राष्ट्रपति पुतिन ने मानी ग़लती, उनके किस एलान के ख़िलाफ़ रूस में बढ़ रहा विरोध

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- Author, यारोस्लाव लुकोव
- पदनाम, बीबीसी न्यूज़

रूस ने मानी ग़लती
- राष्ट्रपति पुतिन ने माना है कि हालिया लामबंदी अभियान में ग़लतियां हुई हैं.
- बीते सप्ताह पुतिन ने तीन लाख लोगों के यूक्रेन युद्ध में लामबंदी का एलान किया था.
- देश में इस लामबंदी अभियान के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन तेज़ हो रहे हैं.
- 21 सितंबर को रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने कहा था कि वो लोग जिनके पास सेना का अनुभव और ज़रूरी स्किल हैं- उन्हें सेना में भर्ती होने के लिए बुलाया जाएगा.
रूस ने माना है कि लोगों को यूक्रेन से युद्ध लड़ने के लिए लामबंद करने की प्रक्रिया में गलतियां हुई हैं. देश में बढ़ते विरोध के बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी ग़लती मानी है.
रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता ने कहा, "कुछ ऐसे मामले हैं जहां नियमों का उल्लंघन किया गया." और ये भी कहा कि "हर ग़लती को सुधारा जाएगा."
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कई लोग जिन्हें सेना का कोई अनुभव नहीं है और जो बुज़ुर्ग हैं उन्हें भी युद्ध में शामिल होने के लिए बुलाया गया है.
पुतिन का एलान, तीन लाख लोग होंगे सेना में शामिल
बीते सप्ताह लोगों को युद्ध के लिए लामबंद करने की पुतिन सरकार की कोशिशों ने देश में विरोध प्रदर्शनों को बढ़ा दिया है.
राष्ट्रपति पुतिन ने 21 सितंबर को रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु की मौजूदगी में तीन लाख लोगों को रिज़र्व बल में शामिल होने के लिए लामबंद करने का एलान किया था जो यूक्रेन में जारी युद्ध का हिस्सा होंगे. पुतिन ने इसे आंशिक लामबंदी का नाम दिया है.

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हालांकि विपक्षी रूसी मीडिया का दावा है कि लगभग 10 लाख लोगों को पुतिन सरकार की ओर से युद्ध में शामिल होने के लिए बुलाया जा सकता है.
पश्चिमी देशों और यूक्रेन के कई जानकार ये कह रहे हैं कि पुतिन का इस तरह लोगों को सेना में शामिल करने के लिए लामबंद करना इस बात को दर्शाता है कि कैसे रूसी सैनिक यूक्रेन युद्ध में बुरी तरह असफल हो रहे हैं. बीते सात महीने से रूस यूक्रेन में युद्ध लड़ रहा है.
लामबंदी के एलान के बाद से जारी विरोध प्रदर्शन में अब तक लगभग 2000 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है.
पुतिन के प्रवक्ता ने कहा, 'ग़लती हुई'
सोमवार को मीडिया से बात करते हुए पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने माना कि ग़लती हुई है.
उन्होंने कहा कि कुछ इलाकों में गवर्नर 'सक्रिय रूप से इस पर काम कर रहे हैं ताकि ऐसे मामलों को पहचाना जा सके.'
पेसकोव ने ये भी कहा कि उन्हें रूस की सीमाएं बंद करने और मार्शल क़ानून लागू करने की कोई जानकारी नहीं है.

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इससे पहले मीडिया रिपोर्ट्स सामने आई थीं कि रूस की सीमाओं को बंद किया जा रहा है और संभव है कि ऐसा लोगों को देश छोड़ने से रोकने के लिए किया जा रहा है.
जब से इस लामबंदी की आधिकारिक घोषणा हुई है तब से कई रूसी नौजवान देश छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें जॉर्जिया से लगने वाली सीमा पर रूसी कारों की लंबी कतार दिखाई दे रही है.
बढ़ते विरोध प्रदर्शनों को ऐसे समझिए कि सोमवार को साइबेरियाई शहर उस्त-लिमस्क में सेना की भर्ती करने वाले एक अधिकारी को एक व्यक्ति ने गंभीर रूप से घायल कर दिया.
सोशल मीडिया पर सामने आई फ़ुटेज में नज़र आ रहा है कि हमलावर अधिकारी की ओर आगे बढ़ता है और फिर उस पर गोली चला देता है. इसके बाद वहां मौजूद लोगों के बीच अफ़रा-तफ़री मच जाती है.
बीते हफ़्ते, उत्तरी काकेशस के दागिस्तान गणराज्य में लोग लामबंदी अभियान को लेकर पुलिस से भिड़ गए. एक स्वतंत्र रूसी मानवाधिकार मॉनिटर ओवीडी-इन्फ़ो ने कहा है कि इस क्षेत्र की राजधानी मखाचकाला में विरोध प्रदर्शन के दौरान सौ से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
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रूस भर में भर्ती केंद्रों और अन्य प्रशासनिक इमारतों पर आगज़नी और हमलों की भी कई ख़बरें सामने आ रही हैं.
बीते सप्ताह लामबंदी के एलान के दौरान पुतिन ने ये साफ़ तौर पर नहीं बताया कि कितने लोगों की भर्ती की जाएगी, लेकिन पुतिन के बयान के तुरंत बाद रक्षा मंत्री शोइगु ने कहा कि तीन लाख लोग- जिनके पास सेना का अनुभव और ज़रूरी स्किल है- उन्हें बुलाया जाएगा.
मंत्री ने कहा कि यह रूस की 2.5 करोड़ आरक्षित सैन्य क्षमता का सिर्फ़ एक फ़ीसद है और ये प्रक्रिया कई महीनों में पूरी की जाएगी.
क्या भर्ती के लिए कोई सीमा तय होगी?
लामबंदी के नियमों के अनुसार, आयु और विकलांगता से जुड़ी सीमाएं इस पर लागू होंगी. इसके अलावा कोई अन्य विवरण नहीं दिया गया है.
ऐसा माना जा रहा है कि 18 से 60 वर्ष की आयु के पुरुष और कुछ मामलों में इससे भी अधिक उम्र के लोगों को लामबंद किया जा सकता है.

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कुछ रूसी टिप्पणीकर्ताओं ने राष्ट्रपति पुतिन और रक्षा मंत्री के इस दावे पर संदेह जताया है जिसमें कहा गया कि लामबंदी के लिए कुछ सीमाएं लागू होंगी.
उनका कहना है कि नियमों में किसी भी तरह से अपवाद का ज़िक्र तक नहीं किया गया है, जैसे- छात्रों और लोगों को जबरन भर्ती ना किया जाए. उनका कहना है कि ये ज़िम्मेदारी स्थानीय नेता को दी जाएगी कि वह किसको भर्ती करना चाहेंगे ताकि वो अपना कोटा पूरा कर सकें.
24 सितंबर को, पुतिन ने एक नया फ़रमान जारी किया जिसमें विशेष रूप से कहा गया था कि छात्रों को नियमों के मसौदे से हटा दिया जाएगा.
24 फ़रवरी को यूक्रेन पर हमले से ठीक पहले, रूस ने यूक्रेन की सीमाओं पर लगभग 1 लाख 90 हज़ार सैनिकों की तैनाती की थी.
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