|
इराक़ में तनाव और कर्फ़्यू | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
इराक़ में गुरूवार को जातीय हिंसा में 130 लोगों की मौत के बाद सरकार ने शुक्रवार को राजधानी बग़दाद और आसपास के कुछ प्रांतों में कर्फ़्यू लगा दिया और इस दौरान सुरक्षा बलों को उच्च सतर्कता पर रखा गया. कर्फ़्यू के दौरान बग़दाद की सड़कें सूनी रहीं. इससे पहले प्रधानमंत्री ने इमामों से अनुरोध किया था कि वे शुक्रवार की नमाज़ के ख़ुतबों में शिया और सुन्नियों की एकता के पक्ष में बात करें. शिया नेताओं ने अमन बनाए रखने का आहवान किया है. राष्ट्रपति के एक प्रवक्ता ने कहा कि स्थिति को बहुत गंभीरता से लिया जा रहा है और इसे सद्दाम हुसैन का शासन ख़त्म होने के बाद से यह बहुत गंभीर स्थिति बताया गया है. शिया और सुन्नी मुसलमानों में हिंसा का दौर तब शुरू हुआ जब बुधवार को एक बम विस्फोट में समारा में शियाओं के पवित्र स्थल अल अस्करी मज़ार का स्वर्ण गुंबद ध्वस्त हो गया था. उसके बाद देश भर में शिया और सुन्नियों के बीच हमले शुरू हो गए थे और सुन्नियों की अनेक मस्जिदों को निशाना बनाया गया. एक नाके पर बड़े पैमाने पर गोलीबारी हुई और दोनों समुदायों के चरमपंथियों के बीच भी लड़ाई की ख़बरें हैं. इस हिंसा की वजह से राजनीतिक मतभेद भी बढ़ गए हैं और एक गठबंधन सरकार बनाने के लिए हो रही बातचीत भी एक अहम मोड़ पर आ गई है. बीबीसी संवाददाता मैथ्यू कॉलिन का कहना है कि कर्फ़्यू का लगाया जाना यह दर्शाता है कि अधिकारी ख़ासतौर से शुक्रवार की नमाज़ को लेकर चिंतित हैं क्योंकि उस मौक़े पर जातीय हिंसा और बढ़ सकती है. पिछले कुछ दिनों की घटनाओं से यह आशंका बढ़ गई है कि इराक़ में गृहयुद्ध ना भड़क उठे. लेकिन इराक़ी विदेश मंत्री होशिया ज़ेबारी ने कहा है कि देश को गृहयुद्ध में नहीं जाने दिया जाएगा. ज़ेबारी ने कहा, "सरकार, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और देश भर के धार्मिक नेता इस कोशिश में लगे हुए हैं कि जातीय हिंसा को किसी भी क़ीमत पर रोका जाए. यह देश की स्थिरता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है." आरोप-प्रत्यारोप शिया और सुन्नी समुदायों के कुछ नेताओं ने हिंसा के लिए एक दूसरे समुदायों पर आरोप लगाया है लेकिन ताक़तवर शिया मौलवी मुक़्तदर अल सद्र ने दोनों ही समुदायों से एक दूसरे पर हमले रोकने का आहवान किया है.
सद्र ने कहा, "मैं संयम बरतने वाले इराक़ी लोगों और मुजाहिदों को यह पैग़ाम देना चाहता हूँ - हमारे देश पर जो विदेशी ताक़तों का क़ब्ज़ा है उसकी वजह से हमारे अंदर विद्रोही भावना है. हमें अपने दृढ़ संकल्प, एकता और मज़बूती को कमज़ोर नहीं होने देना है." "शियाओं और सुन्नियों की मस्जिदों पर इस तरह से हमले हो रहे हैं जैसे कि हम दोनों समुदाय एक दूसरे के दुश्मन हों. नहीं ऐसा नहीं है, हम भाई-भाई हैं." मुक़्तदा अल सद्र ने कहा है कि उनके कुछ कार्यकर्ता सुन्नी मस्जिदों की हिफ़ाज़त कर रहे हैं. इराक़ी राष्ट्रपति जलाल तालाबानी ने गुरूवार को सभी राजनीतिक गुटों की आपात बैठक बुलाकर तनाव को कम करने की कोशिश की थी लेकिन मुख्य सुन्नी दल इराक़ी एकॉर्ड फ़्रंट ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया था. इराक़ी एकॉर्ड फ़्रंट के एक घटक दल इराक़ी इस्लामी पार्टी के लंदन में प्रवक्ता फ़रीद साबरी ने आरोप लगाया कि इराक़ सरकार सुन्नियों की मस्जिदों की हिफ़ाज़त करने में नाकाम रही है. उन्होंने कहा, "हम उम्मीद कर रहे थे कि सरकार मुश्किल वक़्त में हमारी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी लेगी लेकिन पिछले दो दिनों में समस्या यह रही है कि 130 लोगों को घरों से निकाल कर इसलिए मार दिया गया क्योंकि वे सुन्नी थे. इसके अलावा 168 मस्जिदों को जला दिया गया." सुन्नी नेताओं ने तो यहाँ तक कह दिया है कि वे गठबंधन सरकार के गठन के लिए चल रही बातचीत से हाथ खींच सकते हैं जिसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं. दूसरी तरफ़ बहुत से इराक़ी नेताओं ने उम्मीद जताई है कि राजनीतिक प्रक्रिया देश को जातीय संकट से बाहर निकाल लेगी. | इससे जुड़ी ख़बरें इराक़ में हिंसा में 130 लोग मारे गए23 फ़रवरी, 2006 | पहला पन्ना इराक़ में शिया-सुन्नी हिंसा भड़की23 फ़रवरी, 2006 | पहला पन्ना बसरा में 11 सुन्नी क़ैदियों की हत्या23 फ़रवरी, 2006 | पहला पन्ना अल हादी और अल अस्करी मज़ार22 फ़रवरी, 2006 | पहला पन्ना वीडियोः अल अस्करी मज़ार को नुक़सान22 फ़रवरी, 2006 | पहला पन्ना | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||