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ईरान में मतदान का आँखों देखा हाल | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
उत्तरी तेहरान के हुसैनी-ए-इरशाद इलाक़े में मैंने सुबह से वोट डालने वालों की लंबी कतारें देखी हैं. रूढ़िवादी इस्लामी समझे जाने वाले देश ईरान में मर्दों और औरतों की अलग-अलग कतारें लगी हैं. तेहरान में महिला मतदाताएँ अपना सिर ढँककर वोट डालने के लिए आई हैं और उनकी तादाद अगर पुरूषों से ज़्यादा नहीं तो कम भी नहीं है. ईरान में चुनाव की व्यवस्था भारत के मुक़ाबले काफ़ी अलग है, यहाँ आपको किसी ख़ास मतदान केंद्र पर जाने की ज़रूरत नहीं है, आप कहीं भी वोट डाल सकते हैं, बस आपको चाहिए अपना परिचय पत्र. मतदाता को अपने हाथ से अपनी पसंद के उम्मीदवार का नाम लिखना होता है, न तो कोई मतदाता सूची होती है, न ही ऊँगलियों पर स्याही लगाई जाती है. राजधानी तेहरान की एक बड़ी मस्जिद में बनाए गए मतदान केंद्र के एक मतदाता ने ख़ुशी ज़ाहिर की कि वो वोट दे पा रहा है, मतदाता का कहना था कि पड़ोसी देशों में राजशाही है जबकि ईरान में लोकतंत्र है, यह बहुत अच्छी बात है. राजधानी तेहरान में सबसे पहले वोट डालने वाले लोगों में शीर्ष धार्मिक नेता आयतुल्ला ख़ामनई भी थे. एक महिला मतदाता ने कहा कि इस चुनाव से उन्हें बहुत उम्मीदें हैं, "हमें आशा है कि नए राष्ट्रपति इस्लामी सरकार बनाएँगे, अब शीर्ष धार्मिक नेता के विचारों और सरकार के बीच कुछ अंतर रहा है लेकिन अब उम्मीद है कि नए राष्ट्रपति के कार्यकाल में ऐसा नहीं होगा." मैं जिस मतदान केंद्र पर खड़ा था वहाँ राष्ट्रपति पद के एक उम्मीदवार मेहर अली भी अपना वोट डालने आ पहुँचे, उनके साथ उनके समर्थकों की भीड़ भी थी जो नारे लगा रही थी.
मैंने उनसे पूछा कि आख़िर इस चुनाव में कोई मुद्दा क्यों नहीं दिखाई दे रहा है, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, "इस बार के चुनाव में प्रजातंत्र में पर ज़्यादा ज़ोर दिया गया है इसलिए आपको लग रहा है कि विचारधारा का ज़्यादा ज़ोर नहीं है." जिस उत्साह के साथ लोगों को मैंने वोट डालते देखा है उससे यह तो नहीं लगता कि लोगों में उदासीनता है, जैसा कि पहले कहा जा रहा था. लोगों की लंबी क़तारों को देखते हुए ही सरकार ने मतदान का समय बढ़ाने का फ़ैसला किया है, जितने लोग क़तार में खड़े हैं उन्हें वोट डालने का मौक़ा ज़रूर दिया जाएगा. यह बात स्पष्ट है कि ईरानी सरकार यह साबित करना चाहती है कि उसकी चुनाव व्यवस्था में लोगों का विश्वास है और इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के ईरानी संस्करण को एक तरह से वैधता मिलेगी. मतदान ख़त्म होते ही वोटों की गिनती शुरू होगी और शनिवार या रविवार तक परिणाम आ जाने की संभावना है, अगर किसी एक उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से अधिक वोट नहीं मिले तो इस स्थिति में दूसरे दौर का मतदान होगा. |
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