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अहमदीनेजाद की सऊदी शाह से मुलाक़ात | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने सऊदी अरब के शाह अब्दुल्ला से रियाद में मुलाक़ात की है और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार विमर्श के बाद वह स्वदेश लौट गए हैं. संवाददाताओं का कहना है कि मध्य पूर्व के दो क्षेत्रीय देशों के इन नेताओं ने जिन मुद्दों पर चर्चा की उनमें इराक़, लेबनान और फ़लस्तीनियों की स्थिति जैसे मुद्दे शामिल थे. ईरानी नेता महमूद अहमदीनेजाद ने कहा कि दोनों नेता अपने टिकाऊ संबंधों का दायरा और बढ़ाना चाहते हैं. ईरान और सऊदी अरब के नेताओं की यह मुलाक़ात ऐसे समय में हुई है जब मध्य पूर्व में शिया और सुन्नियों के बीच दरार बढ़ रही है. ग़ौरतलब है कि ईरान एक शिया बहुल देश है और सऊदी अरब सुन्नी प्रमुख देशों में गिना जाता है. संवाददाताओं का कहना है कि इन देशों के नेताओं के बीच मुलाक़ात होना भर ही यह दर्शाता है कि मध्य पूर्व में ईरान का प्रभाव बढ़ रहा है ईरान ऐसे समय में मध्य पूर्व के अन्य देशों के साथ अपने संबंध सुधारना चाहता है जब उसके परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे पर पश्चिमी देशों का दबाव बढ़ रहा है. अहमदीनेजाद के सऊदी अरब पहुँचने पर ख़ुद शाह अब्दुल्ला ने उनकी आगवानी की. इस मौक़े पर अहमदीनेजाद ने कहा दोनों देश अपने सामान्य हितों पर ध्यान देंगे. सऊदी अरब पहुँचने पर उन्होंने कहा था, "हम शाह अब्दुल्ला के साथ उस लक्ष्य पर बात करेंगे जो हमें इस्लामी दुनिया और मध्य पूर्व में साथ मिलकर हासिल करना है." अहमदीनेजाद ने कहा, "ईरान और सऊदी अरब दो ऐसे देश हैं जिनके संबंध हाल के समय में आगे बढ़ रहे हैं और उनका दायरा भी बढ़ रहा है और हम अपने इन टिकाऊ संबंधों को और बढ़ाने में दिलचस्पी रखते हैं." उत्सुक नज़र बीबीसी संवाददाता जोनाथन मार्कस का ख़याल है कि ईरान मध्य पूर्व में एक क्षेत्रीय ताक़त के रूप में उभर रहा है, ख़ासतौर से अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान और इराक़ में सद्दाम हुसैन के शासन के ख़ात्मे के बाद ईरान अपना प्रभाव बढ़ाने में कामयाब हो रहा है.
ईरान में अब शिया अब एक असरदार ताक़त बनकर उभर चुके हैं, जबकि लेबनान और फ़लस्तीनी क्षेत्रों में ईरान का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है, उधर सुन्नी सरकार वाले देश जॉर्डन और सऊदी अरब ईरान की बढ़ती ताक़त को उत्सुक नज़रों से देख रहे हैं. लेबनान और इराक़ में ईरान और सऊदी अरब ख़ुद को ऐसी ताक़तों के साथ जुड़ा पाते हैं जो एक दूसरे की धुर विरोधी नज़र आती हैं. महमूद अहमदीनेजाद ने कहा कि अगर लेबनान ने अपनी राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए मदद की गुज़ारिश की तो वह मदद के लिए तैयार है. दुसरी तरफ़ उन्होंने इराक़ में गड़बड़ी फैलाने के अमरीका के आरोपों की तरफ़ ध्यान दिलाते हुए कहा, "हमें इराक़ियों को अपने ख़ुद के फ़ैसले लागू करने और ख़ुद ही सुरक्षा हालात बेहतर बनाने का मौक़ा देना चाहिए." बीबीसी संवाददाता का कहना है कि इस नाज़ुक मोड़ पर ईरान और सऊदी अरब के नेताओं की मुलाक़ात होना काफ़ी प्रासंगिक है क्योंकि शिया-सुन्नी दरार के नियंत्रण से बाहर होने में किसी भी देश का कोई फ़ायदा नहीं है. बीबीसी संवाददाता के अनुसार इराक़ पर निकट भविष्य में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन से पहले हुई इस अहम मुलाक़ात से यह संदेश भी मिलता है कि कोई नई सहमति भी बनी है. | इससे जुड़ी ख़बरें इराक़ के सम्मेलन में अमरीका भी शामिल27 फ़रवरी, 2007 | पहला पन्ना 'ईरान की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा'26 फ़रवरी, 2007 | पहला पन्ना 'ब्रेक और रिवर्स गियर नहीं है' 25 फ़रवरी, 2007 | पहला पन्ना ब्रिटेन में बड़े पैमाने पर युद्ध विरोधी प्रदर्शन24 फ़रवरी, 2007 | पहला पन्ना अहमदीनेजाद परमाणु कार्यक्रम पर अड़े23 फ़रवरी, 2007 | पहला पन्ना ईरान पर प्रतिबंध सख़्त होने की संभावना22 फ़रवरी, 2007 | पहला पन्ना 'ईरान परमाणु लक्ष्य हासिल करेगा'21 फ़रवरी, 2007 | पहला पन्ना राष्ट्रपति बुश ने ईरान पर दबाव बढ़ाया14 फ़रवरी, 2007 | पहला पन्ना इंटरनेट लिंक्स बीबीसी बाहरी वेबसाइट की विषय सामग्री के लिए ज़िम्मेदार नहीं है. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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