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सोमवार, 18 अप्रैल, 2005 को 03:30 GMT तक के समाचार
 
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सद्दाम को मृत्युदंड के ख़िलाफ़ तलाबानी
 
सद्दाम हुसैन
सद्दाम के ख़िलाफ़ मुक़दमा अभी शुरू नहीं हुआ है
इराक़ के नवनिर्वाचित अंतरिम राष्ट्रपति जलाल तलाबानी ने बीबीसी से एक विशेष बातचीत में कहा है कि अगर सद्दाम हुसैन को मृत्युदंड दिया गया तो वे इसे अपनी मंज़ूरी नहीं देंगे.

इस बयान पर कुछ लोगों को आश्चर्य हुआ है क्योंकि तलाबानी कुर्द समुदाय के हैं, इराक़ के उत्तरी इलाके में रहने वाले कुर्दों पर सद्दाम हुसैन के शासनकाल में काफ़ी अत्याचार हुए थे.

अगर सद्दाम हुसैन को मृत्युदंड दिया गया तो उसकी तामील के लिए ज़रूरी होगा कि इराक़ का शीर्ष नेतृत्व उसकी मंज़ूरी दे.

लेकिन जलाल तलाबानी का कहना है कि वे लंबे समय से मृत्युदंड के विरोधी रहे हैं इसलिए वे अपने उसूलों पर क़ायम रहेंगे और सद्दाम हुसैन को मौत की सज़ा देने को स्वीकृति नहीं देंगे.

तलाबानी ने कहा कि शायद उनके हस्ताक्षर नहीं करने के बावजूद सद्दाम हुसैन को मृत्युदंड दे दिया जाए क्योंकि दोनों उपराष्ट्रपति इसे अपनी मंज़ूरी दे देंगे.

नियमों के अनुसार राष्ट्रपति और दोनों उपराष्ट्रपतियों में मतभेद होने की स्थिति में फ़ैसला बहुमत के आधार पर होगा, तलाबानी का कहना है कि इस मामले में वे शायद अकेले पड़ जाएँगे.

सद्दाम हुसैन के ख़िलाफ़ मुक़दमा अभी शुरू नहीं हुआ है लेकिन उनके विरोधी माँग कर रहे हैं कि जल्दी से सुनवाई करके उन्हें सज़ा दी जाए.

तलाबानी ने हालाँकि स्वीकार किया कि मौत की सज़ा दिए जाने से सद्दाम समर्थक विद्रोहियों के हौसले पस्त हो जाएँगे लेकिन उन्होंने कहा कि विद्रोहियों से निबटने का सबसे अच्छा तरीक़ा है कि देश के हथियारबंद गुटों को इस काम में लगाया जाए.

तलाबानी ने कहा कि विद्रोहियों से निबटने के काम में कुर्द पशमर्गा लड़ाकों, शिया बदर ब्रिगेड और सद्दाम विरोधी सुन्नी गुटों को लगाया जाना चाहिए क्योंकि इराक़ी राष्ट्रीय सेना के गठन का इंतज़ार करने में बरसों बीत जाएँगे.

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये गुट विद्रोहियों की हिंसा से निबट सकेंगे और अमरीकी सैनिक अपने देश लौट सकेंगे.

अमरीका राष्ट्रीय सेना की जगह हथियारबंद गुटों के इस्तेमाल के ख़िलाफ़ है लेकिन तलाबानी का कहना है कि इराक़ अब स्वतंत्र है और उसे फ़ैसला करने का हक़ है कि इस बारे में क्या निर्णय लिया जाए.

 
 
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