चीन के अपने ही राजदूत से बढ़ा विवाद, अब आई चीन की सफ़ाई

फ्रांस में चीन के राजदूत लू शाये

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चीन ने सोवियत से अलग हुए देशों की संप्रभुता पर सवाल करने वाले अपने राजनयिक के बयान से ख़ुद को अलग कर लिया है.

पिछले सप्ताह फ्रांस में चीन के राजदूत लू शाये के एक साक्षात्कार में दिए बयान के बाद यूरोप में विवाद खड़ा हो गया था, जिसके बाद अब चीन को स्पष्टीकरण देना पड़ा है.

लू शाये ने एक सवाल के जवाब में कहा था, "पूर्व सोवियत संघ देशों के पास दर्जा नहीं है, अंतरराष्ट्रीय क़ानून में प्रभावी दर्जा नहीं है."

सोमवार को चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बीजिंग में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "चीन सोवियत संघ के विघटन के बाद प्रासंगिक गणराज्यों के संप्रभु राष्ट्र के दर्जे का सम्मान करता है."

माओ निंग से पूछा गया था कि क्या राजदूत लाये का बयान चीन की सरकार का अधिकारक बयान है.

चीन रूस का मुख्य सहयोगी देश है और चीन ने अभी तक पिछले साल यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की आलोचना नहीं की है.

यूक्रेन में शांति लाने के प्रयासों में चीन अपने आप को अहम खिलाड़ी के रूप में देखता है. लेकिन इसी दौरान चीन के रूस के साथ कारोबारी रिश्ते भी मज़बूत हुए हैं.

यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए थे, जिसके बाद रूस-चीन की नज़दीकियां और भी बढ़ी हैं. पश्चिम जगत में लोग यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर चीन की निष्पक्षता पर शक़ भी करते हैं.

पिछले सप्ताह फ़्रांस के एलसीआई नेटवर्क को दिए एक साक्षात्कार में राजदूत लू शाये से क्राइमिया के स्टेटस पर सवाल किया गया था. रूस ने 2014 में क्राइमिया को यूक्रेन से छीन लिया था.

साक्षात्कार लेने वाले पत्रकार ने तर्क दिया था कि अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत क्राइमिया अब भी यूक्रेन का हिस्सा है.

पुतिन और शी जिनपिंग

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इमेज कैप्शन, पश्चिम में लोग मानते हैं कि यूक्रेन युद्ध में चीन रूस की तरफ़ झुका है

इसके जवाब में लू शाये ने कहा था कि ये मुद्दा बिल्कुल स्पष्ट नहीं है और यूक्रेन जैसे देश अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय क़ानून पर निर्भर नहीं हो सकते हैं.

लू शाये ने कहा था, "यहां तक कि इन पूर्व सोवियत संघ देशों का अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत दर्जा स्पष्ट नहीं है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत ऐसा कोई अंतरराष्ट्रीय समझौता नहीं है, जो इन देशों को संप्रभु राष्ट्रों का दर्जा देता हो."

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन की स्वतंत्रता को चुनौती देते रहे हैं. फ़रवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण से पहले दिए अपने भाषण में पुतिन ने कहा था कि यूक्रेन के पास 'वास्तविक राष्ट्र' का कोई दर्जा नहीं है और यह देश रूस की संस्कृति और इतिहास का हिस्सा है.

लू शाये के बयान पर यूरोप में विवाद खड़ा हो गया था, जिसके बाद सोमवार को चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि चीन सभी देशों की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है. उन्होंने कहा कि चीन संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों को स्वीकार करता है.

माओ निंग ने कहा, "सोवियत संघ एक संघीय राष्ट्र था और विदेशी मामलों में उसे अंतरराष्ट्रीय क़ानून में एक यूनिट का दर्जा प्राप्त था…इससे इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता है कि सोवियत संघ के विघटन के बाद सोवियत संघ के हर सदस्य गणतंत्र को संप्रभु राष्ट्र का दर्जा प्राप्त है."

माओ ने ये भी कहा कि सोवियत संघ के विघटन के बाद अस्तित्व में आये प्रासंगिक राष्ट्रों के साथ राजनयिक संबंध बनाने वाले पहले राष्ट्रों में चीन शामिल था.

वहीं पेरिस में चीन के दूतावास की तरफ़ से एक बयान जारी करते हुए कहा गया है कि लू शाये ने जो कहा है वो उनकी व्यक्तिगत राय है और उसे इसी तरह से देखा जाना चाहिए.

राजनयिक के बयान के बाद पश्चिमी देशों में आई प्रतिक्रिया से चीन स्पष्टीकरण दे रहा है कि चीन की अधिकारिक नीति में कोई बदलाव नहीं आया है.

इसी बीच तीन बाल्टिक राष्ट्रों लीथुआनिया, लैटविया और इस्टोनिया ने चीन के प्रतिनिधियों को तलब करके लू शाये की टिप्पणी पर स्पष्टीकरण मांगा है.

लीथुआनिया के विदेश मंत्री गैबरीलियस लैंड्सबर्गिस ने समाचार एजेंसी एएफ़पी से कहा है राजयनिकों से पूछा जाएगा कि क्या पूर्व सोवियत संघ राष्ट्रों की स्वतंत्रता पर चीन की स्थिति बदल गई है. उन्होंने कहा कि हम सोवियत संघ के विघटन के बाद बने राष्ट्र नहीं है, बल्कि सोवियत संघ ने हम पर ग़ैर क़ानूनी क़ब्ज़ा किया हुआ था.

माओ निंग

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इमेज कैप्शन, चीन की प्रवक्ता का कहना है कि चीन सभी राष्ट्रों की संप्रभुता का सम्मान करता है.

वहीं इस्टोनिया के विदेश मंत्रालय ने देश में चीन के राजनयिक से कहा है कि वे उम्मीद करते हैं कि चीन के प्रतिनिधि भविष्य में इस तरह का बयान देने से बचेंगे.

लैटविया के विदेश मंत्रालय ने कहा है, "कुछ देशों के अंतरराष्ट्रीय अधिकारों और दर्जे पर शक पैदा करने वाले इस तरह के बयान पूरी तरह अस्वीकार्य हैं."

इन तीन देशों पर यूएसएसआर ने 1940 में क़ब्ज़ा कर लिया था और 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद ही ये तीन देश आज़ाद हो सके थे.

यूरोप के अन्य देशों के विदेश मंत्रियों ने चीन के राजदूत की इस टिप्पणी की आलोचना की है.

वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार माइखायलो पोडोलिक ने भी लू शाये की अंतरराष्ट्रीय क़ानून की व्याख्या पर सवाल उठाते हुए क्राइमिया पर उनके विचारों को 'बकवास' बताया है.

रविवार को उन्होंने कहा, "अगर आप प्रमुख राजनीतिक खिलाड़ी बनना चाहते हैं तो रूस के प्रोपागेंडा की रट ना लगाएं."

ये पहली बार नहीं है जब लू शाये के किसी बयान पर हंगामा हुआ है. चीन की कूटनीति में उनका अपना अलग स्टाइल है और उन्हें 'वुल्फ़ वॉरियर' भी कहा जाता है.

चीन के ऐसे राजनयिकों को मीडिया 'वुल्फ़ वॉरियर' कहता है जो आक्रामक तरीक़े से चीन की विदेश नीति को पेश करते हैं और जटिल मुद्दों पर आक्रामकता के साथ चीन का बचाव करते हैं.

जून 2021 में लू शाये ने फ्रांसिसी मीडिया से कहा था कि ये उपाधि पाकर वो सम्मानित महसूस करते हैं क्योंकि 'कई पागल लकड़बग्घे चीन पर चौतरफ़ा हमला कर रहे हैं.'

जनवरी 2019 में कनाडा में चीन का राजदूत रहते हुए लू शाये ने चीन में हिरासत में लिए गए दो कनाडाई नागरिकों की रिहाई की मांग पर कनाडा पर 'नस्लीय वर्चस्व' के आरोप लगाए थे.

पिछले साल अगस्त में लू शाये ने एक बयान में कहा था कि स्वशासित ताइवान द्वीप पर चीन के नियंत्रण के बाद यहां के लोगों को 'फिर से शिक्षित' करना पड़ेगा.

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