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संयुक्त राष्ट्र ने अमरीकी न्यौता ठुकराया | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
संयुक्त राष्ट्र ने क्यूबा के ग्वांतनामो बे शिविर का दौरा करने का अमरीकी न्यौता यह कहते हुए ठुकरा दिया है कि वह इस मामले में प्रतिबंधों को स्वीकार नहीं कर सकता. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि अमरीका ने ग्वांतनामो बे शिविर में रखे गए बंदियों से अकेले में बातचीत करने का अधिकार देने से इनकार कर दिया था. प्रताड़ना पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि मैनफ्रेड नोवाक ने बीबीसी से कहा, "अमरीकी रक्षा मंत्रालय ने बंदियों से मिलने की इजाज़त नहीं देने की जो शर्त लगाई है वह अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी नहीं उतरती और इसके लिए कोई ठोस कारण भी नहीं बताया गया है." संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा, "बंदियों की स्थिति का निष्पक्ष और वास्तविक जायज़ा लेने के लिए बंदियों से अकेले में बातचीत करना ज़रूरी था." ग़ौरतलब है कि ग्वांतनामो बे में अमरीकी नोसैनिक अड्डे में लगभग 500 बंदी रखे गए हैं जिनपर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का संदेह है. अभी सिर्फ़ रेडक्रॉस को ही उन बंदियों से मिलने की इजाज़त दी गई है और यह संस्था अपनी रिपोर्ट सिर्फ़ अमरीकी अधिकारियों को ही देती है. माँग और आरोप मानवाधिकार संगठनों ने ग्वांतनामो बे शिविर में रखे गए बंदियों के साथ बर्ताव पर लगातार चिंताएँ ज़ाहिर की है. बहुत से बंदी भूख हड़ताल भी करते रहे हैं.
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को उन बंदियों से मिलने की इजाज़त देने की माँग इस साल तब और बढ़ने लगी जब ग्वांतनामो बे शिविर में बंदियों के साथ दुर्व्यवहार के आरोप सामने आए. संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी जनवरी 2002 से ही ग्वांतनामो बे शिविर का दौरा करने की कोशिश करते रहे हैं जब से इस शिविर में बंदियों को रखना शुरू किया गया था. अमरीकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने अक्तूबर 2005 में कहा कि संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को छह दिसंबर 2005 को ग्वांतनामो बे शिविर का दौरा करने की इजाज़त दी जाएगी. संयुक्त राष्ट्र अपना दौरा तीन दिन के बजाय एक दिन तक सीमित रखने और कार्यकर्ताओं की संख्या पाँच के स्थान पर तीन रखने पर राज़ी भी हो गया था. लेकिन संयुक्त राष्ट्र अपनी इस माँग पर अटल रहा कि अगर उसके कार्यकर्ताओं को बंदियों से अकेले में बातचीत करने की इजाज़त नहीं दी जाएगी तो उसके कार्यकर्ता शिविर का दौरा ही नहीं करेंगे. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार पर्यवेक्षकों ने कहा है कि इस तरह की पाबंदियों के बीच शिविर का दौरा करने से "उन सिद्धांतों का महत्व कम होगा" जिनके तहत वे काम करते हैं. संयुक्त राष्ट्र के एक बयान में कहा गया है, "यह ख़ासतौर से निराशाजनक है कि जो अमरीका सरकार जाँच-पड़ताल के काम में स्वतंत्रता और निष्पक्षता के सिद्धांतों के प्रति अपना संकल्प दोहराती रही है वही सरकार संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की बात मानने को तैयार नहीं है." | इससे जुड़ी ख़बरें प्रताड़ना के ख़िलाफ़ नए दिशा-निर्देश08 नवंबर, 2005 | पहला पन्ना ग्वांतनामो में भूख हड़ताल जारी01 अक्तूबर, 2005 | पहला पन्ना बंदियों के साथ दुर्व्यवहार का नया मामला15 नवंबर, 2005 | पहला पन्ना सैनिकों पर दुर्व्यवहार के मामले दर्ज08 नवंबर, 2005 | पहला पन्ना सीनेट 'विशेष' सत्र बुलाने को मजबूर 02 नवंबर, 2005 | पहला पन्ना बग़दाद में आत्मघाती बम हमला, 25 मरे24 जुलाई, 2005 | पहला पन्ना इराक़ में सुन्नी नेताओं की हत्या19 जुलाई, 2005 | पहला पन्ना इंटरनेट लिंक्स बीबीसी बाहरी वेबसाइट की विषय सामग्री के लिए ज़िम्मेदार नहीं है. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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