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इसराइल ने 'दुखद ग़लती' की बात मानी | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
इसराइल ने स्वीकार किया है कि लेबनान में हिज़्बुल्ला के ख़िलाफ़ लड़ाई के दौरान एक संयुक्त राष्ट्र चौकी पर हुई बमबारी 'दुखद भूल' का नतीजा थी जिसमें संयुक्त राष्ट्र के चार शांति सैनिक मारे गए थे. इसराइली सरकार ने उस घटना की जाँच के आदेश दिए थे और जाँच में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र की चौकी को ग़लती से निशाना बनाया गया और यह ग़लती सैन्य नक्शों में त्रुटियों की वजह से हुई. दक्षिणी लेबनान में ख़ायम में संयुक्त राष्ट्र चौकी पर इसराइली बमबारी में चीन, ऑस्ट्रिया, फिनलैंड और कनाडा के पर्यवेक्षक मारे गए थे. संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि उस बमबारी से पहले इसराइल से कई बार संपर्क किया गया था और उस इलाक़े में गोलीबारी रोकने को कहा गया था. समझा जाता है कि संयुक्त राष्ट्र की चौकी पर 26 जुलाई को अचूक निशाने वाले बमों से हमला किया गया था. संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफ़ी अन्नान ने उस समय उस हमले को "संभवतः जानबूझकर" किया गया हमला बताया था. इसराइली प्रधानमंत्री एहूद ओलमर्ट ने उस हमले में शांति सैनिकों की मौत पर "गहरा दुख" व्यक्त किया था. नाज़ुक संबंध इसराइली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मार्क रीगेव ने कहा है कि ख़ायम बमबारी की जाँच करने वाली इसराइली समिति ने पाया है कि उस इलाक़े में सैनिकों की तैनाती के सिलसिले में जो नक्शे उपलब्ध कराए गए उनमें कहीं कुछ त्रुटियाँ रह गईं.
प्रवक्ता ने कहा, "उस प्रक्रिया में, दुर्भाग्य से संयुक्त राष्ट्र की चौकी को सही तरीके से नहीं दर्शाया गया था. जब हमारे विमानों ने हमला किया तो उन्होंने सोचा था कि वे हिज़्बुल्ला के ठिकाने को निशाना बना रहे हैं." इसराइली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मार्क रीगेव ने बीबीसी बातचीत में उस घटना को "दुखद भूल, एक ग़लती" बताया. रीगेव ने कहा कि जाँच रिपोर्ट उन सभी चारों देशों को भेज दी गई है जिनके शांति सैनिक उस हमले में मारे गए थे. संयुक्त राष्ट्र उस घटना की जाँच अपने तरीके से कर रहा है. फिलहाल संयुक्त राष्ट्र और इसराइल दक्षिणी लेबनान में शांति स्थापना के सिलसिले में संवेदनशील विचार-विमर्श कर रहे हैं. साथ ही इसराइल और फ़लस्तीनियों के बीच नए संबंध बनाने की भी कोशिश की जा रही है. येरूशलम में बीबीसी संवाददाता जिल मिकगिवरिंग का कहना है कि उस घटना के बारे में विरोधाभासी रिपोर्टों और बयानों की वजह से नाज़ुक संबंधों पर असर पड़ सकता है. | इससे जुड़ी ख़बरें 'मौत पर खेद, लेकिन युद्धविराम नहीं'30 जुलाई, 2006 | पहला पन्ना संयुक्त राष्ट्र ने की संघर्षविराम की अपील29 जुलाई, 2006 | पहला पन्ना लेबनान संकट: मूल कारण और समाधान28 जुलाई, 2006 | पहला पन्ना 'इसराइली बमबारी में 600 मारे गए'27 जुलाई, 2006 | पहला पन्ना चेतावनियाँ नज़रअंदाज़ की गईं26 जुलाई, 2006 | पहला पन्ना अन्नान का तुरंत युद्धविराम का आग्रह26 जुलाई, 2006 | पहला पन्ना इसराइली हमलों में पर्यवेक्षकों की मौत25 जुलाई, 2006 | पहला पन्ना 'काश! हम कुछ कर सकते'25 जुलाई, 2006 | पहला पन्ना इंटरनेट लिंक्स बीबीसी बाहरी वेबसाइट की विषय सामग्री के लिए ज़िम्मेदार नहीं है. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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