लोकतंत्र के आंगन में रजवाड़े

यूं तो भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है. लेकिन यहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा कुछ ऐसे भी चेहरे हैं जिनका संबंध पूर्व राज परिवारों से रहा है. एक नज़र कुछ ऐसे ही चेहरों पर.

दिग्विजय सिंह
इमेज कैप्शन, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का राघौगढ़ राजघराना कभी ग्वालियर राजघराने का हिस्सा था. दिग्विजय सिंह सार्वजनिक रूप से परंपरा के मुताबिक़ ग्वालियर राजघराने के प्रति सम्मान दिखाने में कभी कमी नहीं छोड़ते. लेकिन अब ज्योतिरादित्य सिंधिया और इससे पहले उनके पिता माधवराव सिंधिया की राजनीतिक घेराबंदी में भी दिग्विजय सिंह ने कोई कसर नहीं छोड़ी.
जयवर्धन सिंह, दिग्वजिय सिंह
इमेज कैप्शन, जयवर्धन सिंह कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के इकलौते बेटे हैं. अपने पिता की परंपरागत सीट राघौगढ़ से वे पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. अमरीका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से हाल ही में डिग्री लेकर लौटे जयवर्धन सिंह पिता की कड़ी निगरानी में पले हैं. दिग्विजय सिंह भले ही दिल्ली और भोपाल में सत्ता के गलियारों में बने रहे हों, लेकिन जयवर्धन सिंह को उन्होंने दिल्ली और भोपाल की चमक-दमक से दूर रखने की हर संभव कोशिश की. चुनाव लड़ाने से पहले उन्होंने अपने बेटे से राघौगढ़ की पदयात्रा करवाई.
अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह
इमेज कैप्शन, कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह दिग्विजय सिंह की दो सरकारों में मंत्री रह चुके हैं. फिलहाल विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. अर्जुन सिंह का संबंध चुरहट के सामंती परिवार से रहा है. उनके पिता राव शिव बहादुर सिंह राज्य सरकार में मंत्री थे और शायद भारत में पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाने वाले पहले राजनेता थे लेकिन लगता है कि दादा और पिता की श्रृंखला में अजय सिंह परिवार में अंतिम राजनेता हैं. उनके बेटे अरुणोदय सिंह राजनीति की जगह बॉलीवुड में किस्मत आज़मा रहे हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया
इमेज कैप्शन, वॉर्टन से एमबीए करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को ग्वालियर ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी लोग महाराज कहकर ही पुकारते हैं. उनके पिता माधवराव सिंधिया गांधी परिवार के बेहद नज़दीक थे. कई बार सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे. उनकी दादी विजयाराजे सिंधिया जनसंघ और भाजपा की संस्थापक सदस्यों में से एक थीं. मध्य प्रदेश में उनका मुकाबला शिवराज सिंह चौहान से है, जो साल 2005 से राज्य के मुख्यमंत्री हैं.
वसुंधरा राजे
इमेज कैप्शन, वसुंधरा राजे राजस्थान में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार हैं. वो राज्य में भाजपा की सबसे कद्दावर नेता हैं. वो 2003 से 2008 के बीच राजस्थान सरकार की कमान संभाल चुकी हैं. उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव मध्य प्रदेश के भिंड से लड़ा था. इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन उसके बाद उनके क़दम राजनीति में लगातार जमते गए. वो साल 2003 से एक स्थापित नेता के रूप में सक्रिय हैं. जब वह राजस्थान की मुख्यमंत्री थीं तो उनके समर्थकों ने उनके लिए वसुंधरा चालीसा तक लिख डाली थी. इसे विपक्षी कांग्रेस ने चापलूसी बताया था तो उनके समर्थकों ने इसे उनकी लोकप्रियता का सबूत बताया था.
यशोधरा राजे सिंधिया
इमेज कैप्शन, यशोधरा राजे सिंधिया भाजपा नेता वसुंधरा राजे की बहन हैं. वे ग्वालियर से सांसद हैं. उनके भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में हैं और उसी इलाके में ही राजनीति करते हैं लेकिन दोनों कभी एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार नहीं करते और न ही एक दूसरे के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कुछ बोलते हैं.
जयपुर के पूर्व राजघराने की बेटी दिया कुमारी
इमेज कैप्शन, दिया कुमारी जयपुर के पूर्व राजघराने की बेटी हैं. इनके पिता भवानी सिंह कांग्रेस के टिकट पर जयपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. लेकिन उनकी बेटी की चाहत और राजनीतिक पसंद भाजपा बनी. उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने सवाई माधोपुर सीट से मैदान में उतारा है. वो खुद को वसुंधरा राजे के क़रीब मानती हैं. दिया कुमारी के विवाह पर बहुत विवाद हुआ था. दरअसल उन्होंने अपने ही गोत्र के नरेंद्र सिंह से विवाह किया था, जो राजघराने में नहीं होता है. इसका राजपूतों ने भारी विरोध किया. भवानी सिंह का कोई बेटा नहीं था इसलिए दिया कुमारी के बेटे को जयपुर राजघराने का उत्तराधिकारी बनाया गया.
बीकानेर के पूर्व राजघराने की बेटी सिद्धि कुमारी
इमेज कैप्शन, सिद्धि कुमारी राजस्थान के प्रमुख राजघरानों में से एक बीकानेर राजघराने की बेटी हैं. इनके दादा डॉक्टर कर्णी सिंह सासंद रह चुके हैं. सिद्धि कुमारी ने राजनीति में प्रवेश के लिए भाजपा का दामन दामन थामा. उनके पिता क़रीब 25 साल तक सांसद रहे. मौजूदा विधायक सिद्धि कुमारी को बीकानेर में एक दमदार प्रत्याशी माना जाता है. कांग्रेस को उनके मुकाबले एक अच्छा उम्मीदवार तलाशने में काफी मुश्किल हुई है.