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रविवार, 11 जून, 2006 को 22:08 GMT तक के समाचार

एमनेस्टी ने लगाया चीन पर आरोप

मानवाधिकार मामलों की देख रेख करने वाली जानी मानी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने चीन पर हथियारों की बिक्री के ज़रिए विभिन्न देशों में संघर्ष को और बढ़ाने का गंभीर आरोप लगाया है.

एमनेस्टी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने बर्मा, नेपाल और सूडान जैसे देशों को हथियार और अन्य सैन्य उपकरण बेचे हैं जिससे इन देशों में चल रहा संघर्ष और दमन का वातावरण बढ़ा है.

संस्था का कहना है कि चीन दुनिया भर में हथियारों का सबसे बड़ा निर्यातक बनता जा रहा है लेकिन उसका स्वभाव बहुत ही ग़ैर ज़िम्मेदाराना और ख़तरनाक है.

एमनेस्टी के अनुसार चीन एकमात्र ऐसा हथियार निर्यातक देश है जिसने अभी तक हथियारों के व्यापार संबंधी दिशा निर्देशों से जुड़ी संधियों पर हस्ताक्षर नहीं किया है.

चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है वो एमनेस्टी द्वारा लगाए गए आरोपों का अध्ययन कर रहे हैं और फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती.

चीन में मौजूद बीबीसी संवाददाता का कहना है कि चीन हथियारों की बिक्री के मामले में अपने को " ज़िम्मेदार और सतर्कतापूर्ण बर्ताव" करने वाला मानता है और उम्मीद है कि इस रिपोर्ट पर उसकी प्रतिक्रिया कुछ ऐसी ही होगी.

चीन की ओर से परमाणु तकनीक और लंबी दूरी के मिसाइलों के हस्तांतरण को लेकर पहले ही काफी आरोप लग चुके हैं लेकिन एमनेस्टी का कहना है कि पारंपरिक हथियारों के कारण मानवाधिकारों का सबसे अधिक उल्लंघन होता है.

संगठन का कहना है कि चीन को अपने हथियारों की बिक्री के मामले में अपने नियमों को और कड़ा करना चाहिए.

एमनेस्टी ने यहां तक कहा है कि चीन के व्यवहार को देखते हुए पूरी दुनिया में हथियारों के व्यापार के संबंध में एक समग्र और कड़ी हथियार व्यापार संधि की आवश्यकता महसूस की जा रही है.