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इराक़ में एक और सामूहिक क़ब्र | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
उत्तरी इराक़ के गाँव में एक सामूहिक कब्र मिली है जिसमें औरतों और बच्चों की लाशें भी शामिल हैं. अमरीकी अधिकारियों के नेतृत्व में चल रही जाँच के बाद इस सामूहिक कब्र का पता चला है, हतरा की इस कब्र में मिली सैकड़ों लाशें संभवतः इराक़ी कुर्दों की है जो 1980 के दशक में सद्दाम हुसैन के कार्यकाल में मारे गए थे. जाँच करने वालों का कहना है कि सामूहिक कब्र की लाशें दिल दहला देने वाली हैं, इसमें छोटे बच्चे हैं भी हैं जिन्होंने अपने हाथ में खिलौने पकड़ रखे हैं, गर्भवती महिलाओं के अजन्मे बच्चों की लाशें तक यहाँ दिख रही हैं. यह पहला मौक़ा है जबकि इराक़ के विशेष न्यायाधिकरण के तहत काम कर रहे जाँचकर्ताओं ने वैज्ञानिक तरीक़े से सामूहिक कब्रों की खुदाई की है. मूसल के नज़दीक बसे गाँव हतरा के बारे में अमरीकी अधिकारी ग्रेग केहो कहते हैं, "मेरे खयाल है यह क़त्लगाह ही थी, मुझे लगता है कि कई बार यहाँ लोगों को लाकर मारा गया और दफ़न कर दिया गया." जाँच करने वाले अधिकारियों का कहना है कि ये 1987-88 में मारे गए कुर्द हैं जिन्हें गोली मारने के बाद सैकड़ों की तादाद में उनकी लाशों को बुलडोज़र के ज़रिए बड़े-बड़े गढ्ढों में धकेल दिया गया था. एक गढ्ढे से सिर्फ़ औरतों और बच्चों की लाशें मिली हैं तो दूसरे गढ्ढे में मर्दों की लाशें भरी पड़ी हैं. ऐसी भी लाशें मिली हैं जिनमें बच्चा अपनी माँ से चिपटा हुआ है, बच्चे के सिर के पिछले हिस्से में गोली का निशान है जबकि महिला के चेहरे पर गोली मारी गई थी. अमरीकी मानव विज्ञानी पीटर विली का कहना है कि "18 से 20 हफ़्ते तक के अजन्मे बच्चों को शरीर के हिस्से भी मिले हैं. माचिस की तीलियों जैसी हड्डियाँ मिली हैं." खोज ग्रेग केहो कोसवो और बोस्निया जैसे इलाक़ों में सामूहिक कब्रों की खोज का काम कर चुके हैं, उनका कहना है कि वहाँ ज्यादातर सामूहिक कब्रें लड़ सकने वाले मर्दों की थी. केहो ने कहा, "मैं लंबे समय से सामूहिक कब्रें देख रहा हूँ लेकिन मैंने ऐसी कोई चीज़ नहीं देखी, औरतों और बच्चों तक को मार डाला गया." एक अनुमान के मुताबिक़, सद्दाम हुसैन के शासनकाल में लगभग तीन लाख लोग मारे गए थे और इन सामूहिक कब्रों के सद्दाम हुसैन के ऊपर चल रहे मुकदमे में सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा. यूरोपीय विशेषज्ञ इस खोज में हिस्सा नहीं ले रहे हैं क्योंकि उनका कहना है कि इन सबूतों के आधार पर सद्दाम को मौत की सज़ा दी जाएगी इसलिए वे इसमें भागीदार नहीं बनना चाहते. ज़्यादातर यूरोपीय देशों में मौत की सज़ा का प्रावधान नहीं है और वे किसी को मौत की सज़ा दिए जाने की प्रक्रिया में शामिल नहीं होते. |
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