| 'एमनेस्टी की रिपोर्ट ग़ैरज़िम्मेदाराना' | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
ग्वांतानामो बे पर मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट को अमरीका के जनरल रिचर्ड मॉयर्स ने 'निहायत ग़ैरज़िम्मेदाराना' ठहराया है. जनरल मायर्स ने कहा है कि ग्वांतानामो बे में क़ैदियों के साथ अमरीकी फ़ौज ने मानवीय व्यवहार किया. उल्लेखनीय है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पिछले हफ़्ते क्यूबा के ग्वांतानामो बे के क़ैदख़ानों को 'वर्तमान के गुलग' कहा था. गुलग पिछली शताब्दी में राजनीतिक क़ैदियों के लिए बनाए गए क़ैदख़ानों या प्रताड़नागृहों को कहा जाता था. ग्वांतानामो बे को लेकर पिछले दिनों मुस्लिम देशों में बड़े प्रदर्शन हुए हैं. आरोप था कि वहाँ गार्डों ने क़ुरान का अपमान किया था. नियमों का पालन अमरीकी टेलीविज़न फॉक्स न्यूज़ को दिए गए एक साक्षात्कार में जनरल मायर्स ने कहा कि ग्वांतानामो बे एक आदर्श सुविधाओं वाला कैंप है. उन्होंने कहा कि क़ैदियों को 13 विभिन्न भाषाओं के 1300 क़ुरानों का वितरण किया गया है और उन्हें बाक़ायदा वही भोजन दिया जा रहा है जो मुस्लिमों को दिया जाना चाहिए. एमनेस्टी की रिपोर्ट के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें जाकर ग्वांतानामो बे को देखना चाहिए और गुलग के बारे में जो अवधारणा है उससे इसकी तुलना करनी चाहिए. गवांतानामो बे को लेकर न्यूज़वीक की रिपोर्ट पर बहुत शोर मचा था जिसमें कहा गया था कि क़ुरान की प्रति को पाखाने में डाल दिया गया. बाद में न्यूज़वीक ने अपनी ये ख़बर वापस ले ली थी लेकिन इसके ख़िलाफ़ अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और इंडोनेशिया में बड़े प्रदर्शन हुए. हालांकि अमरीकी सेना ने स्वीकार किया है कि क़ुरान का अपमान करने की पाँच घटनाएँ ग्वांतानामो बे में हुई हैं. जनरल मायर्स ने कहा है कि ग्वांतानामो के क़ैदी ख़तरनाक हैं और अमरीकी सेना बेहतर ढंग से उन्हें रख रही है. उन्होंने कहा, "आप उन लोगों के साथ कैसा बर्ताव करेंगे जो राज्य की व्यवस्था को नहीं मानते, जिन्हें युद्द के मैदान से पकड़कर लाया गया है...यदि उन्हें रिहा कर दिया गया या उन्हें घर जाने दिया गया तो वे हमारा या हमारे बच्चों का गला काट लेंगे." जनरल मायर्स ने कहा कि राष्ट्रपति ने कहा है कि अमरीका क़ैदियों के साथ मानवीय और जेनेवा संधि के प्रावधानों के अनुरुप व्यवहार किया जाएगा. उनका कहना था कि ग्वांतानामो बे के क़ैदख़ानों में शुरुआती दिनों से ही रेड क्रॉस को जाने की अनुमति है और वे वहाँ हर वक्त मौजूद हैं. |
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