|
मौत की सज़ा पर पुनर्विचार की अपील | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
इराक़ में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह तीन लोगों को मौत की सज़ा दिए जाने के फ़ैसले पर फिर से विचार करे. पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटाए जाने के बाद इराक़ में पहली बार किसी को मौत की सज़ा सुनाई गई है. इस हफ़्ते के शुरू में अपहरण, हत्या और बलात्कार के मामले में तीन व्यक्तियों को मौत की सज़ा दिए जाने को मंज़ूरी दी गई थी. ये तीनों व्यक्ति इस समय कुत की जेल में हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि अशरफ़ क़ाज़ी ने मृत्युदंड के इस फ़ैसले पर गहरा अफ़सोस जताया है. उन्होंने कहा है कि इराक़ संक्रमण के जिस दौर से गुज़र रहा है, उसमें मृत्युदंड की बजाए जीवन के अधिकार को और मज़बूत बनाया जाना चाहिए क्योंकि मृत्युदंड देने से अपराध ख़त्म नहीं होते. अपील उन्होंने सरकार से अपील की है कि तीन लोगों को सुनाए गए मृत्युदंड को अमल में न लाया जाए. विडंबना ये है कि इराक़ के राष्ट्रपति जलाल तलाबानी ख़ुद मृत्युदंड के विरोधी रहे हैं. शायद इसी कारण उन्होंने मृत्युदंड के इस फ़ैसले पर उपराष्ट्रपति अब्देल अब्देल मेहदी को दस्तख़त करने के लिए कहा. बीबीसी संवाददाता का कहना है कि मुद्दा ये है कि क्या इस बार दिए गए मृत्युदंड को आने वाले दिनों में उदाहरण के तौर पर पेश किया जाएगा क्योंकि आने वाले दिनों में इराक़ के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन और उनके सहयोगियों के ख़िलाफ़ भी मुक़दमा चलना है. इराक़ पर हमले में अमरीका का साथ देने वाले देशों के सामने भी ये दुविधा है कि वो मृत्युदंड का समर्थन करें या विरोध. ब्रिटेन जैसे देशों में मृत्युदंड का प्रावधान नहीं है. |
| |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||