सोमवार, 13 नवंबर, 2006 को 09:42 GMT तक के समाचार
विशेषज्ञों के अंतरराष्ट्रीय दल ने संयुक्त राष्ट्र को दी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इसराइल-फ़लस्तीनी विवाद को तुरंत हल किए जाने की ज़रुरत है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह समस्या मुस्मिल समाज और पश्चिमी देशों के बीच बढ़ती खाई की जड़ है.
इस रिपोर्ट का समर्थन करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफ़ी अन्नान ने कहा है कि अरब-इसराइल विवाद एकमात्र क्षेत्रीय विवाद नहीं है लेकिन यह विवाद लोगों को भावनात्मक रुप से जितना उकसाता है उतना और कोई विवाद नहीं भड़काता.
उन्होंने कहा है कि 2001 में अमरीका पर हुआ हमला, मध्यपूर्व का युद्ध और पश्चिमी देशों में पैगम्बर मोहम्मद के कार्टून का प्रकाशन से बड़ा तनाव पैदा हुआ.
हालांकि कोफ़ी अन्नान ने इसे सभ्यताओं के बीच न ख़त्म होने वाला संघर्ष मानने से इनकार किया.
रिपोर्ट
यह रिपोर्ट रोमन कैथोलिक स्पेन और मुस्लिम देश तुर्की ने मिलकर तैयार करवाई है.
बीस महत्वपूर्ण हस्तियों के इस दल में नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले आर्चबिशप डेसमंड टुटू और पूर्व ईरानी राष्ट्रपति मोहम्मद ख़ातमी शामिल हैं.
इस दल में भारत से 'हिंदुस्तान टाइम्स' समाचार पत्र समूह की प्रबंध निदेशक शोभना भरतिया सदस्य के रुप में शामिल थीं.
संयुक्त राष्ट्र की एक पहल - 'एलांयस ऑफ़ सिविलाइजेशन्स' यानी 'सभ्यताओं के संगम' के तहत इन प्रमुख लोगों ने ये रिपोर्ट तैयार की है.
विशेषज्ञों का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र को इस समस्या को लेकर अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए.
उनका मानना है कि एक उच्च स्तरीय समूह का गठन किया जाना चाहिए जो संकट के समय तनाव कम करने में सक्षम हो.
इस दल ने इस्तांबुल में संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफ़ी अन्नान को अपनी रिपोर्ट सौंपी.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी देशों और मुस्लिम देशों के बीच डर और संदेह का रिश्ता बन गया है और इन दोनों के बीच की एक सेतु बनाए जाने की ज़रुरत जितनी आज है उतनी इससे पहले कभी नहीं थी.
विशेषज्ञों के दल ने कहा है कि इस खाई की बड़ी वजह समस्या को अनदेखा करना रही है.
उनका कहना है कि मुस्लिम देशों में शिक्षा और मीडिया को लेकर लंबी अवधि की योजनाएँ बनाए जाने की ज़रुरत है.