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'आतंकवाद विरोधी नीति से मानवाधिकार पर आँच' | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि पश्चिमी देशों और ख़ासकर अमरीका की आतंकवाद विरोधी नीति के कारण मानवाधिकार की सुरक्षा को नुक़सान पहुँच रहा है. संगठन ने कहा है कि यूरोपीय संघ के देश भी व्यापार समझौते पर आतंकवाद के ख़िलाफ़ क़दमों पर सहयोग के लिए मानवाधिकार की अनदेखी कर रहा है. अपनी वार्षिक रिपोर्ट में ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि यूरोपीय संघ के देशों में ख़ासकर ब्रिटेन व्यापार समझौते के लिए रूस और सऊदी अरब में हो रहे अत्याचारों की अनदेखी कर रहा है. संगठन ने अमरीका पर संदिग्ध चरमपंथियों को पूछताछ के दौरान प्रताड़ित किए जाने का आरोप भी लगाया है. अमरीका ने इस रिपोर्ट को यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया है कि यह तथ्यों के बजाए राजनीतिक एजेंडे पर आधारित है. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता स्कॉट मैक्लीलेन ने कहा कि अमरीका किसी भी अन्य देशों की तुलना में स्वतंत्रता और मानवाधिकार को बढ़ावा देने के लिए काम करता है. उन्होंने कहा, "हमने अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ में पाँच करोड़ लोगों को आज़ादी दी है. इन लोगों को पहले दबाया जाता था. अब ये लोग आज़ादी से रह रहे हैं. अब इन लोगों के पास मानवाधिकार है, जो पहले कभी नहीं था." उन्होंने कहा कि ह्यूमन राइट्स वॉच को अमरीका पर नहीं उन देशों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए जहाँ लोगों को आज़ादी नहीं है. ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट पर यूरोपीय देशों की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. यूरोपीय संघ संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी के नेताओं में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से अपने क़रीबी रिश्ते दिखाने की होड़ मची रहती है जबकि चेचेन्या में मानवाधिकार को लेकर चिंता बनी हुई है.
ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि यूरोपीय संघ अमरीका की क़ैद से 'ग़ायब हो रहे संदिग्ध चरमपंथियों' के मामले में अमरीका से निपटने में नाकाम रहा है. संगठन ने कहा है कि फ़्रांस और जर्मनी चीन से हथियारों की ख़रीद-बिक्री पर लगी पाबंदी हटाने के लिए दबाव डाल रहे हैं. जबकि 1989 में तिनामेन स्क्वेयर पर प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई के लिए ज़िम्मेदार लोगों पर कार्रवाई के मामले में प्रगति नहीं हुई है. रिपोर्ट में ब्रिटेन की इस बात के लिए खिंचाई की गई है कि सऊदी अरह के ख़राब मानवाधिकार रिकॉर्ड के बावजूद वह इस बात की ज़ोर-शोर से कोशिश कर रहा है कि सऊदी अरब ब्रिटेन से हथियार ख़रीदे. अन्य देशों के बारे में ह्यूमन राइट्स वॉच की टिप्पणी इराक़ में अमरीका विरोधी विद्रोहियों के साथ-साथ अमरीकी और इराक़ी सेना की कार्रवाई के कारण वहाँ की स्थिति में लगातार गिरावट आ रही है. संगठन को इस बात की भी चिंता है कि अमरीकी सैनिक आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए ऐहतियात नहीं बरत रहे. पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने 1999 में सत्ता संभालने के बाद से महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की अनदेखी की है. वहाँ राजनीतिक विरोधियों को हिरासत में ले लिया जाता है और मीडिया को डराया-धमकाया जाता है. चीन ने प्रगति तो की है लेकिन वहाँ अभी भी एक पार्टी का ही शासन है. चीन मौत की सज़ा देने और अल्पसंख्यों को प्रताड़ित करने के मामले में दुनिया में आगे है. नेपाल में सरकारी सेना और माओवादी विद्रोही अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों का लगातार उल्लंघन करने में लगे हैं. उत्तर कोरिया दुनिया का सबसे बड़ा दमनकारी देश बना हुआ है. यहाँ नागरिकों को बुनियादी आज़ादी भी उपलब्ध नहीं है. नेपाल में राजा के सत्ता संभालने के बाद हथियारों की बिक्री रोकने पर भारत की सराहना की गई है. किर्ग़िस्तान की प्रशंसा भी हुई है क्योंकि उज़्बेकिस्तान के अंदिजान में सरकारी कार्रवाई के बाद उसने 400 लोगों को अपने यहाँ शरण दी. |
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