गुजरात के युवक ने अमेरिका में दाखिल होने की कोशिश में गंवाई जान, 'अवैध तरीका' आज़माना पड़ा भारी

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- Author, भार्गव परीख
- पदनाम, बीबीसी गुजराती

- गांधीनगर के कलोल के रहने वाले बृजकुमार यादव की 'अवैध तरीक़े से' अमेरिका में दाखिल होने की कोशिश के दौरान मौत हो गई.
- जब उनकी मौत हुई उस वक्त वो अपनी पत्नी और बेटे के साथ कथित तौर पर मेक्सिको-अमेरिका सीमा पार करने की कोशिश कर रहे थे.
- हादसे में उनकी पत्नी और तीन साल काबेटा घायल हो गए.
- गुजरात की सीआईडी (क्राइम) ने प्रारंभिक सूचना के आधार पर मामले की जांच शुरू की है.
- गुजरात के कई लोग अवैध रास्तों से अमेरिका जाते हैं. ये लोग मानव तस्करों का शिकार हो जाते हैं.

गुजरात के गांधीनगर ज़िले में कलोल के पास एक छोटे से गांव बोरीसणा में सब कुछ पहले की तरह ही चल रहा है. चाय या नाश्ते पर हो या फिर पंचायतों में, यहां लोगों के बीच सियासी बहस आम है.
स्थानीय लोग मानते हैं कि 'यहां के लोग डॉलर कमाने को अमेरिका जाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं'. यहां आम तौर पर कोई भी अमेरिका के बारे में बात करने को तैयार नहीं होता है लेकिन अमेरिका जाने के आकर्षण के जाल में फंस कर 'अवैध तरीक़े से वहां जाने की कोशिश' में यहां के एक व्यक्ति की मौत हो गई.
स्थानीय ख़बरों के मुताबिक़, कलोल के रहने वाले बृजकुमार यादव की मेक्सिको-अमेरिका सीमा पर बनी दीवार से गिरकर मौत हो गई. 'ट्रंप वॉल' नाम से जानी जाने वाली ये दीवार 30 फ़ीट ऊंची है और इस रास्ते बृजकुमार अपने परिवार के साथ 'अवैध तरीक़े से अमेरिका' में प्रवेश की कोशिश कर रहे थे.
रिपोर्ट्स के मुताबिक़ जिस वक्त बृजकुमार 'ट्रंप वॉल' पर चढ़ रहे थे उस वक्त उनकी गोद में उनका तीन साल का बच्चा भी था. बताया जा रहा है कि हादसे में उनकी पत्नी और बच्चे को भी चोटें आई हैं.
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'बृजकुमार जल्दी पैसा कमाना चाहता था'

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बोरीसणा गांव में रहने वाले अधिकांश लोग पटेल और ठाकोर समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. इनमें से अधिकांश लोगों को गांव के आसपास मौजूद कारखानों में रोज़गार मिल जाता है और फिर यहां खेती भी अच्छी होती है.
इस गांव की आबादी लगभग 3,000 है और इनमें युवाओं की संख्या बहुत कम है क्योंकि यहां के अधिकांश युवा काम की तलाश में या तो विदेश गए हैं या फिर उन्होंने आसपास के शहरों का रुख़ किया है.
हालांकि इस गांव में ईसाई धर्म मानने वाले लोग नहीं रहते लेकिन साल के इस वक्त यानी क्रिसमस के दौरान यहां दिवाली जैसा माहौल होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि विदेशों में रहने वाले कई लोग इस दौरान अपने गांव लौटकर आते हैं.
लेकिन ये साल दूसरे सालों से अलग है. इसकी वजह है 32 साल के बृजकुमार जिनकी 'अवैध तरीक़े से अमेरिका में घुसने की कोशिश' करते हुए मौत हो गई.
बृजकुमार यादव के पिता उत्तर भारत से आकर गुजरात में बस गए थे. वो यहां टेलीफ़ोन विभाग में काम करते थे. वो सात साल पहले ही रिटायर हुए थे.
बृजकुमार ख़ुद बोरिसणा में छोटा-मोटा कारोबार किया करते थे.
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बृजकुमार के बारे में और जानकारी देते हुए उनके दोस्त जयेंद्र पटेल ने बीबीसी को बताया कि बृज, वो और उनका एक और दोस्त विष्णु ठाकोर पार्टनरशिप में बिज़नेस चलाते थे. जयेंद्र पटेल और विष्णु ठाकोर बिज़नेस में निवेश करते थे और बृजकुमार वर्किंग पार्टनर के रूप में काम करते थे.
जयेंद्र के मुताबिक़ 'नवंबर के महीने के आख़िर से उन्होंने बृजकुमार को गांव में नहीं देखा.'
वो कहते हैं, "चार साल पहले, जब उन्हें गुजरात इंडस्ट्रियल डेवेलपमेन्ट कॉर्पोरेशन (जीआईडीसी) में नौकरी मिली तो उनका फ़ोन आना बंद हो गया. हालांकि हम लोगों की मुलाक़ातें कभी-कभार हो जाती थीं, लेकिन हमें इस बात का पता नहीं था कि वह विदेश जा रहे हैं."
बृजकुमार के एक और दोस्त विष्णु ठाकोर ने बताया कि काफी समय से बृजकुमार से उनकी मुलाक़ात नहीं हुई है.
वो कहते हैं, "बृजकुमार जल्दी से बहुत पैसा कमाना चाहता था, लेकिन मुझे नहीं पता था कि वह अवैध तरीक़े से विदेश चला गया है."
'पत्नी और बेटे के साथ घूमनेकी बात कहकर निकला था'

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बृजकुमार यादव के भाई विनोद यादव ने इस घटना के बारे में बीबीसी से बातचीत की और कहा कि उनके भाई ने उन्हें कहा था कि वो 'एक महीने घूमने के लिए' जा रहे हैं.
वो कहते हैं, "18 नवंबर को पत्नी पूजा और तीन साल के बेटे को लेकर एक महीने के लिए घूमने जा रहा हूं, ये कह कर वो घर से निकला था."
वो कहते हैं कि इसके बाद बृजकुमार की पत्नी पूजा ने उन्हें कई बार फ़ोन किया.
वो कहते हैं, "पूजा उन्हें बताती रहती थी कि वो लोग ठीकठाक हैं. लेकिन हमें नहीं पता था कि वह कहां हैं."
लेकिन बृजकुमार के परिवार को इस दुर्घटना की और बृजकुमार की मौत की ख़बर कैसे मिली, इस बारे में विनोद बताते हैं, "एक दिन हमें फ़ोन आया कि ब्रेन हेमरेज होने से मेरे भाई बृजकुमार की मौत हो गई है. उसके बाद उनके साथ हमारा कोई संपर्क नहीं हुआ. हम चाहते हैं कि सरकार हमारी मदद करें और मेरे भाई का शव और उनके परिवार को भारत लाया जाए. यह ख़बर मिलने के बाद से मेरी तबीयत भी काफी बिगड़ गई है."
'प्रारंभिक जानकारी के आधार पर जांच शुरू'

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इस मामले में सरकार क्या कर रही है, ये जानने के लिए बीबीसी ने गांधीनगर के अतिरिक्त रेजिडेंट कलेक्टर भरत जोशी से संपर्क किया.
उन्होंने बताया, "अमेरिका से हमें इस घटना के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है, लेकिन प्रारंभिक जांच से पता चला है कि बृजकुमार यादव उत्तर प्रदेश के मूल निवासी थे और अपने परिवार के साथ कलोल में रहते थे. वो छात्राल में काम करते थे. वो, उनकी पत्नी और उनका बेटा, एक एजेंट के ज़रिए विदेश गए थे वहां 'ट्रंप वॉल' पार करने के दौरान उनकी मौत हो गई."
"बृजकुमार की पत्नी और बेटा घायल हैं और उनका इलाज चल रहा है. हमने घटना के संबंध में अमेरिकी दूतावास से संपर्क किया है. जांच जारी है और हमें आधिकारिक तौर पर और जानकारी मिलने का इंतज़ार है."
अब तक जो जानकारी मिली है उसके अनुसार गुजरात पुलिस और राज्य की क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन टीम (सीआईडी ) मामले की जांच कर रही है. मामले की जांच फिलहाल प्रारंभिक चरण में है.
गांधीनगर सीआईडी क्राइम के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बीबीसी को बताया, "अमेरिकी दूतावास से आधिकारिक जानकारी मिलने के बाद इस मामले में क़ानूनी तौर पर एफ़आईआर दर्ज की जाएगी. लेकिन पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. इससे पहले उत्तरी गुजरात के डिंगुचा गांव के एक परिवार की मौत उस वक्त हो गई थी जब वो कनाडा जाने की कोशिश कर रहा था."
इस साल जनवरी में जगदीश, वैशालीबेन पटेल और उनके दो बच्चों की मौत अमेरिका-कनाडा सीमा पर ठंड से जमने के कारण हो गई थी. ये परिवार जिस रात पैदल कनाडा से अमेरिका जाने की कोशिश कर रहा था, उस रात तापमान माइनस 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था.

गांधीनगर सीआईडी क्राइम के अधिकारी ने बृजकुमार मामले में और जानकारी देते हुए कहा, "स्टेट मॉनिटरिंग सेल की कार्रवाई के बाद मानव तस्करी से जुड़े मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था जिससे मानव तस्करी के पूरे सिस्टम और 'अवैध' पैसों के लेनदेन के बारे में कई जानकारी मिली है. साथ ही हम इसमें दूसरे लिंक भी जोड़ रहे हैं."
उन्होंने कहा, "उत्तरी गुजरात से मेक्सिको और कनाडा तक अवैध मानव तस्करी मामले में शामिल संदिग्धों को पकड़ने के लिए स्थानीय अपराध शाखा, सीआईडी, एंटी टेररिस्ट स्क्वाड और अपराध शाखा मिलकर जांच कर रही हैं. इन पर पर आने वाले दिनों में मुक़दमा चलाया जाएगा."
"विदेश मंत्रालय से आधिकारिक जानकारी आने से पहले हमने अपनी प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है, ताकि अवैध तस्करी की साजिश में शामिल लोगों को समय रहते पकड़ा जा सके."
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'संपत्ति गिरवी रखकर भी अमेरिका जाने को तैयार हैं'
गुजरात से 'अवैध' रास्तों के ज़रिए विदेश जाने वालों के कई मामले उत्तरी गुजरात से आते हैं. और ऐसी ख़बरों के कारण कई बार विदेश जाने की चाहत रखनेवालों का सपना भी टूट जाता है.
लेकिन इस तरह के मामलों में लाखों रुपये खर्च करने वाले परिवारों को पश्चिमी देशों में जाने के अपने परिजन के 'रोमांच' की क़ीमत चुकानी पड़ती है. इस प्रक्रिया में अक्सर उनकी संपत्ति, पैसा और रिश्तेदारों की जान तक चली जाती है.
लेकिन उत्तरी गुजरात से लोग कमाई करने के लिए 'अवैध रास्ते' अपना कर और अपनी जान जोखिम में डालकर भी अमेरिका जैसे देशों में क्यों जाना चाहते हैं?
मूल रूप से उत्तर गुजरात के रहने वाले एक ट्रेवल एजेंट ने नाम न छापने की शर्त पर इस बारे में बीबीसी से बात की.
फिलहाल अहमदाबाद में रहने वाले इस ट्रेवल एजेंट ने बताया, "उत्तर गुजरात के लोगों में विदेश जाने और डॉलर में पैसा कमाने का क्रेज़-सा है. इतना ही नहीं गांव में रहने वाले किसान युवकों की तुलना में जो लोग विदेश में रहते हैं उनकी शादी भी जल्दी हो जाती है. इसलिए यहां लोग अमेरिका जाना चाहते हैं भले ही इसके लिए उन्हें खेती की अपनी ज़मीन बेचनी पड़े या उधार लेना पड़े."
'अवैध तरीक़े से विदेश जाने की ये पूरी व्यवस्था' कैसे काम करती है? इस बारे में विस्तार से बताते हुए वो कहते हैं, "अवैध रूप से लोगों को विदेश भेजने में शामिल मुख्य एजेंट अहमदाबाद और गांधीनगर में हैं, हम उनके सब-एजेंट के रूप में काम करते हैं. हमारा काम उन लोगों को ढूंढना होता है जो विदेश जाना चाहते हैं."
वो कहते हैं कि जो लोग 'अवैध रूप से' विदेश जाना चाहते हैं, उन्हें '60 से 66 लाख रुपये तक खर्च करने' के लिए तैयार रहना होता है.

सब-एजेंट कहते हैं, "बृजकुमार जैसे आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों से आने वाले लोगों से 30 फ़ीसदी पैसा एडवांस में लिया जाता है. इसके बाद उन्हें विदेशों में भेजकर और वहां नौकरी दिलाई जाती जिसके बाद बाकी पैसा हवाला के ज़रिए वसूल किया जाता है."
मानव तस्करी के इस पूरे सिस्टम के बारे में बात करते हुए वो आगे कहते हैं कि सब-एजेंट 'अवैध तरीक़ों' से विदेश जाने वालों से पैसे वसूलने के और तरीकों के बारे में जानकारी देते हैं.
जो कुछ उन्होंने बताया उसके अनुसार "अवैध रूप से विदेश जाने वालों से आधा पैसा देकर उसके साथ ज़मीन गिरवी रखने का सौदा किया जाता है."
"साथ ही उनका 'पासपोर्ट भी ज़ब्त कर लिया जाता है." एजेंटों की भाषा में इस व्यवस्था को 'पासपोर्ट सिंडिकेट बैंक' कहा जाता है.
हर सब-एजेंट को 'अवैध तरीक़े से विदेश जाने वालों' के पासपोर्ट इस बैंक में अनिवार्य रूप से 'जमा' करने होते हैं. ऐसा कर के 'अवैध प्रवासी' को कहीं भागने से रोका जाता है.
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