मदद’ की ज़रूरत है.

रिपोर्ट के मुताबिक़ इराक़ी सरकार अपने नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने में नाकाम रही है और 2003 में इराक़ पर अमरीकी हमले के बाद लगातार हिंसा के कारण इराक़ में मानवीय त्रासदी बढ़ी है.

रिपोर्ट में कहा गया कि हिंसा की वजह से लगभग 40 लाख इराक़ी नागरिकों को अपना घर छोड़ना पड़ा है.

इसमें से आधे जहां देश के भीतर ही विस्थापित हुए हैं वहीं बाकी 20 लाख पड़ोसी देशों में पलायन कर गए हैं.

कुपोषण और ग़रीबी

राजधानी बग़दाद में मौजूद बीबीसी संवाददाता का कहना है कि इराक़ में हिंसा सबसे बड़ी समस्या है. दूसरी ओर नई पीढ़ी ग़रीबी और कुपोषण में पल बढ़ रही है.

 इराक़ी सरकार अपने नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने में नाकाम रही है और 2003 में इराक़ पर अमरीकी हमले के बाद लगातार हिंसा के कारण इराक़ में मानवीय त्रासदी बढ़ी है
 
ग़ैरसरकारी संगठनों की रिपोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार इराक़ की 26.5 करोड़ की कुल आबादी में से 70 फ़ीसदी को ज़रूरत के अनुसार पानी उपलब्ध नहीं है.

जबकि अमरीकी हमले के पहले ऐसे लोगों का प्रतिशत 50 ही था. साथ ही 20 प्रतिशत लोगों को ही साफ़-सुथरा जीवन स्तर मिल रहा है.

इसी प्रकार लगभग 30 प्रतिशत इराक़ी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं जबकि चार साल पहले इससे कम बच्चे कुपोषित थे.

लगभग 15 फी़सदी इराक़ियों को नियमित भोजन उपलब्ध नहीं है और 92 फ़ीसदी बच्चों की पढ़ाई लिखाई हिंसा से बुरी तरह प्रभावित हुई है.

ऑक्सफ़ैम के निदेशक जर्मी हाब्स का कहना था,'' लंबे समय से चल रहे युद्ध और प्रतिबंधों ने इराक़ियों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित कर दिया है.''.

उनका कहना था कि हिंसा के बावजूद इराक़ी सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इन नागरिकों की ज़रूरतें पूरी करने के लिए और प्रयास करने चाहिए.

हाब्स ने कहा कि इराक़ी सरकार को बेहद ग़रीबों की मदद का संकल्प लेना चाहिए और वंचितों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि पश्चिमी दानदाताओं को इराक़ में मौजूद सहायता संगठनों के माध्यम से काम करना चाहिए और मदद के लिए अपने रूख़ में और लचीलापन लाना चाहिए.

 
 
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