अमरीका में बिहारी करेंगे लिट्टी पर चुनाव चर्चा

लालू संग नीतीश

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    • Author, सलीम रिज़वी
    • पदनाम, न्यूयॉर्क से, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए

बिहार में चुनाव की गहमागहमी तो है ही, भारत के बाहर भी कई देशों में चुनावी दंगल पर चर्चा तेज़ हो रही है.

इसी सिलसिले में अमरीका में बिहार चुनाव पर चर्चा करने का एक नया अंदाज़ अपनाया जा रहा है.

अमरीका में लिट्टी पर हो रही है बिहार चुनावों पर चर्चा.

इस कार्यक्रम के एक आयोजक अतुल कुमार कहते हैं, "हम बिहारी लोग असल में यक़ीन करते हैं, हम लोग नक़ल नहीं करते. मोदी जी ने राष्ट्रीय स्तर पर चाय पर चर्चा की, हमें बिहार पर कुछ करना है तो हम लिट्टी पर चर्चा करेंगे."

लिट्टी ही क्यों?

आमिर खान लिट्टी खाते हुए.

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लिट्टी का विचार अतुल कुमार के साथी लक्ष्मी नारायण सिंह का था.

वह कहते हैं, "लिट्टी एक ऐसी डिश है जो पूरे बिहार को जोड़ती है. हमने सोचा, लिट्टी पर चर्चा सही रहेगा. यह थोड़ा आकर्षक भी है."

वे आगे कहते हैं, "इस चर्चा का मक़सद यह है कि बिहार के लोग जागरूक हों ताकि वे सही प्रत्याशी और सही सरकार चुन पाएं."

कई चरणों में होने वाले बिहार चुनाव के पहले चरण में 12 अक्तूबर को वोटिंग होनी है.

100 शहरों में कार्यक्रम

अमरीका में प्रवासी भारतीय.

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उससे दो दिन पहले 10 अक्तूबर को अमरीका के 100 से अधिक शहरों में बिहार चुनाव पर 'लिट्टी पर चर्चा' का आयोजन किया जाएगा.

आयोजकों का कहना है कि 'लिट्टी पर चर्चा' को लेकर लोगों में बहुत उत्साह है.

ऐसी ही एक चर्चा के आयोजक आनंद गुप्ता कहते हैं, "लोगों में बहुत उत्साह है. हम अमरीका, कनाडा, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया के अलावा भारत में बिहार के लोगों से भी इंटरनेट और फोन के ज़रिए जुड़ेंगे. हम लोगों से यह भी कहेंगे कि अब बिहार में जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करना होगा और विकास में तेज़ी लानी होगी."

टाइम्स स्क्वैयर पर लिट्टी

प्रवासी भारतीय
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'लिट्टी पर चर्चा' में न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वैयर में 10 अक्तूबर को हज़ारों लोगों के शामिल होने की उम्मीद की जा रही है. उनके लिए 20 हज़ार से अधिक लिट्टी भी बनवाई जा रही है.

इस कार्यक्रम के कई आयोजक न्यू जर्सी राज्य में बसे हुए हैं. ये विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले पेशेवर लोग हैं. इनमें से कोई आईटी तो कोई मैनेजमेंट और फ़ाइनेंस के क्षेत्र में काम करते हैं.

जो लोग 'लिट्टी पर चर्चा' कार्यक्रम से जुड़े हैं, उनका अब भी किसी न किसी रूप में बिहार से ताल्लुक़ बना हुआ है.

इनमें से ज़्यादातर लोग बीच-बीच में भारत आते जाते भी रहते हैं.

बिहार से जुड़ाव

 प्रवासी भारतीय.
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इनमें से कई के परिवार वाले अब भी बिहार में रहते हैं. सभी लोगों की इच्छा है कि बिहार में तेज़ी से विकास हो.

'लिट्टी पर चर्चा' कार्यक्रम से जुड़े गिरिजा शंकर पाठक कहते हैं, "चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं. हमें सब लोगों को जागरूक करना होगा कि चुनाव में अच्छे प्रत्याशियों को चुनें जो जीवन पर असर डालने वाली नीतियां बनाएंगे, जात-पात निजी जीवन तक ही सीमित रखना चाहिए."

'लिट्टी पर चर्चा' कार्यक्रम से जुड़े लोगों का दावा है कि वह किसी पार्टी से नहीं जुड़े हैं, न ही उनका मक़सद किसी पार्टी का एजेंडा आगे बढ़ाना है.

एक आयोजक आलोक कुमार कहते हैं, "हम लोग किसी पार्टी विशेष का समर्थन नहीं कर रहे हैं, हम बस अच्छे लोगों का समर्थन कर रहे हैं."

प्रवासी भारतीय.
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वे इसके आगे कहते हैं, "हम चाहते हैं कि किसी की सरकार हो, पर वह बहुमत की सरकार हो. वह किसी दूसरी पार्टी पर निर्भर न हो."

'वीडियो भेजें'

'लिट्टी पर चर्चा' से जुड़े लोगों का कहना है कि उनके लिए बिहार में विकास और शांति सबसे अहम है.

चर्चा के तहत पूरे अमरीका से और अन्य देशों से भी लोग इंटरनेट, ई-मेल और सोशल मीडिया के ज़रिए या वीडियो की शक्ल में अपने विचार भी भेज सकते हैं.

दुनिया भर से भेजे गए वीडियो को फ़ेसबुक और यूट्यूब पर अपलोड कर दिया जाएगा.

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