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जलाल तालाबानी का परिचय | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
जलाल तालाबानी कुर्द समुदाय में 'माम जलाल' यानी 'अंकल जलाल' के नाम से जाने जाते हैं. वह कुर्द राजनीति में सबसे ज़्यादा समय से सक्रिय नेताओं में से हैं. तालाबानी ने बग़दाद विश्वविद्यालय से क़ानून की पढ़ाई की है. उनकी ख़्याति एक चालाक नेता की है. ऐसा नेता जो मौक़ा लगते ही पक्ष बदल लेता हो. उनकी यह क़ाबिलियत दोस्तों और दुश्मनों, दोनों को प्रभावित करती है. विश्लेषकों का मानना है कि तालाबानी के कार्यकाल में इराक़ में कुर्द-अरब संबंधों में बेहतरी आएगी. जलाल तालाबानी पैट्रियोटिक यूनियन ऑफ़ कुर्दिस्तान(पीयूके) के नेता हैं. यह पार्टी इराक़ के कुर्द इलाक़े में प्रभावी दो प्रमुख पार्टियों में से एक है. दूसरी पार्टी है कुर्दिस्तान डेमोक्रेटिक पार्टी या केडीपी. पीयूके के समर्थकों में कुर्दो के शहरी और रूढ़ीवादी तबके प्रमुख हैं. तालाबानी 71 साल के हैं. उन्होंने 1950 के दशक में केडीपी की छात्र शाखा कुर्दिस्तान स्टूडेन्ट्स यूनियन के संस्थापक सदस्य के रूप में राजनीति का ककहरा सीखा. वह लगातार केडीपी नेतृत्व की सीढ़ियाँ चढ़ते गए. बाद के वर्षों में केडीपी की आंतरिक राजनीति से उनका मोहभंग होता गया और अंतत: उन्होंने अन्य कई नेताओं के साथ 1975 में पीयूके की स्थापना की. इस पार्टी ने इराक़ सरकार के ख़िलाफ़ सशस्त्र अभियान शुरू किया. जलाल तालाबानी को 1988 में तब उत्तरी इराक़ छोड़कर ईरान में शरण लेनी पड़ी जब इराक़ सरकार ने कुर्दों के ख़िलाफ़ रासायनिक गैस का इस्तेमाल किया. इराक़ की कुर्द राजनीति में पिछले तीन दशक पीयूके-केडीपी प्रतिद्वंद्विता के रहे हैं. पहले खाड़ी युद्ध के बाद दोनों दलों के बीच कुछ महीनों की शांति रही जब दोनों ने 1992 में कुर्द इलाक़े में एक संयुक्त प्रशासन की स्थापना की. अंतत: अमरीका और ब्रिटेन के मेलमिलाप के प्रयासों के बाद 1998 में तालाबानी ने केडीपी नेता मसूद बरज़ानी के साथ वाशिंग्टन में एक समझौते पर दस्तख़त किया. |
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