|
| |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
इराक़ की सत्ता अभी तो अमरीकी हाथों में ही
इराक़ के बारे में अमरीका का नया प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है जिसमें कहा गया है कि फिलहाल इराक़ की सत्ता गठबंधन प्रशासन के पास ही रहेगी. प्रस्ताव में कहा गया है कि इराक़ की संप्रभुता और सरकार चलाने की ज़िम्मेदारी इराक़ी लोगों को 'सही वक़्त' पर स्थानांतरित की जाएगी. इस प्रस्ताव के पारित होने को अमरीका की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. प्रस्ताव में हालाँकि संयुक्त राष्ट्र इराक़ के पुनर्निर्माण में अहम भूमिका देने की बात कही है लेकिन शर्त रखी गई है कि ऐसा तभी किया जाएगा जब हालात और सुरक्षा परिस्थितियाँ इजाज़त दें. संयुक्त राष्ट्र में मौजूद बीबीसी संवाददाता का कहना है कि प्रस्ताव में अब भी सरकार इराक़ी लोगों को सौंपने के बारे में कोई निश्चित समय सीमा तय नहीं की गई है. अनमना समर्थन गुरुवार की सुबह रूस, फ़्रांस और जर्मनी के नेताओं की शिखर बैठक के बाद यह तय हो गया था कि यह प्रस्ताव पारित हो जाएगा हालाँकि ये तीनों ही देश इराक़ पर अमरीकी नीति के आलोचक रहे हैं.
इन देशों ने प्रस्ताव को समर्थन ज़रूर दिया लेकिन यह भी साफ़ कर दिया कि वे इराक़ में न तो अपने सैनिक भेजेंगे और न ही पुनर्निर्माण के लिए कोई धन देंगे. संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफ़ी अन्नान ने कहा है कि असल मक़सद इराक़ में जितना जल्दी हो सके शांति और स्थिरता लाना है. अमरीका के विदेशमंत्री कॉलिन पॉवेल ने उम्मीद जताई है कि इस प्रस्ताव के बाद अब इराक़ में ज़्यादा देशों के सैनिक भेजे जा सकेंगे और पुनर्निर्माण में भी मदद मिलेगी. अमरीका पिछले कई महीनों से इस प्रस्ताव को पारित करवाने में लगा हुआ था. इससे पहले अमरीका ने प्रस्ताव पर मतदान को टाल दिया था ताकि तीनों देशों को इस पर चर्चा का समय मिल सके. शिखर बैठक रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन, फ़्रांस के राष्ट्रपति ज़्याक़ शिराक़ और जर्मनी के चांसलर गेरहार्ड श्रोयडर ने गुरुवार सुबह टेलीफ़ोन पर एक शिखर वार्ता की थी. इस बैठक के बाद उन्होंने प्रस्ताव को समर्थन देने का संकेत दे दिया था. उधर ब्रसेल्स में चांसलर श्रोयडर ने कहा था कि अमरीका ने नए प्रस्ताव में सही दिशा में कई क़दम उठाए हैं और सुरक्षा परिषद को एकजुट रहना चाहिए. ग़ौरतलब है कि तीनों देश इराक़ पर हमले का विरोध कर रहे थे और वे इराक़ में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका बढ़ाने पर भी ज़ोर दे रहे थे. इराक़ी जनता को सत्ता सौपने के लिए समय सीमा को लेकर भी उनके बीच मतभेद रहा है. |
| |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||