ऐसा देश जहां प्याज़ की क़ीमत है मीट से तीन गुना ज़्यादा

    • Author, कैमिला वेरास मोता
    • पदनाम, बीबीसी न्यूज़ ब्राज़ील, साओ पाउलो

दुनिया के बहुत से इलाक़ों में प्याज़ खान-पान का बुनियादी हिस्सा है. जबकि मांस को विलासिता का भोजन माना जाता है. मगर, फ़िलीपींस में प्याज़ की क़ीमतों ने तो चिकेन और बीफ़ के दामों को भी पीछे छोड़ दिया है.

फ़िलीपींस में पकवानों में लहसुन प्याज़ डालकर पकाने का चलन सदियों पुराना है.

इसकी शुरुआत उस वक़्त हुई थी, जब स्पेन ने फ़िलीपींस पर क़ब्ज़ा करके उसे अपना ग़ुलाम बनाया था. फ़िलीपींस पर स्पेन का राज 1521 से 1898 तक चला था, जिसने फ़िलीपींस के खान-पान पर गहरा असर डाला था.

हालांकि, पिछले लगभग एक महीने से फ़िलीपींस के आम नागरिकों के लिए प्याज़ ख़रीदना रईसाना शौक़ बन गया है. दाम में ज़बरदस्त उछाल के बाद, अब प्याज़ की क़ीमत मांस-मछली से भी ज़्यादा हो गई है.

फ़िलीपींस में एक किलो प्याज़ का दाम इस हफ़्ते 11 डॉलर यानी क़रीब 900 रुपए हो गया है. जबकि एक किलो चिकेन की क़ीमत चार डॉलर या लगभग तीन सवा तीन सौ रुपए ही है.

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प्याज़ की ये क़ीमत फ़िलीपींस के किसी औसत कामगार की एक दिन की मज़दूरी से भी ज़्यादा है, जो नौ डॉलर से थोड़ी ज़्यादा है.

प्याज़ की क़ीमतों में उछाल के बाद, फ़िलीपींस के अधिकारियों ने अवैध रूप से लाई जा रही प्याज़ की कई खेपें ज़ब्त की हैं. जनवरी महीने की शुरुआत में फ़िलीपींस में तीन लाख 10 हज़ार डॉलर के प्याज़ की खेप पकड़ी गई थी. ये प्याज़ कपड़ों के नाम पर चीन से तस्करी करके लाया जा रहा था.

सोशल मीडिया पर फ़िलीपींस के लोग मज़ाक़िया मैसेज पोस्ट करके सरकार की आलोचना कर रहे हैं. कई लोगों का मानना है कि उनके देश में प्याज़ की इस क़िल्लत में सरकार का भी हाथ है.

अमरीका में रह रहे फ़िलीपींस के एक नागरिक ने ट्विटर पर लिखा, "अलविदा चॉकलेट, स्वागत है प्याज़ का. सिबूया (प्याज़) में किसी के घर जाने पर तोहफ़े के तौर पर ले जाने की काफ़ी संभावनाएं हैं."

फ़िलीपींस के एक और नागरिक ने लिखा, "हम सऊदी अरब के दौरे से लौटते हुए चॉकलेट के बजाय प्याज़ लेकर आ रहे हैं."

अमरीका के दौरे पर गए एक और फ़िलीपीनी नागरिक ने प्याज़ के चूरमे की बोतल की एक तस्वीर शेयर की और लिखा, "चूंकि फ़िलीपींस में प्याज़ की हैसियत सोने सरीखी हो गई है, तो मैं घर लौटते हुए इन्हें ख़रीदना चाहता था, ताकि इसे लोगों को तोहफ़े में बांट सकूं. लेकिन, मैं पांच सुपरमार्केट में गया और वहां का सारा स्टॉक ख़त्म हो चुका था. मैंने एक सेल्सगर्ल से पूछा कि आख़िर हुआ क्या है, तो उसने कहा कि 'फ़िलीपींस से आए सैलानियों ने सारा का सारा स्टॉक ख़रीद लिया."

आईएनजी बैंक में एक वरिष्ठ अधिकारी निकोलस मापा फ़िलीपींस की राजधानी मनीला में रहते हैं. निकोलस ने बताया कि कई रेस्टोरेंट ने तो ऐसे पकवान बेचने ही बंद कर दिए हैं, जो प्याज़ से बनते हैं. जैसे कि पहले बर्गर के साथ आम तौर पर प्याज़ के छल्ले दिए जाते थे, लेकिन अब वो कई रेस्टोरेंट के मेन्यू से ग़ायब हो गए हैं.

निकोलस मापा ने बीबीसी को ई-मेल से भेजे गए जवाब में बताया कि, 'या तो रेस्टोरेंट वाले अपने व्यंजनों के दाम बढ़ाएं, जो वो कर नहीं सकते. तो उन्होंने प्याज़ देना ही बंद कर दिया है.'

खान-पान के कुछ कारोबारियों ने तो प्याज़ के विकल्प तलाशने शुरू कर दिए हैं. शेफ़ जैम मेलचोर, फ़िलीपींस के खान-पान की विरासत सहेजने के आंदोलन के संस्थापक हैं. उन्होंने प्याज़ के विकल्प तलाशने शुरू कर दिए हैं. जैम मेलचोर ने प्याज़ की जगह फ़िलीपींस में पैदा होने वाले प्याज़ की एक नस्ल लसोना का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. लसोना बहुत छोटा होता है, अंगूर के आकार का और इसका स्वाद पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले प्याज़ से थोड़ा अलग होता है.

जैम मेलचोर ने बीबीसी को बताया, "रेस्टोरेंट और आम जनता, दोनों को इन हालात में मुश्किल हो रही है. प्याज़ के जो दाम अभी हैं, वो बहुत लोगों की हैसियत से बाहर हैं. तो हम मौजूदा विकल्पों का ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं."

जैम कहते हैं, "प्याज़ फ़िलीपींस के खान-पान के लिए बहुत अहम हैं. हम जो भी पकवान बनाते हैं उनमें से लगभग हर एक में प्याज़ पड़ता है. प्याज़ फिलीपींस के हर व्यंजन का अभिन्न अंग है."

आख़िर फ़िलीपींस में प्याज़ इतना महंगा क्यों हुआ?

निकोलस मापा कहते हैं कि प्याज़ के दाम में आग लगने की कम से कम दो बड़ी वजहें हैं. अगस्त महीने में कृषि विभाग ने प्याज़ के उत्पादन के जो पूर्वानुमान जारी किए थे, उनमें इशारा किया गया था कि इस साल प्याज़ की पैदावार देश की ज़रूरत से कम होगी. हालांकि, प्याज़ की फ़सल आशंका से कहीं ज़्यादा ख़राब हो गई. क्योंकि अगस्त सितंबर में फ़िलीपींस ने एक भयंकर समुद्री तूफ़ान की मार झेली थी.

उन्होंने कहा, "बदक़िस्मती से दूसरे देशों से प्याज़ मंगाने का काम देर से शुरू हुआ. प्याज़ का आयात तब शुरू किया गया, जब देश में हाहाकार मच गया. जबकि इसके दाम तो फ़रवरी में प्याज़ की नई फ़सल आने के साथ ही आसमान छूने लगे थे."

जनवरी के पहले महीने में फ़िलीपींस की सरकार ने क़ीमतों पर क़ाबू पाने के लिए 2.2 करोड़ टन प्याज़ के आयात की मंज़ूरी दी.

फ़र्मिन एड्रियानो जैसे कुछ जानकार मानते हैं कि ये मौजूदा हुकूमत की बड़ी नाकामी थी. एड्रियानो पहले कृषि विभाग के सलाहाकार रह चुके हैं. उनका मानना है कि चूंकि सरकार को पता था कि अपने देश में प्याज़ का उत्पादन बहुत कम हुआ है, तो उसे देश की मांग पूरी करने के लिए, पहले ही विदेश से प्याज़ मंगाने का आदेश दे देना चाहिए था.

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बोंगबोंग प्रबंधन

सोशल मीडिया पर फ़िलीपींस के कुछ लोग इस संकट के पीछे कृषि क्षेत्र के असंगठित प्रबंधन और विवादित राष्ट्रपति फ़र्डिनेंड मार्कोस जूनियर के आपसी रिश्ते का हाथ देखते हैं. फ़र्डिनेंड मार्कोस पिछले साल ही फ़िलीपींस के राष्ट्रपति चुने गए हैं. जनता उन्हें 'बोंगबोंग' कहकर बुलाती है. राष्ट्रपति बनने के बाद मार्कोस जूनियर ने ख़ुद को कृषि मंत्री भी नियुक्त कर लिया था, जबकि उन्हें इसका कोई तजुर्बा ही नहीं है.

मार्कोस जूनियर, फ़िलीपींस के पूर्व तानाशाह फ़र्डिनेंड मार्कोस के बेटे हैं, जिन्होंने 1970 और 80 के दशक में फ़िलीपींस पर बड़ी निर्ममता से राज किया था. बाद में जनता के भारी विरोध प्रदर्शन के बाद फ़र्डिनेंड मार्कोस को गद्दी छोड़नी पड़ी थी और 1986 में उनके परिवार को देश छोड़कर भागना पड़ा था. 1991 में बोंगबोंग स्वदेश लौटे और उन्होंने अपना सियासी करियर शुरू किया. राष्ट्रपति चुने जाने से पहले मार्कोस जूनियर, गवर्नर, डिप्टी और सीनेटर भी रह चुके हैं.

फ़र्डिनेंड मार्कोस जूनियर के चुनाव अभियान का एक हिस्सा, अपने पिता की तानाशाही को फ़िलीपींस के 'सुनहरे दौर' के तौर पर प्रचारित करना भी था. सोशल मीडिया पर बहुत से लोग, मार्कोस जूनियर के स्वर्ण युग के जुमले के बारे में मज़ाक़िया लहजे में लिख रहे हैं और कह रहे हैं कि बोंगबोंग जिस 'सोने' की बात अपने चुनाव अभियान में कर रहे थे, वो दरअसल प्याज़ की क़ीमतें थीं.

दुनिया की तीसरी सबसे अधिक उत्पादन वाली फ़सल

राबोबैंक में फल और सब्ज़ी की विश्लेषक सिंडी वान रिजस्विक कहती हैं कि फ़िलीपींस तो हमेशा से ही दूसरे देशों से प्याज़ ख़रीदने वाला देश रहा है. फ़िलीपींस में जितना प्याज़ पैदा होता है, वहां के लोग उससे कहीं ज़्यादा खाते हैं.

इस ज़रूरत में अक्सर उठा-पटक होती रहती है: 2011 में फ़िलीपींस में प्याज़ की मांग केवल 50 लाख किलो थी, जो 2016 में बढ़कर 13.2 करोड़ किलो हो गई.

सिंडी कहती हैं, "उपलब्धता और क़ीमतों के हिसाब से फ़िलीपींस आम तौर पर भारत, चीन और हॉलैंड से प्याज़ ख़रीदता है."

अपनी ज़रूरत के प्याज़ के लिए फ़िलीपींस दूसरे देशों पर इसलिए भी निर्भर है कि वहां का मौसम ही ऐसा है. फ़िलीपींस में जो प्याज़ होता है, वो ज़्यादा दिन टिकता नहीं है.

सिंडी कहती हैं कि फ़िलीपींस के हालात, उत्तरी यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कुछ इलाक़ों से काफ़ी अलग हैं. जबकि इन इलाक़ों में कुछ ख़ास परिस्थितियों में प्याज़ पूरे साल तक बचाकर रखा जा सकता है.

सिंडी कहती हैं, "दुनिया के ज़्यादातर हिस्सों में प्याज़ सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जाने वाली सब्ज़ियों में तीसरे नंबर पर है. यही वजह है कि दुनिया में सबसे ज़्यादा मात्रा में उगाई जाने वाली सब्ज़ियों में भी प्याज़ तीसरी पायदान पर आता है. प्याज़ से ज़्यादा तादाद में सिर्फ़ खीरा और टमाटर ही उगाए जाते हैं."

प्याज़ के दाम में उछाल की समस्या दूसरे देशों में भी है

फ़िलीपींस के अलावा कई और देशों में भी प्याज़ की क़ीमतों में उछाल आया है, हालांकि उस हद तक दाम नहीं बढ़े जितने फ़िलीपींस में. इसकी एक मिसाल तो ब्राज़ील ही है, जहां आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ साल 2022 में प्याज़ की कुल क़ीमत सबसे ज़्यादा बढ़ी है.

प्याज़ के दाम में इज़ाफ़े के तमाम कारणों में से प्याज़ की खेती का रक़बा घटना और इसकी खेती में आने वाली लागत में बढ़ोत्तरी भी है. क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुद्रा के लेन-देन की दर में उछाल और यूक्रेन में युद्ध के चलते रासायनिक खाद और कीटनाशकों के दाम बहुत बढ़ गए हैं.

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