जिनके इशारे पर चलता है चीन

इमेज स्रोत, BBC World Service
- Author, सेलिया हैटन
- पदनाम, बीबीसी न्यूज़, बीजिंग
चीनी के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बीते साल दिसबंर में बीजिंग के सिजिकिंग रिटायरमेंट होम का दौरा करने पहुंचे. तब माना गया है कि यह राष्ट्रपति का एक रुटीन दौरा था.
जिनपिंग रिटायरमेंट रूम में एक घंटे से कम समय तक ठहरे. इस दौरान वे पुस्तकालय गए, खाने के कमरे में भी गए. इतना ही नहीं वे पुराने गाने बजाने वाले कमरे में भी गए, जहां उन्होंने एक साम्यवादी गीत भी सुना.
जिनपिंग के रिटायरमेंट होम में जाने की ख़बर जैसे ही फैली, उसके बाद तो यह रिटायरमेंट होम किसी टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर मशहूर हो गया.
कई सप्ताह तक रिटारमेंट होम के दफ़्तर का फ़ोन लगातार बजता रहा. दफ़्तर सहायिका हांग वेन्ना कहती हैं कि हर कोई शी जिनपिंग के क्लोज सर्किट के बारे में जानना चाहता था.
वह बताती हैं, "कई अनुरोध आए कि हमें उसी कमरे को देखना है जिसमें वह ठहरे थे और उन्हीं लोगों से मिलना चाहते हैं जिससे राष्ट्रपति मिले थे."
इस साल करीब सात हज़ार लोग रिटायरमेंट होम को देखने पहुंच चुके हैं जबकि पांच हज़ार लोग वेटिंग लिस्ट में हैं.
जिनपिंग का जलवा

इमेज स्रोत, BBC World Service
ये शी का जलवा है. दरअसल चीन के सबसे शक्तिशाली शख़्स शी जहां भी जाते हैं, वह स्थान अपने आप में लोकप्रिय हो जाता है.
इसका एक दिलचस्प उदाहरण और भी है. जिनपिंग एक दिन अचानक दोपहर के भोजन के लिए सड़क किनारे बने सामान्य रेस्टोरेंट में पहुंच गए.
इसके बाद से इस रेस्टोरेंट का 'चेयरमैन शी सेट मील' मशहूर हो चुका है. बीजिंग की एक ट्रैवल कंपनी ने तो शहर-भ्रमण के ठिकानों में इस रेस्टोरेंट को भी शामिल कर लिया है.
सत्ता में आने से पहले शी जिनपिंग को लेकर आशंका जताई जा रही थी कि क्या वे प्रभावी ढंग से शासन कर पाएंगे? वह समय ऐसा था जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी आपसी मतभेदों से घिरी थी.
लेकिन यह शी जिनपिंग की राह में रोड़े अटका नहीं सकी. उन्होंने चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी में अपनी हैसियत बेहद मज़बूत बना ली है.
बीते एक साल में शी जिनपिंग ने कई उल्लेखनीय काम करके दिखाए हैं. वे दशकों बाद चीन के अंदर बहुप्रतीक्षित आर्थिक और सामाजिक सुधार को दिशा दे रहे हैं.
शी जिनपिंग के नए सपने के तहत चीन को नया विजन मिला है. चीन के लोगों को लग रहा है कि अगर वे सामूहिक तौर पर मिलकर काम करते हैं तो इससे देश की प्रतिष्ठा बढ़ेगी. उन्होंने देश के अंदर भ्रष्ट नौकरशाही को हटाने के लिए अभियान चलाया हुआ है यह हर दिन सुर्ख़ियों में आ रहा है.

इमेज स्रोत, BBC World Service
हालांकि शी जिनपिंग के सभी बदलाव सकारात्मक नहीं हैं. उनके शासन के दौरान मीडिया और इंटरनेट पर सेंसरशिप बढ़ी है.
इस दौरान उन्होंने देश की एक बच्चे की राष्ट्रीय नीति में बदलाव लाने की घोषणा की है और ठप्प पड़े लेबर कैंपों को शुरू करने का निर्देश भी दिया है.
शी की मुखर विदेश नीति के चलते चीन के पड़ोसी देशों का भरोसा डगमगाया है. लेकिन जिनपिंग बदलाव की नीति पर बने हुए हैं.
क्या है मुश्किल चुनौती?
वाशिंगटन के ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन के चेंग ली ने कहा, "हम हमेशा से कहते रहे हैं कि चीन में नए नेता के सामने तीन मुश्किल चुनौतियाँ है. सबसे पहले तो उन्हें अपने पूर्ववर्ती शासकों से कुछ अलग करना होगा, तब जाकर पहले साल में उन्हें आम लोगों का समर्थन और भरोसा हासिल होगा."
वे कहते हैं, "शी जिनपिंग के दिमाग में टाइमटेबल भी चल रहा है. आने वाले तीन साल के दौरान उनके सात अहम सहयोगी सेवानिवृत होने वाले हैं. ऐसे में उन्होंने अपने अभियान को लेकर तेज़ी दिखाई है."
बीते दो दशक के दौरान चीन के अंदर यह साफ़ नज़र आया कि सरकार को पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य सामूहिक रूप से चलाते रहे हैं. लेकिन अब लग रहा है कि शी जिनपिंग का क़द उनके साथियों के मुक़ाबले बढ़ गया है. चीन के पूर्व नेता माओ त्सेतुंग और डेंग शियोपिंग की तरह.
जब नवंबर में सरकार ने सुधार की शुरुआत की तो माना गया कि चीन के प्रधानमंत्री ली शिजियांग इसमें अहम भूमिका निभाएंगे क्योंकि चीन में आर्थिक नीतियों की देखरेख प्रधानमंत्री करते रहे हैं.

इमेज स्रोत, BBC World Service
लेकिन सारे सुधारों में शी जिनपिंग के नाम की चर्चा हो रही है. इतना ही नहीं उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और देश के संरचना के फिर से निर्माण का फ़ैसला करने वाली कमेटी का मुखिया ख़ुद को घोषित किया है.
दो सप्ताह पहले घोषणा हुई कि चीन के इंटरनेट सेक्टर की देखरेख के लिए बनी समिति के मुखिया शी जिनपिंग होंगे.
लगातार बढ़ती ताक़त
इन समितियों में शी जिनपिंग की मौजूदगी से उनका क़द और भी बढ़ रहा है. सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी के सीनियर रिसर्चर बो जिहयू कहते हैं, "वे नए ऑफ़िस बना रहे हैं और अपने लिए नई जगह बना रहे हैं. लेकिन वे किसी और को कमतर नहीं कर रहे हैं. इसलिए वे ज़्यादा महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं."
हालांकि माना जा रहा है कि वे कम्युनिस्ट पार्टी के एक धड़े से हमेशा घिरे होते हैं. हालांकि जिस रफ़्तार से वे आगे बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि वे आने वाले दिनों में टॉप पर अकेले पड़ सकते हैं.
एक आशंकाभ्रष्टाचार के मामलों में उनकी सख्ती कोलेकर भी जताई जा रही है कि उनके अभियान में उनके सरकार के अपने लोग भी शिकार हो सकते हैं.
करीब 40 हज़ार सरकारी कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई है जबकि 10 हज़ार कर्मचारियों को नौकरी से हटाया जा चुका है.
इनमें से ज़्यादातर कर्मचारी निम्न पदों पर तैनात हैं. लेकिन माना जा रहा है कि जिनपिंग बड़ी मछलियों पर भी कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं.

इमेज स्रोत, BBC World Service
एक अफ़वाह के मुताबिक उनके निशाने पर पूर्व घरेलू सुरक्षा विभाग के प्रमुख भी हैं जो उनके विरोधी भी हैं. ऐसे में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अंदर अस्थिरता बढ़ सकती है.
जिनपिंग ने अपनी ताक़त तो बढ़ाई है लेकिन उन्हें पार्टी के भविष्य का ख़्याल भी रखना होगा. जिनपिंग अपने राजनीतिक विरोधियों को बर्दाश्त नहीं करते.
पहले कहा जा रहा था कि उनके आने से उदारवादी बहस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का स्तर बढ़ेगा. लेकिन इसका ठीक उल्टा देखने को मिल रहा है.
लेकिन सबसे बड़ी हक़ीक़त यही है कि महज एक साल के अंदर वे चीन के सबसे शक्तिशाली शख्स बन चुके हैं.
<bold>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए <link type="page"><caption> यहां क्लिक</caption><url href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi" platform="highweb"/></link> करें. आप हमें <link type="page"><caption> फ़ेसबुक</caption><url href="https://www.facebook.com/bbchindi " platform="highweb"/></link> और<link type="page"><caption> ट्विटर </caption><url href="https://twitter.com/BBCHindi " platform="highweb"/></link>पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)</bold>












