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तुर्की में सक्रिय चरमपंथी संगठन
तुर्की में इस्लामी चरमपंथी संगठन 'टर्किश ग्रेट ईस्टर्न रेडर्स फ़्रंट' और 'अबु हफ़्स अल-मस्री ब्रिगेड्स' सक्रिय हैं. तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में गुरुवार को हुए विस्फोटों के लिए 'ग्रेट ईस्टर्न फ़्रंट' ने ज़िम्मेदारी ली है. इस्तांबुल में हुए विस्फोटों में कम से कम 26 लोग मारे गए और 400 से अधिक घायल हो गए. दूसरी ओर 'अबु हफ़्स ब्रिगेड- अल क़ायदा' ने हाल में इराक़ में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर हुए हमले की ज़िम्मेदारी ली थी. 'ग्रेट ईस्टर्न फ़्रंट' 'ग्रेट ईस्टर्न फ़्रंट' सरकारी दफ़्तरों, समाचार माध्यमों और गिराजाघरों को निशाना बनाता रहा है. माना जाता है कि यह संगठन सन 2000 में काफ़ी कमज़ोर हो गया था. इस संगठन के नेता सालेह इज़्ज़त इर्दिस को इस्तांबुल के सुरक्षा न्यायालय ने मृत्युदंड सुनाया था. उनके आत्महत्या करने के प्रयास से उनके संगठन के चरमपंथियों में निराशा और अफरातफरी फैल गई.
इससे यह संगठन बंद होने के कगार पर पहुँच गया. तुर्की की पुलिस के अनुसार इस साल नवंबर में यहूदियों के दो उपासना गृहों पर जिन दो आत्मघाती हमलावरों ने हमले किए वे इस चरमपंथी संगठन से संबंधित थे. अल क़ायदा 'अबु हफ़्स ब्रिगेड- अल क़ायदा' संगठन का नाम ओसामा बिन लादेन के करीबी रिश्तेदार अबु हफ़्स अल मस्री के नाम पर रखा गया था. ये संगठन इराक़, कीनिया और तुर्की में आत्मघाती हमलों की ज़िम्मेदारी ले चुका है. जुलाई 2003 में इंटरनेट पर छपे एक बयान में इस संगठन का दावा था कि कीनिया में 'सीआईए एजेंटों' को उसने मारा है और ये भी छापा था कि अब इराक़ में अमरीकी सैनिकों को निशाना बनाया जाएगा. लकिन कुछ पर्यवेक्षकों को इस संगठन के दावों पर संदेह है और वे कहते हैं कि अमरीका में जुलाई 2003 में बिजली गुल होने के पीछे इसके ज़िम्मेदार होने के दावों को मानना मुश्किल है. बग़दाद में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय पर कार बम हमला, 1998 में कीनिया और तंजानिया में अमरीकी दूतावास पर हमलों को इस संगठन से जोड़ कर देखा जाता है. |
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