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ग्रेग डाइक ने गिलिगन को सही ठहराया | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पिछले क़रीब अठारह महीने बीबीसी के लिए काफ़ी उथल-पुथल वाले रहे हैं ख़ासतौर से टोनी ब्लेयर सरकार के साथ संबंधों को लेकर. पिछले साल मई में बीबीसी के रेडियो-4 पर संवाददाता एंड्रयू गिलिगन ने कहा था कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने महाविनाश के इराक़ी हथियारों के बारे में तैयार किए गए दस्तावेज़ या डॉसिए को बढ़ाचढ़ाकर पेश किया है. इस मुद्दे ने इतना तूल पकड़ा कि लेबर सरकार और बीबीसी के बीच ठन गई. बात छोटी थी लेकिन काफ़ी दूर तक गई और काफ़ी बड़ी भी हो गई. प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर और उनके प्रेस सलाहकार एलेस्टर कैंपबेल ने माना कि ये उनपर झूठ बोलने का आरोप है और उन्होंने मांग की कि बीबीसी इस आरोप को वापस ले. ग्रेग डाइक उस वक़्त बीबीसी के महानिदेशक थे. वो ख़बर पर अड़े रहे. लेकिन बात वहीं ख़त्म नहीं हुई. काफ़ी लंबी खींचतान के बाद आख़िरकार ग्रेग डाइक को इस्तीफ़ा देना पडा, एंड्रयू गिलिगन को नौकरी छोड़नी पड़ी और यही नहीं, बीबीसी के चेयरमैन गेविन डेविस को भी अपनी कुर्सी से हटना पडा. अब अठारह महीने बाद ग्रेग डाइक की आत्मकथा में ये मामला एक बार फिर सामने आ गया है. लड़ाई जब उनसे पूछा गया कि अब जब वो दोबारा उस बारे में सोचते हैं तो क्या उन्हें लगता है कि उन्होंने कुछ ग़लतियाँ कीं तो डाइक का कहना था, "उस वक़्त तो हम इस बात के लिए लड़ रहे थे कि हमें वो ख़बर प्रसारित करने का अधिकार था." "अब तो हमारे पास तब के मुक़ाबले काफ़ी ज़्यादा जानकारी है, और अब मुझे लगता है कि वो ख़बर प्रसारित करने का हमारा दावा तो ठीक था ही, वो ख़बर भी उससे कहीं ज़्यादा सही थी जितनी उस वक़्त वो हमें लग रही थी." इराक़ की लड़ाई के मामले पर प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के साथ विवाद की वजह से ग्रेग डाइक को बीबीसी के महानिदेशक की कुर्सी छोड़नी पड़ी. हालाँकि ग्रेग डाइक ये मानते हैं कि इस प्रकरण से जितना नुक़सान बीबीसी को हुआ उससे ज़्यादा नुक़सान टोनी ब्लेयर को हुआ क्योंकि इससे उनकी साख और छवि को धक्का पहुंचा है. लेकिन डाइक को लगता है कि इस मामले में कुछ ऐसा भी हुआ जिससे बीबीसी की साख को चोट लगी है. "सबसे ज़्यादा तकलीफ़ मुझे तब हुई जब हटन रिपोर्ट आने के अगले दिन बीबीसी के निदेशकों ने माफ़ी मांगी. मुझे लगा कि ये एकदम गिरी हुई हरकत थी. तकलीफ़ की वजह ये थी कि पूरी दुनिया में लोग इसे जिस तरह देखेंगे वो बीबीसी के लिए बहुत नुक़सान देह होगा." |
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