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इराक़ी शरणार्थी समस्या पर सम्मेलन | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
संयुक्त राष्ट्र इराक़ के शरणार्थियों की परेशानियों की तरफ़ ध्यान खींचने के लिए एक प्रमुख सम्मेलन कर रहा है और उसका कहना है कि अंतरराषट्रीय समुदाय ने इस समस्या की अनदेखी की है. जेनेवा में हो रहे इस सम्मेलन में लगभग साठ देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी का अनुमान है कि इराक़ में जारी हिंसा की वजह से हर महीने लगभग पचास हज़ार लोग देश छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तरफ़ भाग रहे हैं और परिणामस्वरूप लगभग चालीस लाख इराक़ी देश से बाहर रहने को मजबूर हैं. इनमें से ज़्यादातर शरणार्थी पड़ोसी देशों सीरिया और जॉर्डन जा रहे हैं और इन दोनों देशों ने क़रीप बीस लाख इराक़ी शरणार्थियों को अपने यहाँ पनाह दी है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग का कहना है कि इनमें से ज़्यादातर शरणार्थी बहुत ही ख़राब हालात में रहने के लिए मजबूर हैं और उन्हें स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. इराक़ के भीतर है लगभग 19 लाख लोग बेघर हुए हैं और उनमें से बहुत से लोग अपने दोस्तों या रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं, जबकि उन दोस्तों और रिश्तेदारों के पास भी जगह और खाने-पीने की चीज़ों की किल्लत है और शरणार्थियों की भरपूर मदद कर पाने में असमर्थ नज़र आते हैं. हालात बेहद ख़राब संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के अध्यक्ष एंटोनियो गुटेरेश का कहना था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इराक़ के भीतर होने वाली उथल-पुथल पर तो गया है लेकिन मानवीय त्रासदी के इस शरणार्थी पहलू की अनदेखी की है.
एंटोनियो गुटेरेश का कहना था, "इस तथ्य की तरफ़ अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समुचित ध्यान नहीं गया है कि क़रीब चालीस लाख लोग बेघर हो गए हैं और उनमें से कुछ तो इराक़ के भीतर और बाहर बेहद ख़राब और मुश्किल हालात में जीने को मजबूर हैं." गुटेरेश ने कहा, "और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एकजुटता दिखाया जाना बेहद ज़रूरी है क्योंकि अभी तक अगर ईमानदारी से कहें तो हममें से सभी ने इस तरफ़ समुचित ध्यान नहीं दिया है." संयुक्त राष्ट्र धनी देशों, ख़ासतौर से अमरीका और यूरोपीय संघ से यह वादा चाहता है कि वे इराक़ी शरणार्थियों की समस्या का सामना करने के लिए सीरिया और जॉर्डन की सहायता करें और कुछ बहुत ही ख़राब हालात में रहने को मजबूर इराक़ी शरणार्थियों को अपने यहाँ आने की इजाज़त दें. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी का कहना है कि 1948 में इसराइल के अस्तित्व में आने के बाद से फ़लस्तीनी लोग जितनी बड़ी संख्या में बेघर हुए थे उसके बाद इराक़ ऐसा मामला है जिसमें बेघर होने वाले शरणार्थियों की संख्या सबसे ज़्यादा है. | इससे जुड़ी ख़बरें 'इराक़ी शरणार्थियों की अनदेखी'20 मार्च, 2007 | पहला पन्ना इराक़ी शरणार्थियों को पनाह देगा अमरीका15 फ़रवरी, 2007 | पहला पन्ना इराक़ी शरणार्थी योजना का स्वागत15 फ़रवरी, 2007 | पहला पन्ना हर आठ में से एक इराक़ी विस्थापित09 जनवरी, 2007 | पहला पन्ना दुनिया में शरणार्थियों की हालत चिंताजनक19 अप्रैल, 2006 | पहला पन्ना घर लौटने की आस में लाखों शरणार्थी17 अगस्त, 2005 | पहला पन्ना सबसे ज़्यादा शरणार्थी पाकिस्तान में 17 जून, 2004 | पहला पन्ना घर लौटते इराक़ी30 जुलाई, 2003 | पहला पन्ना इंटरनेट लिंक्स बीबीसी बाहरी वेबसाइट की विषय सामग्री के लिए ज़िम्मेदार नहीं है. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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