असम के नगांव ज़िले में 15 'अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों' को 24 घंटे के भीतर असम और भारत की सीमा से बाहर निकालने का आदेश दिया गया है.
यह आदेश अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम, 1950 के तहत नगांव के ज़िला उपायुक्त ने दिया है. इसके लिए अलग-अलग आदेश जारी किए गए हैं.
यह कार्रवाई विदेशी ट्राइब्यूनल के पहले के फ़ैसलों के बाद हुई है. ट्राइब्यूनल्स ने इन लोगों को 'विदेशी' घोषित किया था.
नगांव ज़िले के पुलिस अधीक्षक स्वप्निल डेका ने इस आदेश की पुष्टि करते हुए बीबीसी न्यूज़ हिन्दी से कहा, "ज़िला उपायुक्त से हमें 15 लोगों को देश की सीमा से बाहर निकालने के आदेश मिले हैं."
उन्होंने कहा, "फिलहाल ये सभी लोग ग्वालपाड़ा ज़िले के मटिया हिरासत केंद्र में हैं. पुलिस अगले तीन-चार दिन के अंदर उन लोगों को पुश बैक करने के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा तक लेकर जाएगी."
ज़िला उपायुक्त के आदेश में जिन लोगों को सीमा छोड़ने को कहा गया है, उनमें जहुरा ख़ातून, अब्दुल अजीज, अहेदा ख़ातून, अजुफा ख़ातून, हुसैन अली, फ़ाज़िला ख़ातून, अनुरा बेग़म, आशा ख़ातून, नज़रूल इस्लाम, रहीम शेख़, बुरेक़ अली, इदरीस अली, रुस्तम अली, अनवर ख़ान और ताहेर अली शामिल हैं.
अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम, 1950 भारत के विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से असम में आए बड़े पैमाने पर प्रवासियों से निपटने के लिए बनाया गया था.
यह क़ानून केंद्र सरकार को ऐसे किसी भी व्यक्ति को असम से निष्कासित करने का अधिकार देता है, जिनकी मौजूदगी जनहित या अनुसूचित जनजातियों के हितों के लिए हानिकारक मानी जाए.