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नेतन्याहू कट्टर दक्षिणपंथी नेता रहे हैं | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
इसराइल पूर्व प्रधानमंत्री और दक्षिणपंथी लिकुद पार्टी के नेता बेन्यामिन नेतन्याहू देश के इतिहास में सबसे ज़्यादा दक्षिणपंथी विचारों वाले और विवादास्पद नेता रहे हैं. 1999 में अपनी हार के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में एक बार फिर वापसी की है. प्रधानमंत्री अरियल शेरॉन उनके लंबे समय से प्रतिद्वंद्वी रहे हैं और उन्होंने नवंबर 2005 में लिकुद पार्टी के नेतृत्व छोड़ने की घोषणा की थी जिसके बाद पार्टी के नए नेता के लिए चुनाव का रास्ता बना था. नेतन्याहू ने फ़लस्तीनी क्षेत्रों - ग़ज़ा पट्टी और पश्चिमी तट से यहूदी बस्तियाँ हटाने की शेरॉन की योजना का विरोध किया था और विरोध स्वरूप शेरॉन मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया था. नेतन्याहू शेरॉन सरकार में वित्त मंत्री थे. 2003 में शेरॉन सरकार के चुने जाने के बाद उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया था. यह ज़िम्मेदारी उन्होंने इस शर्त पर संभाली थी कि प्रधानमंत्री शेरॉन उन्हें महत्वपूर्ण आर्थिक मुद्दों पर खुली आज़ादी देंगे. उससे पहले वह शेरॉन सरकार में ही तीन महीने के लिए विदेश मंत्री भी रह चुके थे. युवा प्रधानमंत्री नेतन्याहू देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री भी रहे हैं. तीन साल का उनका वह कार्यकाल छोटा ज़रूर था लेकिन काफ़ी नाटकीय रहा. वह 1996 में देश के प्रधानमंत्री चुने गए थे लेकिन बहुत ही कम अंतर से और उनका चुनाव इसराइली राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ कहा जाता है.
नेतन्याहू अपने समर्थकों के लिए एक युवा, आकर्षक और ऊर्जावान व्यक्तित्व वाले, अंग्रेज़ी में निपुण और पश्चिमी मीडिया की नब्ज़ को अच्छी तरह समझने वाले राजनीतिज्ञ थे. अगर कम शब्दों में कहें तो आज के दौर के नेता. नेतन्याहू अपने दोस्तों में बीबी के नाम से जाने जाते हैं. वह उस पीढ़ी के नेता हैं जो यहूदी देश के रूप में इसराइल के जन्म के बाद पैदा हुई है और प्रधानमंत्री पद तक पहुँचने वाले पहले नेता. पूर्व प्रधानमंत्री यित्ज़ाक रबीन और शिमॉन पेरेज़ ने अपने देश के लिए सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित करने के वास्ते कुछ क्षेत्र अरबों को वापिस लौटाने की हिमायत की थी लेकिन बेन्यामिन नेतान्याहू का विचार रहा है कि सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है. उनका रुख़ रहा है कि अरबों को ज़मीन वापसी धीरे-धीरे होगा और बदले में फ़लस्तानियों को चरमपंथी हिंसा में कमी करनी होगी. आरोप 1998 में वाई नदी शांति समझौते पर दस्तख़त करने वाले बेन्यामिन नेतन्याहू अब मौजूदा हिंसा के माहौल में एक फ़लस्तीनी राष्ट्र के निर्माण के विचार को ख़ारिज करते हैं.
1999 में जब उन्होंने प्रधानमंत्री पद छोड़ा था तो उनकी वापसी के बारे में सोचना अकल्पनीय लगता था, ख़ासतौर से जब उनके और उनकी पत्नी के ख़िलाफ़ चोरी और रिश्वतखोरी की जाँच चल रही थी. उन पर अन्य आरोपों के साथ-साथ ये भी आरोप लगे थे कि उनके परिवार ने ऐसे बहुत से तोहफ़े अपने पास रख लिए जो देश के ख़ज़ाने को दिए जाने चाहिए थे. लेकिन बेन्यामिन नेतन्याहू अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का खंडन करते रहे हैं और उनका कहना रहा है कि उन्होंने कोई ग़लत काम नहीं किया. ये आरोप बाद में वापिस ले लिए गए थे. बेन्यामिन नेतन्याहू की किशोरावस्था के दिनों में उनका परिवार अमरीका चला गया था और नेतान्याहू की शिक्षा अमरीका में ही हुई. इसराइल लौटने पर उन्होंने क़रीब पाँच साल सेना में काम किया. सेना की नौकरी के बाद वह फिर अमरीका चले गए और हारवर्ड विश्वविद्यालय और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से पढ़ाई की. 1981 में उन्हें वाशिंगटन में इसराइली दूतावास में एक नौकरी मिली थी. उस वक़्त उनके मित्र और बाद में इसराइल के विदेश मंत्री रहे मोशे अरेन्स वाशिंगटन में इसराइल के राजदूत थे. उन्हीं दिनों अमरीका में टेलीविज़न पर नेतन्याहू एक जाना पहचाना चेहरा बन गए और इसराइली नीति का उन्हें प्रबल और प्रभावशाली समर्थक माना जाने लगा था. बाद में नेतन्याहू संयुक्त राष्ट्र में इसराइल के दूत भी रहे और वहाँ भी उन्हें कामयाब राजनयिक माना गया. | इससे जुड़ी ख़बरें इसराइल में मार्च में होंगे चुनाव23 नवंबर, 2005 | पहला पन्ना 'लिकुड पार्टी के साथ रहना मुश्किल था'22 नवंबर, 2005 | पहला पन्ना शेरॉन ने पार्टी छोड़ी, चुनाव की माँग20 नवंबर, 2005 | पहला पन्ना सरकार से हटने के पक्ष में मतदान20 नवंबर, 2005 | पहला पन्ना | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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