बुधवार, 17 जनवरी, 2007 को 16:12 GMT तक के समाचार
इराक़ के एक प्रभावशाली शिया नेता अब्दुल अज़ीज़ अल हकीम ने देश में कुछ ईरानियों को पकड़ने की अमरीकी कार्रवाई की निंदा की है और इसे देश की संप्रभुता पर एक हमला बताया है.
इराक़ में इस्लामी क्रांति के लिए सर्वोच्च परिषद के नेता अब्दुल अज़ीज़ अल हकीम ने बीबीसी के साथ एक इंटरव्यू में यह बात कही है.
ईरान के प्रति अमरीकी रूख़ के ख़िलाफ़ इराक़ से आई यह अब तक की सबसे सख़्त प्रतिक्रिया है.
अमरीकी सैनिकों ने इराक़ में दो स्थानों पर हमले करके कुछ ईरानी राजनयिकों और कर्मचारियों को पकड़ लिया था.
राजधानी बग़दाद में मौजूद बीबीसी संवाददाता एंड्रयू नॉर्थ का कहना है कि अब्दुल अज़ीज़ अल हकीम के इस बयान को काफ़ी महत्व दिया जा रहा है क्योंकि उन्हें अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के काफ़ी नज़दीकी समझा जाता है.
साल 2006 के आख़िर में कुछ अमरीकी सैनिकों ने अब्दुल अज़ीज़ अल हकीम के घर पर छापा मारा था और दो ईरानी अधिकारियों को हिरासत में ले लिया था. बाद में उन अधिकारियों को छोड़ दिया गया था.
लेकिन पिछले ही सप्ताह इरबील शहर में मौजूद ईरानी वाणिज्य दूतावास पर अमरीकी सैनिकों ने छापा मारकर पाँच ईरानी अधिकारियों को हिरासत में ले लिया था. उन्हें अभी नहीं छोड़ा गया है.
अमरीकी अधिकारियों का कहना है कि उन पाँच ईरानी अधिकारियों का संबंध ईरानी क्रांतिकारी गार्ड से है जिन पर आरोप है कि वे इराक़ी विद्रोहियों को हथियार और प्रशिक्षण देते हैं.
ईरान ने अपने पाँचों अधिकारियों को तुरंत रिहा करने की मांग की है और कहा है कि वे पाँचों राजनयिक विभाग के अधिकारी हैं और वे अपना वैध काम कर रहे थे.
अब्दुल अज़ीज़ अल हकीम ने कहा, "ईरान की स्थिति जो भी हो, हम इस तरह की कार्रवाई को ग़लत समझते हैं. वे एक तरह से इराक़ की संप्रभुता पर हमला है और उम्मीद करते हैं कि इस तरह की कार्रवाइयों को दोहराया नहीं जाएगा."
इराक़ के विदेश मंत्री होशियार ज़ेबारी ने रविवार को कहा था कि उनका देश ईरान के साथ रचनात्मक संबंध बनाना चाहता है.
ज़ेबारी ने कहा था, "हम इस भौगोलिक वास्तविकता को नहीं बदल सकते हैं कि ईरान हमारा पड़ोसी देश है. यह एक बहुत ही नाज़ुक संतुलन है और हमें बहुत ही बारीक लाइन पर चलना पड़ रहा है."
ज़ेबारी ने कहा, "हम अमरीका की नीतियों, विचारों और रणनीति का पूरी तरह सम्मान करते हैं क्योंकि वह हमारा एक बहुत ही मज़बूत सहयोगी देश है लेकिन इराक़ सरकार के ख़ुद अपने भी कुछ राष्ट्रीय हित हैं."