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'पत्नी उठाकर' दौड़ लगाने की प्रतियोगिता | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
फ़िनलैंड में 'पत्नी को उठाकर' दौड़ लगाने की एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में अव्वल आने पर एस्टोनिया के एक दंपती को स्वर्ण पदक मिला है और उन्हें पुरस्कृत भी किया गया है. एस्टोनिया के बीस वर्षीय मादिस ऊसोर्ग ने अपनी पत्नी को उठा रेत और पानी से गुज़रते हुए और लकड़ी के लट्ठों के उपर से कूदते हुए पुरस्कार जीता है. उन्होंने ने जब ये सब किया तो उनकी 19 वर्षीय पत्नी इंगा क्लॉसा उनकी पीठ पर थीं. उन्होंने एस्टोनिया में प्रचलित उस शैली का इस्तेमाल किया जिसमें स्त्री पुरुष की पीठ पर उलटी पड़ी रहती है और अपनी जाँघ से आदमी के गले को पकड़े रहती है. इस प्रतियोगिता की परंपरा फ़िनलैंड की है जहाँ ये दूर-दराज़ के एक गाँव सॉंकाजार्वो में शुरु हुई. इस गाँव की वेबसाइट के अनुसार पुराने समय में ऐसा कर पाना देसी गुंडों के किसी गिरोह में भर्ती होने के लिए प्राथमिक टेस्ट हुआ करता था. ऐसा भी कहा गया है कि उस समय वहाँ के ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह औरतों को 'चुराना' आम बात थी. आजकल इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए ये ज़रूरी नहीं कि भाग लेने वाले पुरुष और महिला विवाहित हों. मादिस की पत्नी का वज़न 48 किलोग्राम है जो कि निर्धारित भार से एक किलो कम है. इसलिए मादिस को अपनी पत्नी के साथ-साथ एक थैला भी उठाना पड़ा. दंपती ने निर्धारित फ़ासला एक मिनट और 5.3 सेकंड में पूरा किया और उनको पुरस्कार मिला पत्नी के भार जितनी बीयर और एक 'सौना बाथ' यानी 'भाप स्नान'. |
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