रूस-यूक्रेन युद्ध में शामिल हो रहे हैं पूर्व अफ़ग़ान सैनिक और कमांडो- पूर्व जनरल

रूस-यूक्रेन युद्ध में अफ़ग़ान कमांडो

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अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व जनरल फरीद अहमदी ने कहा है कि अफ़ग़ान सेना के लिए प्रशिक्षित कमांडो का इस्तेमाल यूक्रेन और सीरिया में युद्ध के लिए किया जा रहा है.

बीते साल तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा करने से पहले जनरल अहमदी अफ़ग़ान आर्मी में स्पेशल ऑपरेशन के इनचार्ज थे. उनकी निगरानी में सेना के हज़ार से अधिक जवान थे.

बीबीसी अफ़ग़ान सेवा के खलील नूरी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि दलाल पहले सेना में काम कर चुके सैनिकों से संपर्क कर रहे हैं. वो रूस की तरफ से यूक्रेन और ईरान की तरफ से सीरिया में लड़ने के लिए तैयार पूर्व सैनिकों को अच्छे पैसे दे रहे हैं.

इस पर अब तक न तो रूस के अधिकारियों ने और न ही यूक्रेन के अधिकारियों ने कोई टिप्पणी की है.

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पूर्व जनरल फरीद अहमदी ने कहा, "ये दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन ये ख़बरें सच है और अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व कमांडो दुनिया के कम से कम छह जगहों पर युद्ध में शामिल हैं. ये वो जगहें हैं जहां दुनिया की बड़ी ताक़तें शामिल हैं, जैसे ईरान, सीरिया, नागोर्नो-काराबाख़, यूक्रेन और रूस."

वो कहते हैं कि कुछ जगहों पर पूर्व अफ़ग़ान सैनिक युद्ध के मैदान में पहली कतार में हैं.

उन्होंने कहा, "कितने अफ़ग़ानी पूर्व सैनिक युद्ध में शामिल हैं इसका सही-सही आंकड़ा मौजूद नहीं है क्योंकि वो इस बात को छिपा रहे हैं. लेकिन ये पता है कि इसके लिए नाम लिखना जारी हैं. सेना में छोटी रैंक में रहे कुछ ऐसे सैनिक और जनरल जो तालिबान के जेलों में सज़ा पा चुके हैं और अपने घरों में छिपे हुए हैं या फिर पड़ोसी मुल्कों में चले गए हैं उन्हें अच्छे पैसे, अच्छी ज़िंदगी और वीज़ा ऑफ़र किया जा रहा है."

उन्होंने ऐसे पूर्व सैनिकों से अपील की कि वो किसी तरह के प्रलोभन में आने से बचें और युद्ध में न जाएं.

उन्होंने कहा, "मेरी राय होगी कि वो ऐसा कतई न करें. ये वन-वे टिकट है और जहां वो जा रहे हैं वहां से उनका कफन तक वापिस नहीं आएगा."

हालांकि ये पूछे जाने पर कि क्या युद्ध में शामिल होने के लिए उनसे भी किसी ने संपर्क किया था, उन्होंने कहा कि उन्हें किसी ने कोई पेशकश नहीं की है.

रेबेका कॉफ़लर

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अमेरिका की प्रतिक्रिया

फॉक्स न्यूज़ के अनुसार अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि रूस के अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व सैनिकों के युद्ध में इस्तेमाल की कोशिश से जुड़ी रिपोर्टों पर उनकी नज़र है. हालांकि प्रवक्ता ने कहा है कि वो अभी इस मामले पर कुछ नहीं कह सकते.

अमेरिकी ख़ुफ़िया विभाग में काम कर चुकी रेबेका कॉफ़लर स्ट्रैटजिक इंटेलिजेंस एक्सपर्ट के तौर पर काम करती हैं.

वे कहती हैं, "अमेरिका के अफ़ग़ानिस्तान से अचानक चले जाने से वहां के हज़ारों सैनिक, ट्रांसलेटर और स्थानीय लोग देश छोड़ने को बाध्य हो गए थे. इनमें से कइयों ने पड़ोसी मुल्कों में शरण ली."

वे कहती हैं, "ख़ुफ़िया जानकारी की मानें तो अफ़ग़ान शराणार्थियों को रूस के लिए लड़ने के लिए तैयार करने में ईरान उसकी मदद कर रहा है."

वीडियो कैप्शन, बीबीसी संवाददाता जेम्स वॉटरहाउस ने रूस के कब्जे से छुड़ाए गए कुछ गांवों का दौरा किया.

नज़रिया

बीबीसी दक्षिण एशिया मामलों के संवाददाता अनबरासन एथिराजन कहते हैं कि पूर्व सैनिकों को जो पेशकश की जा रही हैं उसमें उनके परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना शामिल है. इस मामले पर अब तक रूस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

अफ़ग़ान सरकार के गिरने से पहले एक पूर्व जनरल फरीद अहमदी एक बम धमाके में घायल हो गए थे. उस वक्त से वो देश से बाहर ही रहते हैं.

उनका दावा है कि सेना के कुछ पूर्व अफ़सरों ने उन्हें फ़ोन कर उनसे राय मांगी थी कि पैसों के लिए उन्हें दूसरे मुल्क की सेना में जाना चाहिए या नहीं.

अब तक मिली जानकारी के अनुसार सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद का समर्थन कर रहे गुटों के लिए लड़ते हुए सीरिया में दो हज़ार से अधिक अफ़ग़ान नागरिकों की मौत हुई थी.

वीडियो कैप्शन, रूस से भागे एक पूर्व सैनिक की कहानी
जनरल फरीद अहमदी

इसी साल अक्टूबर में वॉर ज़ोन नाम की एक वेबसाइट में छपी एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि रूस पूर्व अफ़ग़ान सैनिकों का इस्तेमाल भाड़े के सैनिकों के रूप में कर रहा है.

रिपोर्ट में तालिबान के सत्ता में आने से पहले अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व कमांडर रहे हैबतुल्लाह अलीज़ई के हवाले से कहा गया कि रूस ने स्पेशल ऑपरेशन्स फोर्सेस से जुड़े 5,000 पूर्व सैनिकों को इसमें शामिल किया है. ये लोग बीते साल ईरान चले गए थे.

रिपोर्ट के अनुसार ईरान में मौजूद अफ़ग़ान सेना के पूर्व सैनिक रूस की तरफ से युद्ध में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं और उनमें से कुछ यूक्रेन पहुंच चुके हैं.

फ़ॉरेन पॉलिसी में अक्टूबर में ही छपी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अमेरिका और गठबंधन सेनाओं के अफ़ग़ानिस्तान से जाने के बाद उनके द्वारा ट्रेन किए गए क़रीब 20 से 30 हज़ार सैनिक पीछे छूट गए थे. इनमें से कुछ को देश के बाहर निकाला गया था लेकिन अनेकों सैनिक पड़ोसी मुल्कों की तरफ भाग गए थे.

रिपोर्ट के अनुसार इन सैनिकों के पास न तो नौकरी है और न ही अच्छी ज़िंदगी की उम्मीद. ऐसे में रूसी सेना के लिए लड़ाकों की भर्ती के लिए वो आसान टार्गेट बन रहे हैं.

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