शुक्रवार, 17 जून, 2005 को 00:37 GMT तक के समाचार
अमरीका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नए स्थायी सदस्य के रूप में जापान का खुल कर समर्थन किया है लेकिन भारत की दावेदारी पर कुछ नहीं कहा है.
अमरीका ने सुरक्षा परिषद के सीमित विस्तार का समर्थन करते हुए कहा कि वह सुरक्षा परिषद के मौजूदा पाँच स्थायी सदस्यों के अलावा दो और स्थायी सदस्यों को शामिल किए जाने का समर्थन करेगा.
अमरीकी विदेश मंत्रालय का मानना है कि दो नए सदस्य देशों में से एक जापान होना चाहिए.
अमरीका ने यह भी स्पष्ट किया है कि नए सदस्यों को वीटो का अधिकार नहीं मिलना चाहिए. अमरीका इस बारे में एक प्रस्ताव अगले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश करेगा.
अमरीका का यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या में बढ़ोत्तरी की मांग तेज़ हुई है. लेकिन अमरीका ने सिर्फ़ दो नए स्थायी सदस्यों की बात कही है जबकि मांग इससे ज़्यादा की है.
भारत, ब्राज़ील, जर्मनी और जापान ने तो सदस्य संख्या बढ़ाए जाने की मांग को लेकर एक ग्रुप भी बनाया है और वे इसके लिए संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव भी पेश करने की योजना बना रहे हैं.
अमरीका का कहना है कि आधुनिक विश्व में सुरक्षा परिषद का ढाँचा ऐसा होना चाहिए जिसमें ज़्यादा प्रतिनिधित्व होना चाहिए लेकिन उसने व्यापक विस्तार का विरोध भी किया है.
अमरीकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी निकोलस बर्न्स ने कहा कि अमरीका दो स्थायी सदस्यों के साथ-साथ दो या तीन अस्थायी सदस्यों का समर्थन कर सकता है.
दूसरा कौन?
अभी अमरीका ने जापान के अलावा दूसरे देश का नाम नहीं लिया है. लेकिन जानकार मानते हैं कि दूसरा देश ब्राज़ील हो सकता है.
बीबीसी हिंदी से बातचीत करते हुए जॉर्जिया विश्वविद्यायल में कार्यरत अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि सुरक्षा परिषद की विस्तार को लेकर यह चर्चा चल रही है कि उसमें दुनिया से पाँचों महादेशों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए.
उन्होंने बताया कि इस दृष्टिकोण से दक्षिण अमरीका से ब्राज़ील निर्विवाद रूप से सबसे बड़ा दावेदार है. अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि यूरोप से जर्मनी की सदस्यता पर ब्रिटेन और फ़्रांस को आपत्ति है.
उन्होंने बताया कि भारत की सदस्यता के बारे में अमरीका में यही धारणा है कि अभी भारत इस भूमिका के लिए तैयार नहीं हुआ है.
अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि अमरीका में इस बात पर बहस चल रही है कि भारत से रणनीतिक साझेदारी तो ठीक है लेकिन सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में भारत उसका कितना प्रभावी साझेदार बन सकता है.
अगर ऐसा हुआ तो इसे भारत के लिए बड़ा झटका माना जा सकता है क्योंकि भारत को भी इसका बड़ा दावेदार माना जा रहा है.
लेकिन जानकारों का ये भी कहना है कि अगर भारत को बाक़ी देशों का समर्थन मिला तो अमरीका अकेले उसका विरोध नहीं करेगा.
जॉर्जिया विश्वविद्यालय में कार्यरत अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि ब्राज़ील का पक्ष इसलिए भी मज़बूत लगता है क्योंकि कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर वह अमरीका को खुल कर समर्थन देता रहा है. जिनमें से एक था- परमाणु अस्त्रों को ख़त्म करने का प्रस्ताव.