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भारत में मेंटल हेल्थ की स्थिति पर क्या बोले केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन
भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने बीबीसी हिंदी से ख़ास बातचीत में कहा है कि भारत में मेंटल हेल्थ एक बड़ा मुद्दा है और इससे निपटने के लिए साइकेट्रिस्ट (मनोचिकित्सक) की संख्या बढ़ाई जाएगी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक़ फ़िलहाल 18 फ़ीसदी भारतीय डिप्रेशन यानी अवसाद के शिकार हैं.
डॉक्टर हर्षवर्धन का कहना है भारत में मेंटल हेल्थ एक चिंता का विषय है और बड़ी तादाद में मौजूद हैं लेकिन इस मुद्दे पर मौजूद आंकड़ो से वो सहमत नहीं दिखते.
उनका कहना है, "कई आँकड़े हैं. कुछ आँकड़े कहते हैं 40 में से एक व्यक्ति या 20 में से एक व्यक्ति कभी न कभी डिप्रेशन का शिकार रहा है या अभी डिप्रेशन में है. लेकिन सरकार इसके प्रति गंभीर है और मेंटल हेल्थकेयर एक्ट 2017 में दिए गए प्रावधानों के तहत क़दम भी उठा रही है.''
वो बताते हैं कि इससे पहले 1987 में क़ानून लाया गया था लेकिन बाद में देखा गया कि उसकी प्रासंगिकता ख़त्म हो गई और वो अमानवीय था. इसमें बदलाव कर साल 2014 में मेंटल हेल्थ नीति बनाई गई थी और इसे एक मानवीय चेहरा देने की कोशिश की गई है.
देखिए, डॉ. हर्ष वर्धन का पूरा इंटरव्यू.
रिपॉर्टर - सुशीला सिंह
एडिटर - साहिबा ख़ान
(भारत में मानसिक सेहत एक ऐसा विषय है जिस पर खुलकर बात नहीं होती. बीबीसी की कोशिश लोगों को मेंटल हेल्थ के बारे में जागरुक करने की है. इस विशेष सिरीज़ में हम आपको बता रहे हैं कि कब मेंटल हेल्थ के बारे में सोचने की ज़रूरत है. कुछ ऐसे लोगों से मिलवाएंगे जो अकेलेपन और डिप्रेशन या फिर अन्य किसी मानसिक बीमारी का शिकार रहे हैं. और ये लोग कैसे इससे बाहर निकलकर दूसरों को मानसिक रोग से बाहर आने में मदद कर रहे हैं.)
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