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चीन की चुनौती से निपटने के लिए इंडियन नेवी की है ये तैयारी
- Author, बीबीसी मॉनिटरिंग
- पदनाम, ख़बरों की रिपोर्टिंग और विश्लेषण
भारत के मीडिया में हाल में छपी ख़बरों के अनुसार हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दख़ल से मुक़ाबला करने के लिए भारत अपनी सेना ख़ासकर नौसेना की क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है.
भारत की ये कोशिश चीन के साथ पिछले तीन साल से जारी सीमा विवाद के बीच आई है. इन दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता होने के बावजूद सीमा विवाद सुलझाने में कोई प्रगति होती नहीं दिखी है.
भारत चीन से निपटने के लिए एशिया के अन्य देशों के साथ लगातार सैन्य सहयोग बढ़ा रहा है. इसके लिए भारत अपने समुद्री बेड़े में कई नई पनडुब्बियों को शामिल करने के अलावा सेना के उपकरणों को आधुनिक बना रहा है.
भारतीय नौसेना से जुड़ी पहल
हिंद महासागर में चीन के बढ़ते दख़ल को रोकने के लिए भारत अपनी समुद्री क्षमता बढ़ाने पर ज़ोर दे रहा है. इसके लिए वह पनडुब्बियां बनाने के अलावा दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ अपने सहयोग बढ़ा रहा है.
2023 के शुरू से भारत ने 17 पनडुब्बियां तैनात कर रखी है. वहीं चीन के पास इससे लगभग चार गुना अधिक पनडुब्बियां हैं.
अमेरिका के एक थिंक टैंक के दस्तावेज़ों के अनुसार, डीजल पनडुब्बी, परमाणु पनडुब्बी और बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी सभी मिलाकर चीन के पास 66 पनडुब्बियां तैनात हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, भारतीय नौसेना फ्रांस के नेवल ग्रुप के साथ मिलकर एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्सन (AIP) तकनीक से लैस और डीजल से चलने वाली तीन पनडुब्बियां बनाने जा रही है.
इनका निर्माण मज़गांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड करेगी, जो पहले ही फ्रांस की स्कॉर्पियन श्रेणी की पनडुब्बी की तर्ज पर कलवारी क्लास की छह पनडुब्बियों का निर्माण कर चुकी है. इस सिरीज़ की छठी पनडुब्बी आईएनएस वागीर के 2024 की शुरुआत में लॉन्च होने की संभावना है.
इंडिया टुडे वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया, ''यह पनडुब्बी कई मिशन को अंज़ाम देने में सक्षम है, जैसे एंटी-सरफेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, ख़ुफ़िया जानकारी जुटाना, बारुदी सुरंगें बिछाना और निगरानी करना आदि.''
इस रिपोर्ट में हालांकि यह भी बताया गया, ''चीनी नौसेना की युद्धक क्षमता 2025 तक बढ़ाकर 400 जहाज और 2030 तक 440 जहाज तक ले जाने का अनुमान है. वहीं भारतीय नौसेना को 30 साल की पनडुब्बी निर्माण योजना के लक्ष्य पूरा करने के लिए कम से कम 24 पनडुब्बियां बनानी होंगी.''
पानी में अपनी युद्धक क्षमता बढ़ाने के अलावा भारत की योजना निगरानी के लिए ड्रोन ख़रीद कार्यक्रम को तेज़ करने की है.
इंडिया टुडे की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नौसेना ने अंडमान और निकोबार द्वीप के आसपास के इलाकों की निगरानी करने के लिए अप्रैल 2023 में लीज पर लेकर एक MQ-9 ड्रोन तैनात किया है. यह ड्रोन म्यांमार के कोको द्वीप पर भी निगाह रखेगा, जहां चीन अपनी सैन्य ठिकाने को अपग्रेड करने में जुटा है.
दिसंबर 2022 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया कि भारत सेना के तीनों अंगों के लिए अमेरिका से MQ-9 रीपर ड्रोन ख़रीदने की योजना बना रहा है.
भारतीय नौसेना की अन्य योजनाएं
चीन से निपटने के लिए भारत ने कई क़दम उठाए हैं. इनमें सैन्य उपकरणों की ख़रीद से लेकर चीनी सीमा पर बुनियादी ढांचों का निर्माण करना भी शामिल है. लेकिन हाल में गौर किया गया है कि भारत नौसेना की अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए तेज़ी से काम कर रहा है.
मार्च में भारत सरकार ने नए हेलीकॉप्टर, मिसाइल सिस्टम और बंदूकें ख़रीदने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है. इन योजनाओं की लागत 70,500 करोड़ रुपए है. इनमें से 80 प्रतिशत सामानों की मांग भारतीय नौसेना से आई है.
भारतीय नौसेना ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल, यूटिलिटी हेलीकॉप्टर और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम की आपूर्ति करने का अनुरोध किया है.
ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली को भारत और रूस ने मिलकर विकसित किया है. भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल बेचने के लिए फिलीपींस के साथ 37.5 करोड़ डॉलर का समझौता किया है.
हाल के साझा सैन्य अभ्यास का महत्व
हिंदुस्तान टाइम्स में अप्रैल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत दक्षिण चीन सागर में चीन के क़दमों को लेकर चिंतित है. भारत नहीं चाहता कि चीनी नौसेना हिंद महासागर में भी अपनी गतिविधि बढ़ाए.
यही वजह है कि भारत, पूर्व एशिया के देशों जैसे फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम के साथ सैन्य सहयोग बढ़ा रहा है. दक्षिण चीन सागर में इन देशों का चीन से सीमा विवाद है.
आठ मई को आसियान देशों और भारतीय नौसेना का युद्ध अभ्यास 'आसियान-इंडिया मैरिटाइम एक्सरसाइज' (AIME-23) संपन्न हुआ. दक्षिण चीन सागर में पहली बार ये युद्ध अभ्यास किए गए. सिंगापुर के चांगी नौसैनिक अड्डे पर इन अभ्यासों का उद्घाटन किया गया.
भारतीय मीडिया ने बताया कि चीन के जहाजों को कथित तौर पर सैन्य अभ्यास वाले इलाक़े के पास देखा गया था.
एक अन्य अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत, फरवरी में भारतीय नौसेना की पनडुब्बी आईएनएस सिंधुकेसरी ने दक्षिण-पूर्व एशिया के सबसे बड़े देश इंडोनेशिया में पड़ाव डाला. किसी भी भारतीय युद्धपोत के लिए इंडोनेशिया की यह पहली यात्रा थी.
भारत और जापान ने पिछले साल बंगाल की खाड़ी में JIMEX-22 नाम के संयुक्त समुद्री सैन्य अभ्यास में भाग लिया. हालांकि यह युद्ध अभ्यास 2012 से होता रहा है, लेकिन भारत और जापान के मीडिया ने ज़ोर देकर बताया कि यह युद्ध अभ्यास ऐसे वक़्त हो रहा है, जब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है.
नौसैनिक युद्ध अभ्यास के अलावा, भारत और जापान ने मिलकर 2023 के शुरू में पहला वायु युद्ध अभ्यास 'वीर गार्डियन' भी पूरा किया.
हांगकांग के साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में बताया गया कि इस अभ्यास का महत्व 'सांकेतिक' है, क्योंकि दोनों देशों की सेना एकीकृत नहीं है, लेकिन इससे चीन को संदेश जाएगा.
कैसे हैं भारत और चीन के मौजूदा संबंध
हाल में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच जारी तनाव के कारण, दोनों देशों के संबंध को 'असामान्य' करार दिया. हालांकि चीन के विदेश मंत्री चिंग गांग ने भारत-चीन सीमा पर के हालात को 'सामान्यतः स्थिर' बताया.
शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की गोवा में हुई बैठक से इतर दोनों देशों ने 4 और 5 मई को सीमा विवाद पर भी बातचीत की. तमाम प्रयासों के बावजूद दोनों देशों के बीच जारी डेडलॉक को अब तक ख़त्म नहीं किया जा सका है.
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