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ग़रीबी कम करने का लक्ष्य पहुँच से दूर | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने ग़रीबी कम करने के लिए अविलंब क़दम उठाने की ज़रूरत बताई है. सहस्राब्दि विकास लक्ष्य से जुड़ी प्रगति रिपोर्ट में दोनों संस्थाओं ने कहा है कि दुनिया के निर्धन देशों में विकास की रफ़्तार धीमी और असमान है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सहारावर्ती अफ़्रीकी देशों में सहस्राब्दि विकास लक्ष्य पहुँच से काफ़ी दूर हैं. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र के एक सम्मेलन में इन लक्ष्यों पर सहमति बनी थी. कुल 180 से ज़्यादा देशों की सहमति से विकास के 18 विशेष लक्ष्य निर्धारित किए गए थे. इनमें से अधिकांश को 2015 तक पाने की बात की गई थी. विश्व बैंक और अंरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट में कुछ सकारात्मक बातें भी हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि अत्यंत निर्धनता की स्थिति में रह रहे लोगों की संख्या 1990 के मुक़ाबले आधा करने का लक्ष्य पाना संभव दिख रहा है. दरअसल पूर्वी एशिया में इस लक्ष्य को पाया भी जा चुका है. लेकिन सहारावर्ती अफ़्रीकी देश स्वास्थ्य के क्षेत्र में निर्धारित लक्ष्यों से बहुत दूर बने हुए हैं. आपात क़दम अफ़्रीका से जुड़े मामलों के लिए विश्व बैंक के उपाध्यक्ष गोविन्द ननकानी ने कहा कि तत्काल प्रभावी क़दम उठाए बिना अफ़्रीकी देशों में सहस्राब्दि लक्ष्यों को पाना मुश्किल होगा. उन्होंने इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संबद्ध देशों, दोनों को दोषी बताया. विशेषज्ञों का मानना है कि निर्धनतम अफ़्रीकी देशों के कर्ज़ को माफ़ कर और उन्हें दी जाने वाली सहायता को बढ़ाकर सहस्राब्दी लक्ष्यों को पाया जा सकता है. विश्व बैंक और मुद्रा कोष की रिपोर्ट में अमीर देशों से अपने किसानों को रियायतों में कटौती करने को कहा गया है ताकि निर्धन देशों की कृषि को चौपट होने से बचाया जा सके. इसमें अमीर देशों से कहा गया है कि वे ग़रीब देशों के उत्पादों को अपने बाज़ारों तक आने दें. |
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