ऊर्जा संकट से निपटने के लिए यूरोप क्या कर रहा है?

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यूरोपीय संघ ने तेल-गैस और कोयले के बढ़ते दामों से निपटने के लिए क़दम उठाए हैं. तेल-गैस और कोयले की बढ़ती कीमतों का प्रभाव उद्योग-धंधों पर पड़ रहा है.
आम लोगों के लिए घरों में लगे हीटिंग सिस्टम को चलाना मंहगा पड़ रहा है.
यूरोपीय संघ के ऊर्जा मामलों की कमिश्नर कादरी सिम्सन ने सदस्य देशों से कहा है कि वो नए कर लगाएं और बढ़ी कीमतों से लोगों को बचाने के लिए सब्सिडी की व्यवस्था करें.
उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ इसकी संभावना तलाश करेगा कि क्या वो साझा तौर पर गैस के कुएं ख़रीद सकता है.
संघ की कमिश्नर ने साथी मुल्कों से कहा कि वो जल्द से जल्द अक्षय ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा दें.

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पुतिन का बयान
उधर, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है यूरोपीय देशों को गैस की ऊंची कीमतों के लिए रूस को इल्जाम नहीं देना चाहिए.
पुतिन ने कहा कि गर्मियों में वो अपने स्टॉक जमा नहीं कर सके.
रूसी राष्ट्रपति का कहना था कि फिलहाल गैस की जो कमी है, उसकी वजह यूरोप में इसको लेकर की गई जटिल व्यवस्था है.
उन्होंने कहा कि ऊर्जा के लिए वहां कई तरह के साधनों का इस्तेमाल होता है जैसे पवन ऊर्जा, जिससे दिक्कतें पैंदा होती हैं.
मॉस्को मे बोलते हुए उन्होंने कहा कि बढ़ी हुई कीमतें निर्यातकों पर भी नकारात्मक असर डालते हैं, क्योंकि वो भी बाज़ार में स्थायित्व चाहते हैं.






















