रविवार, 03 दिसंबर, 2006 को 14:57 GMT तक के समाचार
इराक़ के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने मौत की सज़ा के ख़िलाफ़ अपील की है. पिछले महीने इराक़ की एक अदालत ने दुजैल नरसंहार के मामले में उन्हें मौत की सज़ा सुनाई थी.
सद्दाम हुसैन के वकीलों ने अपील की समयसीमा ख़त्म होने के दो दिन पहले ये अपील दायर की है. अब नौ जजों का एक पैनल अपील पर सुनवाई करेगा.
दुजैल मामले में फ़ैसला आने के बाद सद्दाम हुसैन के ख़िलाफ़ कुर्दों के नरसंहार के मामले में भी मुक़दमा चल रहा है.
वर्ष 1982 में दुजैल में 148 लोगों की हत्या के लिए अदालत ने सद्दाम हुसैन और अन्य लोगों को दोषी ठहराया था.
सद्दाम हुसैन के अलावा उनके सौतेले भाई बरज़ान अल तिकरिती और इराक़ के पूर्व मुख्य जज अवाद हामिद अल बंदर को भी मौत की सज़ा मिली थी.
इसी मामले में पूर्व उपराष्ट्रपति ताहा यासीन रामादान को आजीवन कारावास और तीन अन्य लोगों को 15 साल क़ैद की सज़ा मिली थी. लेकिन बाथ पार्टी के अधिकारी मोहम्मद अज़ावी अली को बरी कर दिया गया.
आरोप
सद्दाम हुसैन के वकीलों का आरोप है कि सरकार ने इस मुक़दमे में हस्तक्षेप किया. इस शिकायत का मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी समर्थन किया है.
अभियोग पक्ष के मुख्य वकील जाफ़र अल मुसावी ने बताया कि रविवार को बचाव पक्ष के वकीलों ने सद्दाम हुसैन और दो अन्य लोगों को सुनाई गई मौत की सज़ा के ख़िलाफ़ अपील की.
इराक़ी क़ानून के तहत तीनों को अपील करने का अधिकार है. अपील पर सुनवाई करने वाले नौ जजों का पैनल फ़ैसले के किसी भी हिस्से में संशोधन कर सकता है.
लेकिन इराक़ी क़ानून ये भी कहता है कि अगर अपील के बावजूद सज़ा बहाल रहती है तो 30 दिनों के अंदर मौत की सज़ा पर अमल होना ज़रूरी है.
इराक़ के प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी पहले ही कह चुके हैं कि अगर सज़ा बहाल रहती है तो जितना जल्द हो सके, उस पर अमल किया जाएगा.
सद्दाम हुसैन को मौत की सज़ा सुनाए के बाद इराक़ में जातीय हिंसा में एकाएक तेज़ी आ गई है. अमरीकी और इराक़ी नेताओं ने भी देश की सुरक्षा नीति की समीक्षा की बात कही है.
इराक़ के आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय का कहना है कि नवंबर में बड़ी संख्या में आम नागरिक मारे गए हैं. नवंबर में मारे गए लोगों की संख्या में 44 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.