वेश्यालय मालिकों को यौनकर्मियों की भाषा जानना ज़रूरी

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नीदरलैंड्स के वेश्याघरों के मालिकों को एक नई तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
इस देश में वेश्यावृत्ति को क़ानूनी मंजूरी मिली हुई है.
पर यूरोपीय संघ की सबसे बड़ी अदालत ने अपने हालिया फ़ैसले में कहा है कि वेश्यालयों के मालिकों को वहां काम कर रही यौन कर्मियों से उनकी भाषा में बात करनी चाहिए ताकि उनका यौन शोषण रोका जा सके.
मामले के शुरुआत इससे हुई कि वहां वेश्यालय खोलने की मंजूरी एक आदमी को इस आधार पर नहीं दी गई कि उसे हंगारियन और बुल्गारियन भाषाएं नहीं आती थीं.
यूरोपीय न्यायिक अदालत ने संबंधित अधिकारी के इस फ़ैसले को उचित ठहराया.
भाषा जानना ज़रूरी

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अदालत ने फ़ैसले में कहा, "यह आवश्यक बना देना मुमकिन है कि वेश्यालय के मालिक को वहां काम करने वाली यौनकर्मी की भाषा में ही उससे बात करनी चाहिए."
अदालत ने कहा कि ऐसा कर वेश्यालयों में यौनकर्मियों के यौन उत्पीड़न और यौन हिंसा को रोका जा सकता है.
एम्सटरडम की एक यौनकर्मी फ़ेलीशिया एना (बदला हुआ नाम) ने कहा कि मानव तस्करी रोकने में भाषा काफ़ी कारगर हो सकती है.

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उन्होंने कहा कि अधिकतर यौनकर्मियों, उनके ग्राहकों और क़ानून व्यवस्था लागू करने वालों की दूसरी भाष डच या अंग्रेज़ी है.
उन्होंने यह भी कहा कि जिन यौनकर्मियों की दूसरी भाषा डच या अंग्रेज़ी न हो, उन्हें वेश्यालय की खिड़कियों पर जगह न दी जाए. यह जगह सड़क से अधिक सुरक्षित समझी जाती है.
नीदरलैंड के इस मामले में हालांकि वेश्यालय खोलने की अर्जी देने वाले ने कहा था कि वे अनुवादक या भाषा से जुड़े सॉफ़्टवेअर की मदद लेंगे. पर उसे अनुमति नहीं मिली.
क़ानूनी मान्यता

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नीदरलैंड और जर्मनी में साल 2002 में वेश्यावृत्ति को क़ानूनी मान्यता मिली थी.
डच क़ानून के मुताबिक़, वेश्यावृत्ति की जा सकती है, पर इसके लिए लाइसेंस लेना होता है, उससे होने वाली आय पर टैक्स चुकाना होता है और चैंबर ऑफ़ कॉमर्स का सदस्य बनना होता है.

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अधिकारियों ने मानव तस्करी और संगठित अपराधों को रोकने के लिए तमाम क़ानूनों का कड़ाई से पालन करना शुरू कर दिया है.
समझा जाता है कि इस देश के यौनकर्मियों में एक तिहाई विदेशी हैं.
इनमें पूर्वी यूरोप, अफ़्रीका और एशिया से आने वाली यौनकर्मियों की तादाद भी बहुत है.
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